जनता की आवाज बनी कूटनीति: बांग्लादेश में शांति के लिए थरूर के सुझाव, यूनुस को दी नसीहत

ढाका 
बांग्लादेश में जारी हिंसा को लेकर भारत में कई लोकप्रिय शख्सियतों ने अपनी चिंता जाहिर की है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने पड़ोसी देश में प्रेस के ऊपर हो रहे हमलों को लेकर भी दुख जाहिर किया। उन्होंने कहा कि यह प्रेस की स्वतंत्रता पर नहीं बल्कि उस देश के बहुलतावाद पर सीधा हमला है। जनता की आवाज मतपेटी के जरिए सुनी जानी चाहिए, न ही हिंसा और हुडदंग के जरिए। इतना ही नहीं हिंसा को खत्म करने के लिए भी थरूर ने यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार को कुछ सलाह दी।
 
सोशल मीडिया साइट एक्स पर बांग्लादेश हिंसा पर थरूर ने अपनी राय साझा की। उन्होंने लिखा, "बांग्लादेश से आ रही खबरों को लेकर मैं चिंता में हू्ं। प्रोथोम आलो और द डेली स्टार के ऑफिस पर हुए टारगेटेड हमले ने केवल दो संस्थानों पर हमला नहीं किया है, बल्कि प्रेस की स्वतंत्रता और बहुलतावाद पर हमला किया है। मैं संपादक महफूज अनाम और अन्य साहसी पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर गंभीर रूप से चिंतित हूं।"

See also  2030 तक 1.4 करोड़ मौतों का खतरा! ट्रंप के फैसले पर लांसेट रिपोर्ट का चौंकाने वाला दावा

इससे इतर थरूर ने खुलना और राजशाही में बंद हुए भारतीय सहायक उच्चायोग को लेकर भी अपनी राय रखी। उन्होंने कहा, "सुरक्षा खतरों के बढ़ने के कारण खुलना और राजशाही में भारतीय सहायक उच्चायोग का बंद होना एक बड़ा झटका है। इससे छात्रों, मरीजों और गरीब परिवारों पर सीधा असर पड़ेगा। 12 फरवरी 2026 को होने वाले प्रस्तावित चुनाव से पहले ऐसी हिंसा और असहिष्णुता का माहौल लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए खतरनाक है।

केरल सांसद ने केवल घटना को लेकर अपने विचार ही नहीं रखे, बल्कि बांग्लादेश को इस समस्या से निकलने के लिए सलाह भी दी। उन्होंने लिखा, "एक स्थिर और समृद्ध पड़ोस के लिए, अंतरिम सरकार को कई चीजें सुनिश्चित करनी होगी। इनमें सबसे पहले पत्रकारों की सुरक्षा, पत्रकारों को अपनी जान बचाने के लिए हड़बड़ी में संदेश पोस्ट करने की नौबत नहीं आनी चाहिए, जबकि उनके ऑफिस को आग लगाई जा रही है। किसी भी तरह से भीड़ तंत्र को हावी नहीं होने दिया जा सकता।"

See also  लंदन में भड़की हिंसा: एलन मस्क के बयानों ने क्यों बढ़ाई आग?

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए थरूर ने दूसरे नंबर पर राजनयिक मिशनों की सुरक्षा को महत्वता दी। उन्होंने लिखा,"राजनयिक मिशनों को सुरक्षित क्षेत्र बने रहना चाहिए, ताकि लोगों के बीच संपर्क और संबंध बने रहें। निशाने पर आए दूतावास और वाणिज्य दूतावास को अतिरिक्त सुरक्षा दी जानी चाहिए। इसके अलावा शांति कि बहाली, अगर देश संक्रमण काल से किसी भी तरह लोकतांत्रिक प्रक्रिया के साथ बाहर निकलना चाहता है और उसे भीड़ तंत्र की जगह पर राजनैतिक संवाद को अपनाना होगा। इसके लिए मुख्य सलाहकाकर यूनुस को नेतृत्व करना चाहिए।"

बकौल थरूर, बांग्लादेश में स्थिरता पूरे क्षेत्र के लिए अहम है। उन्हें उम्मीद है कि वहां शांति लौटेगी और ऐसा सुरक्षित माहौल बनेगा कि जनता की आवाज मतपेटी से सुनी जाएगी, न कि हिंसा और डर के जरिए।

गौरतलब है कि पिछले साल शेख हसीना के सत्ता से बेदखल होने के बाद बांग्लादेश लगातार जल रहा है। इसके बाद यह आग थोड़ी ठंडी हुई, लेकिन एक छात्र नेता हत्या के बाद माहौल फिर से बिगड़ने लगा है। कट्टरपंथी लोगों ने इस घटना के लिए सबसे पहले तो भारत को जिम्मेदार ठहराया फिर उसके बाद भारतीय राजनियक मिशनों को निशाना बनाया। इतना ही नहीं इन्हीं कट्टरपंथियों ने एक हिंदु युवक को पीट-पीटकर मार डाला और उसके शव को सार्वजनिक रूप से पेड़ से टांगकर आग लगा दी गई।

See also  कमला हैरिस ही बनेंगी अमेरिका की राष्ट्रपति? क्या सच साबित होगी एलन लिक्टमैन की भविष्यवाणी