उत्तर प्रदेश में आरटीई के तहत निजी विद्यालयों में प्रवेश में रिकॉर्ड बढ़ोतरी

2025-26 में अब तक 1.40 लाख से ज्यादा बच्चों को दिया गया दाखिला

विगत पांच वर्षों में प्रवेश पाने वाले छात्रों की संख्या दोगुने से अधिक पहुंची

विधानसभा में योगी सरकार का जवाब, वंचित वर्ग के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से जोड़ने पर फोकस

आरटीई के तहत निजी विद्यालयों में 25% सीटें आरक्षित, आवेदन और सीटों के आधार पर ऑनलाइन, पारदर्शी आवंटन हो रहा सुनिश्चित

लखनऊ,

उत्तर प्रदेश में निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत निजी विद्यालयों में आर्थिक रूप से कमजोर एवं वंचित वर्ग के बच्चों के प्रवेश को लेकर योगी सरकार की नीतियों का सकारात्मक असर स्पष्ट नजर आ रहा है। बीते पांच वर्षों में आरटीई के अंतर्गत निजी विद्यालयों में दाखिला लेने वाले बच्चों की संख्या में लगातार रिकॉर्ड बढ़ोतरी दर्ज की गई है। 2025-26 में अब तक 1.40 लाख से ज्यादा बच्चों को दाखिला दिया गया है। यही नहीं, विगत पांच वर्षों में प्रवेश संख्या दोगुने से अधिक हो गई है।

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लगातार बढ़ रही पहुंच
विधानसभा में पूछे गए एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने बताया कि आरटीई अधिनियम के तहत गैर-सहायतित मान्यता प्राप्त विद्यालयों में 25 प्रतिशत आरक्षित सीटों पर प्रवेश की व्यवस्था लागू है। योगी सरकार के प्रभावी क्रियान्वयन, पारदर्शी चयन प्रक्रिया और डिजिटल व्यवस्था के चलते इस योजना की पहुंच लगातार बढ़ी है। इसके तहत शैक्षिक सत्र 2021-22 में जहां 61,403 बच्चों को निजी विद्यालयों में प्रवेश मिला, वहीं 2022-23 में यह संख्या बढ़कर 70,406 हो गई। सत्र 2023-24 में 1,00,249 बच्चों को लाभ मिला, जबकि 2024-25 में 1,13,991 बच्चों ने प्रवेश लिया। चालू सत्र 2025-26 में अब तक 1,40,007 बच्चों को आरटीई के तहत निजी विद्यालयों में दाखिला दिया जा चुका है।

विद्यालय-वार होता है आवंटन
उत्तर में यह भी स्पष्ट किया गया कि सरकार द्वारा आरक्षित सीटों की संख्या और प्राप्त आवेदन पत्रों के आधार पर विद्यालय-वार आवंटन किया जाता है। इसी आवंटन के अनुरूप बच्चों का संबंधित विद्यालयों में प्रवेश सुनिश्चित किया जाता है। बेसिक शिक्षा मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार का उद्देश्य समाज के आर्थिक रूप से कमजोर और वंचित वर्ग के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से जोड़कर समान अवसर और समावेशी शिक्षा का लक्ष्य हासिल करना है।

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