Johar36garh (Web Desk)| मदुरै स्थित एक NGO एविडेंस (Evidence) के कार्यकारी निदेशक ए काथिर कहते हैं, “तमिलनाडु (Tamil Nadu) को एक अत्याचारी राज्य घोषित कर दिया जाना चाहिए, यहां जाति की जैसी है, वैसी अन्य किसी राज्य में नहीं है.”
सामाजिक कार्यकर्ताओं (Social Activists) ने आरोप लगाया है कि जाति आधारित हिंसा ने तमिलनाडु (Tamil Nadu) में नई कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) के दौर में बुरी तरह से वापसी की है.
लॉकडाउन में कैसे 40-50 लोग कर सकते हैं एक साथ हमला?
इस संस्था एविडेंस के मुताबिक, 25 मार्च से शुरू हुए पहले राष्ट्रीय लॉकडाउन से अब तक राज्य में जाति आधारित कम से कम 30 बड़ी घटनाएं हुई हैं. कार्यकर्ताओं का आरोप है कि कई स्थानों पर, कुछ उच्च जाति समूह इस अवसर का प्रयोग दलितों के साथ मारपीट के लिए कर रहे हैं.
काथिर पूछते हैं, “कई मामलों में 40-50 लोग एक साथ हमला कर रहे हैं. ऐसा किसी लॉकडाउन में कैसे संभव है?” पिछले चार दिनों में, चार दलितों की हत्या की गई है. हॉनर किलिंग (Honour Killing), सामूहिक हमले, हत्याएं, बलात्कार और उत्पीड़न सब कुछ हुआ है. उन्होंने यह भी कहा कि समाज में घरेलू हिंसा बढ़ी है. जाति आधारित हिंसा भी बढ़ी है. जाति आधारित हिंसा भी अब बढ़ गई है और पीड़ित भी लॉकडाउन के चलते ठीक से शिकायत करने में सक्षम नहीं हैं. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचारों की रोकथाम कानून के तहत यदि आरोपी जमानत के लिए जाते हैं तो उन्होंने पीड़ित को सूचित करना पड़ता है. हाईकोर्ट ने अब कहा है कि आरोपियों को वायरस की वजह से पेश होने की जरूरत नहीं है. अब लोग इसका इस्तेमाल अपने पक्ष में कर रहे हैं और जमानत पा रहे हैं. सरकार को इस पर नीतिगत निर्णय लेना चाहिए.
अपराधों की गंभीरता में हुई है बढ़ोत्तरी
अपराधों की गंभीरता के स्तर में भी तेज बढ़त देखी गई है. काथिर कहते हैं, “एक महीने में औसतन 100 मामले अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचारों की रोकथाम कानून (SC/ST Prevention of Atrocities Act) के तहत दर्ज किए जाते हैं. इनमें से ज्यादातर मामले मामूली होते हैं जबकि चार से पांच बड़े अपराध हो सकते हैं. लेकिन इस महीने, हम जिन 30 घटनाओं की बात कर रहे हैं, वे सभी बड़ी हैं. इसलिए यह क्रूर अपराधों में तेजी से हुई बढ़त है.”
इन घटनाओं में अरणी के मोरप्पनथंगल गांव में हुई एम सुधाकर की हत्या है. सुधाकर, जो कि ओद्दार जाति का था, उसकी हत्या 29 मार्च को उसकी प्रेमिका के रिश्तेदारों ने कर दी थी, जो वन्नियार जाति के आती है. इस मामले में महिला के पिता सहित दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया.
दलित टीवी रिपोर्टर पर किया गया था हमला
24 अप्रैल को एक अन्य घटना में, राजनीतिक पार्टी विदुथलाई चिरुथिगाल काची (VCK) के वेलिचम टीवी चैनल, आदि सुरेश नाम के एक रिपोर्टर पर हमला किया गया था, जब उसने शहर में डॉ बीआर अंबेडकर के चित्र को नुकसान पहुंचाने वाले एक समूह के बारे में सूचना दी थी.
21 अप्रैल को पुदुक्कोट्टई जिले के करमबक्कुडी में, एक स्नातक दलित स्नातक मुरुगनंथम ने अपने प्रेमी भानुप्रिया से शादी की. कथिर ने बताया, शादी के तुरंत बाद, भानुप्रिया के रिश्तेदारों ने मुरुगानंदम पर हमला किया और उसका अपहरण (Kidnap) कर लिया. “भानुप्रिया को एविडेंस के मुताबिक कार्रवाई के बाद बचाया गया था.”
तूतीकोरिन के उदयकाकुलम गांव में 8 मई को देवर समुदाय से संबंधित एक समूह द्वारा ए पलवेसम और उनके दामाद आर थंगराज की हत्या के लिए ऋण पर विवाद हुआ था. एविडेंस के मुताबिक, सालेम में उसी दिन, एक दलित, विष्णुप्रियायन की हत्या उच्च जाति समूहों ने कर दी थी.