छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार हिंसा के बाद से लगातार पुलिस प्रशासन पूरे छत्तीसगढ़ के सतनामी समाज के लोगों को पकड़कर उनके ऊपर क्रूरता पूर्वक व्यवहार कर रही है। जो मौलिक अधिकारों का हनन है | इसके खिलाफ अधिवक्तागण ने राज्य मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखकर इस पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है।
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पत्र में उन्होंने बताया है कि छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों में सतनामी समाज के व्यक्तियों को बलौदाबाजार पुलिस प्रशासन द्वारा विधि विरुद्ध बंदी बनाकर शारीरिक एवं मानसिक रूप से प्रताड़ित एवं मारपीट किया जा रहा है। पुलिस प्रशासन द्वारा अपनी शक्तियों का दुरुपयोग तथा समाज के व्यक्तियों के शारीरिक शोषण किया जा रहा है| बिना किसी औचित्य और साक्ष्य के जिन व्यक्तियों को बंदी बनाया जा रहा है| ना ही उनके परिवार वालों को सूचना दिया जा रहा है और नहीं यह सूचना दिया जा रहा है कि उन्हें कौन सी जगह स्थान पर रखा गया है। साथ ही उनके परिवार वालों से भी उन्हें मिलने नहीं दिया जा रहा है। पुलिस प्रशासन द्वारा इस प्रकार का कार्य भारतीय संविधान के प्रति व्यक्तियों को मिले मौलिक अधिकार तथा लगातार उल्लंघन किया जा रहा है।
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