टॉयलेट रूम के पानी से डॉक्टरों का बना खाना, विडियो वायरल होने के बाद मचा हंगामा

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टॉयलेट रूम के पानी से डॉक्टरों का बना खाना

मध्य प्रदेश के जबलपुर से एक अनोखा मामला सामने आया है, जहां टॉयलेट के बगल में लगे नलों से निकलने वाले पानी से खाना बनाकर डॉक्टर को परोसा गया. नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में आयोजित इंडियन सोसाइटी फॉर स्टडी ऑफ पेन (ISSP) की वार्षिक कॉन्फ्रेंस के दौरान देशभर से आए डॉक्टर को यह खाना परोसा गया था, जहां डॉक्टर ने भी बड़े चाव से इस खाने को खाया. वहीं अब वीडियो वायरल होने के बाद डॉक्टरो में खासी नाराजगी देखने को मिल रही है. इस वायरल वीडियो वायरल वीडियो में दावा किया गया कि टॉयलेट के पास लगे नल से पाइप से पानी लेकर खाना तैयार किया जा रहा था. कॉन्फ्रेंस में स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारी और डॉक्टर शामिल थे.

 

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दरअसल, इंडियन सोसाइटी फॉर स्टडी ऑफ पेन कॉन्फ्रेंस के चार वीडियो सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहे हैं. जिसमें 23 सेकंड के वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि टॉयलेट कमोड के पास लगे नल से एक प्लास्टिक पाइप के जरिए पानी लिया जा रहा है. इस पानी को सीधे रसोई क्षेत्र में पहुंच रहा है. इस घटना ने आक्रोश और चिंता पैदा की है, जिसमें मेडिकल कॉलेज प्रशासन की स्वच्छता और स्वास्थ्य मानकों पर सवाल उठाए जा रहे हैं. मामले की गंभीरता को देखते हुए मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. नवनीत सक्सेना ने तत्काल जांच के आदेश दिए हैं.उन्होंने कहा कि जो वीडियो वायरल हो रहा है, उसकी जांच की जा रही है. यह सत्यापित नहीं हो सका है कि उसी पानी से खाना बनाया गया था. मेरी जानकारी में आया है कि उस पानी का इस्तेमाल सिर्फ बर्तन धोने के लिए किया गया था, न कि खाना बनाने के लिए.

 

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इस घटना ने मेडिकल कॉलेज की स्वच्छता व्यवस्थाओं पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं. कॉन्फ्रेंस जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम में ऐसी लापरवाही न केवल उपस्थित डॉक्टरों और अधिकारियों के स्वास्थ्य के लिए खतरा है, बल्कि यह संस्थान की साख पर भी असर डालती है. सोशल मीडिया पर लोगों ने इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. कई उपयोगकर्ताओं ने मेडिकल कॉलेज प्रशासन की आलोचना करते हुए कहा कि यदि डॉक्टरों के लिए ऐसी व्यवस्था है, तो आम जनता का क्या हाल होगा. कुछ ने इसे मेडिकल कॉन्फ्रेंस में ‘टॉयलेट थेरेपी’ कहकर तंज कसा है. लोगों ने मांग की है कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए.

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यह पहली बार नहीं है जब किसी मेडिकल संस्थान में इस तरह की लापरवाही सामने आई हो. इससे पहले भी देश के विभिन्न हिस्सों में अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में स्वच्छता से संबंधित मुद्दे उजागर होते रहे हैं. ऐसी घटनाएं न केवल संस्थान की प्रतिष्ठा को धूमिल करती हैं, बल्कि मरीजों और उनके परिजनों के विश्वास को भी ठेस पहुंचाती हैं. मेडिकल कॉलेज प्रशासन द्वारा जांच के आदेश दिए जाने के बाद उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही सच्चाई सामने आएगी. वहीं दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी. इस घटना ने एक बार फिर से स्वच्छता और स्वास्थ्य मानकों का पालन किए जाने पर सवाल उठाए हैं. विशेषकर उन संस्थानों में जो स्वास्थ्य सेवाओं से सीधे जुड़े हैं.

 

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