छत्तीसगढ़ के भीम : चिंताराम : बलौदाबाजार के 28 वर्षीय एस अंशु ने अपने व्यापक शोध और वर्षों की मेहनत के दम पर अंतरराष्ट्रीय सिनेमा जगत में महत्वपूर्ण पहचान बनाई है। उनकी डॉक्यूमेंट्री “छत्तीसगढ़ के भीम : चिंताराम” का चयन इस वर्ष दो प्रमुख अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सवों – इजिप्शियन अमेरिकन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (न्यूयॉर्क) और फिल्म्स दैट मूव इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (जमैका) में हुआ है।
इसी के साथ वे छत्तीसगढ़ के सबसे युवा अंतरराष्ट्रीय चयन प्राप्त निर्देशक बन गए हैं। यह उपलब्धि इसलिए भी विशेष है क्योंकि इससे पहले यह रिकॉर्ड फिल्मकार नीरज ग्वाल के नाम था, जिनकी फिल्म लगभग 30 वर्ष की आयु में अंतरराष्ट्रीय फेस्टिवल तक पहुँची थी। अब यह कीर्तिमान एस अंशु ने मात्र 28 वर्ष की उम्र में हासिल कर लिया है, जिससे छत्तीसगढ़ी फिल्म जगत में नई पीढ़ी के रचनात्मक नेतृत्व का संकेत मिलता है।
छत्तीसगढ़ के भीम : चिंताराम, 9 सालों तक किया शोध
डॉक्यूमेंट्री के निर्माण से पहले एस अंशु ने विषय पर लगभग नौ वर्षों तक शोध किया और तीन वर्षों तक लगातार फिल्मांकन किया। दाऊ चिंताराम टिकरिहा के जीवन और उनके समाजसेवी योगदानों को समझने के लिए उन्होंने 245 साक्षात्कार रिकॉर्ड किए, जिसने फिल्म को तथ्यात्मक रूप से मजबूत आधार दिया। फिल्म में शिक्षा, समाजसेवा, ग्रामीण सहयोग और सांस्कृतिक संरक्षण जैसे विषयों को केंद्र में रखा गया है।
छत्तीसगढ़ के भीम : चिंताराम : एस अंशु का कहना है कि दाऊ चिंताराम के जीवन को जानने का अनुभव ही उनके लिए एक लंबी सीख जैसा था, और उनका उद्देश्य इस विरासत को वैश्विक दर्शकों तक पहुँचाना था। न्यूयॉर्क में 2 नवंबर 2025 को हुए प्रदर्शन में अंतरराष्ट्रीय समीक्षकों ने फिल्म की शोध-आधारित प्रस्तुति और सरल प्रभावी नैरेटिव शैली की सराहना की।
वहीं जमैका में “फिल्म्स दैट मूव” फेस्टिवल में चयन यह दर्शाता है कि स्थानीय और सामाजिक विषयों पर बनी फिल्में भी विश्व स्तर पर मजबूत उपस्थिति दर्ज करा सकती हैं। युवा आयु में मिली यह उपलब्धि एस अंशु को न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों की उभरती रचनात्मक क्षमता का प्रतिनिधि बनाती है। यह उपलब्धि राज्य के युवा फिल्मकारों के लिए प्रेरणा का एक नया अध्याय खोलती है।
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