ईवी में 30,000 करोड़ विदेशी निवेश

:पेट्रोलियम कारों के भारतीय बाजार में पिछड़ी विदेशी कंपनियां अब लगा रहीं ईवी पर दांव

नई दिल्ली
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) का तेजी से बढ़ता बाजार उन विदेशी कंपनियों को दूसरा मौका दे रहा है, जिनकी पेट्रोल-डीजल कारें ज्यादा सफल नहीं रही हैं। ऐसी कंपनियों के लिए बाजार पर मारुति सुजुकी, महिंद्रा एंड महिंद्रा और टाटा मोटर्स जैसी स्थानीय कंपनियों की मजबूत पकड़ ढीली करना मुश्किल रहा है। लेकिन ईवी सेगमेंट में इन्हें बड़ा मौका नजर आ रहा है। इसे देखते हुए विदेशी कार कंपनियां भारत में 30,000 करोड़ रुपए से ज्यादा निवेश करने जा रही हैं।

एमजी मोटर, रेनॉ, निसान और फॉक्सवैगन जैसी कंपनियां भारत में पेट्रोलियम कारों का विस्तार कम करके ईवी पर फोकस कर रही हैं। देश के लग्जरी ईवी मार्केट में ग्लोबल कंपनियां पहले ही कई मॉडल उतार चुकी हैं। वोल्वो कार्स, ऑडी, जेएलआर और स्टेलेंटिस इनमें शामिल है।

भारतीय ईवी मार्केट पर फोकस कर रहीं पांच विदेशी कंपनियां

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एमजी मोटर
चीन की कंपनी सैक के ब्रिटिश ब्रांड एमजी मोटर भारत में मौजूदा दो ईवी के अलावा 4-5 नए इलेक्ट्रिक मॉडल लॉन्च करने वाली है। कंपनी 5,000 करोड़ के निवेश से भारत में दूसरी फैक्टरी लगाने लगाने जा रही है। इसके अलावा बैटरी एसेंबलिंग प्लांट की भी तैयारी है।

ह्युंडई मोटर
ह्युंडई मोटर इंडिया 20 हजार करोड़ के निवेश से भारत में ईवी सिस्टम स्थापित करेगी। कंपनी 2032 तक सालाना 1.78 लाख यूनिट क्षमता वाली बैटरी पैक फैक्टरी लगाएगी। इसके अलावा 4 मौजूदा ईवी के अलावा कई नए इलेक्ट्रिक कार मॉडल लॉन्च करेगी।

फॉक्सवैगन
इस जर्मन कंपनी ने अपने पैसेंजर कार पोर्टफोलियो के 30% मॉडल को इस दशक के अंत तक इलेक्ट्रिफाइड करने की तैयारी की है। अगले साल भारतीय बाजार में फॉक्सवैगन की पहली इलेक्ट्रिक कार आई.डी.4 लॉन्च हो सकती है। फिर दूसरे मॉडल भी आएंगे।

रेनॉ- निसान
ये अलायंस भारत में पेट्रोल गाड़ियां बहुत सफल नहीं हो पाने के बाद ईवी मॉडल बढ़ाने जा रहा है। ये अलायंस

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