बिलासपुर रेलवे में हुए हादसे के बाद ठेका श्रमिक मौत ने मामला और भी पेचीदा बना दिया है। इसी बीच रेलवे के जीएम द्वारा हाइकोर्ट को दिए बयान ने आग में घी डालने का कार्य किया है। घटना के FIR को 7 दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक हादसे के लिए जिम्मेदार पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। जबकि प्रशासन पीड़ित पर ही मामले को सुलझाने का दबाव बना रही है। हालांकि मृतक की पत्नी और उसके परिजन पीछे हटने को तैयार नहीं है। वे अपनी पांच सूत्रीय मांगों को लेकर अभी भी डीआरएम कार्यालय के सामने डटे हुए। भीम आर्मी और सामाजिक कार्यकर्ता की टीम पीड़ित पक्ष को न्याय दिलाने उनके साथ खड़ी है।
शुक्रवार को सुबह से ही बिलासपुर में गहमागहमी का माहौल बना हुआ था जो देर रात तक जारी रहा। काफी मशक्कत के बाद मृतक का पोस्टमार्टम शाम 4:00 बजे के आसपास खत्म हुआ। इसके बाद मृतक प्रताप बर्मन की पत्नी खुशबू बर्मन शव को लेने बिलासपुर के जिला चिकित्सालय पहुंची। लेकिन प्रशासन ने उन्हें शव देने से इनकार कर दिया। इसके बाद बिना शव के ही बिलासपुर के सड़कों में उन्होंने शव यात्रा निकाली। जो सीधे डीआरएम ऑफिस के सामने पहुंची| तब एक समय के लिए प्रशासन भी सकते में आ गया था। ऑफिस के गेट सामने अपना विरोध प्रदर्शन करने के बाद सभी वापस धरना स्थल पर पहुंचे। तब जाकर प्रशासन की जान में जान आई।
शाम 6:00 के आसपास जिला प्रशासन की ओर से पीड़ित पक्ष को समझाने का प्रयास शुरू हुआ। जिला प्रशासन की ओर से अपर कलेक्टर और एडिशनल एसपी मौके पर पहुंचे। उन्होंने आश्वासन देने का काफी प्रयास किया किंतु मृतक की पत्नी उनके जवाबो से संतुष्ट नहीं हुई। फिर आंदोलनकारी गो बैक के नारे लगाने शुरू किए इसके बाद प्रशासन को वापस लौटना पड़ा।
मुआवाजे के नाम पर भी आश्वासन
जिला प्रशासन की ओर से मृतक को 5 लाख रुपए देने का आश्वासन दिया जा रहा था लेकिन वह भी कोरा ही था। जिला प्रशासन की ओर से कहा गया कि 5 लाख का मुआवजा राशि देने का प्रस्ताव रखा गया है। जिसकी घोषणा मुख्यमंत्री के विदेश दौरे से लौट के बाद करेंगे। जब की रेलवे प्रशासन द्वारा लेबर कोर्ट के निर्णय आने के बाद जो राशि तय होगी वह देगी। हालांकि अपर कलेक्टर ने यह राशि 16 लाख के आसपास बताइए है।
FIR के बाद भी गिरफ्तारी नहीं
पुलिस द्वारा FIR दर्ज किया गया है इसमें बार-बार एक शख्स का नाम आ रहा है इसके बावजूद पुलिस अभी तक उक्त शख्स को गिरफ्तार नहीं की है। इससे पीड़ित पक्ष में और भी गुस्सा है।
इलाज में लापरवाही का आरोप
मृतक की पत्नी ने इलाज में लापरवाही बरतने गंभीर आरोप अस्पताल और रेलवे प्रबंधन पर लगाया है। मृतक की पत्नी का मानना है कि अगर सही समय पर उनका इलाज किया जाता है तो शायद आज वह जीवित रहते। मृतक की पत्नी खुशबू बर्मन ने अपर कलेक्टर को बताया कि जब तक हमने पैसे जमा नहीं किया तब तक अस्पताल में उनका इलाज शुरू नहीं किया गया। रेलवे प्रशासन खामोश बैठा रहा किसी भी हाल में कोई मदद उनके तरफ से नहीं हुई। अगर मदद मिलती तो स्थिति ऐसी नहीं होती। मदद के नाम पर केवल घंटे दफ्तर के बाहर बैठाया गया जिससे वह काफी परेशान हुई।
रेलवे कर्मियों द्वारा किया गया दुर्व्यवहार
मृतक की पत्नी खुशबु बर्मन ने अपर कलेक्टर बताया की जब यहाँ पर बारिश हो रही थी तब वह अपने बच्चे को लेकर DRM ऑफिस के सामने वाली बिल्डिग पहुंची जहाँ पर उन्हें भगा दिया गया | बच्चे को लेकर उसे वापस धरना स्थल पर आना पड़ा | लेकिन इस संबंध में कोई जवाब उन्हें नहीं मिला |