AIIMS गोरखपुर के डॉक्टरों ने किया कमाल: मरीज की टूटी हड्डी बिना बेहोश किए की सर्जरी

 गोरखपुर 
   
क्या आप यकीन करेंगे कि किसी टूटी हड्डी की सर्जरी बिना बेहोश किए हो सकती है? एम्स गोरखपुर के डॉक्टरों ने यही करिश्मा कर दिखाया है.  जूनियर रेजिडेंट डॉ. नीरज ने नर्व ब्लॉक तकनीक का इस्तेमाल कर एक मोटे मरीज की सर्जरी की, जबकि मरीज पूरी प्रक्रिया अपनी आंखों से देखता रहा. यह सफलता चिकित्सा जगत में नई उम्मीद लाई है. 

सर्जरी के दौरान मरीज सब कुछ देखता रहा

आमतौर पर टूटी हड्डी की सर्जरी के लिए मरीज को पूरी तरह बेहोश (General Anesthesia) किया जाता है. लेकिन डॉ. नीरज के शोध का विषय था कि सिर्फ नर्व ब्लॉक तकनीक का उपयोग करके हंसली के फ्रैक्चर की सर्जरी कैसे की जा सकती है. इस नई तकनीक में, डॉक्टरों ने केवल उस हिस्से की नसों को अस्थायी रूप से सुन्न किया जहां सर्जरी होनी थी. मरीज पूरी सर्जरी के दौरान जागा रहा, लेकिन उसे किसी प्रकार का दर्द महसूस नहीं हुआ. 

See also  आरएसएसबी पटवारी भर्ती: दिशा-निर्देशों की अनदेखी पड़ी भारी पड़ सकती है

सुरक्षित, सस्ता और तेज रिकवरी

एम्स गोरखपुर की यह उपलब्धि इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि सामान्य एनेस्थीसिया देने पर अक्सर मोटे या गंभीर रूप से बीमार मरीजों में सांस या हृदय संबंधी जटिलताएं आ जाती हैं. यह नई नर्व ब्लॉक तकनीक इन समस्याओं से बचाती है. एनेस्थीसिया विभाग के प्रमुख डॉ. संतोष कुमार शर्मा ने कहा कि यह तरीका सुरक्षित, सस्ता और तेज रिकवरी देने वाला है, और गंभीर मरीजों के लिए भी लक्षित एनेस्थीसिया संभव है. 

राष्ट्रीय मंच पर मिला पुरस्कार

डॉ. नीरज को उनकी इस उपलब्धि के लिए बेंगलुरु में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन एसटीएसीसी में पोस्टर प्रस्तुति श्रेणी में तीसरा पुरस्कार मिला है.  एम्स गोरखपुर की कार्यकारी निदेशक मेजर जनरल डॉ. विभा दत्ता (सेवानिवृत्त) ने इसे संस्थान के लिए गौरव बताया. यह सफलता न सिर्फ चिकित्सा जगत के लिए, बल्कि आम मरीजों के लिए भी उम्मीद की किरण है क्योंकि अब सर्जरी में "सुरक्षित जागरूक उपचार" संभव है.