यह परिणाम उन जातिवादियों के मुंह पर तमाचा है जो उन्हें इंटरव्यू में मात्र 4 अंक देकर टॉपर बनने से रोकने व सलेक्शन सूची से बाहर करने की साजिश रचे थे।
भारत देश में इंटरव्यू वंचित वर्ग के प्रतिभाशाली लोगों को हमेशा से प्रतियोगिता से बाहर करने का बहुत बड़ा साजिश रहा है।
हाल ही में छत्तीसगढ़ पीएससी के द्वारा परिवहन उप निरीक्षक का रिजल्ट जारी किया गया है जिसमें अनुसूचित जाति वर्ग से राकेश कुमार पात्रे ने लिखित परीक्षा में कुल 300 अंकों में से 242.64 अंक लाने पर सफल हुए लेकिन इंटरव्यू में कुल 30 अंकों में से उन्हें मात्र 4 अंक दिया गया है।
राकेश कुमार पात्रे को लिखित परीक्षा में अच्छे अंक नहीं मिली होती तो निश्चित रूप से वह टॉपर बनने से न केवल वंचित रह जाता बल्कि वह सलेक्शन सूची से ही बाहर हो जाता।
यह खबर अखबार में 18 दिसंबर को गुरु घासीदास जी के जयंती के दिन ही छपी। जिन लोग सामाजिक मंचों पर आकर गुरु के वचन मानव-मानव एक समान की बात को दोहराते हैं लेकिन वही लोग अपने दैनिक जीवन के व्यवहार में जातिगत भेदभाव और अत्याचार को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं जब भी उन्हें मौका मिलता है वह आरक्षित वर्गों के हितों में कुठाराघात करने से पीछे नहीं हटते हैं।
गुरु घासीदास जी के नाम पर स्थापित केंद्रीय विश्वविद्यालय बिलासपुर में भी जातिवादी मानसिकता के लोग भरे पड़े हैं उनके द्वारा भी वहां एनएफएस का खेल खेला जाता है अफसोस इस बात का है कि जो आरक्षित वर्ग के लोग आरक्षण से चयन होकर साधन संपन्न और सुविधा भोगी बन जाते हैं वे अपनी जाति पहचान छुपाकर जीवन जीते हैं।
ऐसे मक्कार और स्वार्थी लोग कभी भी जाति के नाम पर होने वाले अन्याय अत्याचार भेदभाव पर एक शब्द ना खुद बोल पाते हैं ना समाज के लोगों को बोलने के लिए प्रेरित कर पाते हैं बल्कि जो युवा समाज के साथ होने वाले अन्याय अत्याचार भेदभाव के विरुद्ध आवाज उठाते हैं उनके ही खिलाफ दुष्प्रचार करते हुए गलतफहमियां पैदा कर माहौल बनाने में ताकत झोंकते हैं।
नोट :- जाति के नाम होने वाले भेदभाव अत्याचार को नकारते हुए आप चालाक बन सकते हैं लेकिन अपने जीवनकाल में जाति नामक बिमारी से प्रभावित होने से बच नहीं सकते हैं।