Thursday, November 21, 2024
spot_img

Teachers Day Special : इन दो शिक्षकों ने बदल दिया ग्रामीणों का जीवन

कन्नौज । शिक्षा सिर्फ अक्षरज्ञान नहीं बल्कि जीवन अभिमान भी है। एक शिक्षक सिर्फ पढ़ाता नहीं है बल्कि जीना भी सिखाता है। शिक्षक दिवस पर आपको बताते हैैं ऐसे ही शिक्षकों की कहानी…जिन्होंने बच्चों को पढ़ाने की ठानी, तरकीबें निकाली और बच्चों संग उनके परिवार की भी जिंदगी बदल डाली। छिबरामऊ की शिक्षिका पूजा पांडेय ने बच्चों को स्कूल न भेजने वाली मां को पढ़ाया फिर उन्होंने खुद बच्चों को स्कूल पहुंचाया। इससे जो महिलाएं बच्चों को स्कूल न भेज कर घर-खेती का काम करवा रहीं थीं, आज बच्चों को होमवर्क करा रहीं हैं। वहीं तिर्वा के शिक्षक अभिषेक ने परिजनों संग अवैध शराब के धंधे में शामिल बच्चों को समझाया, उन्हीं से इस धंधे का विरोध करवाया। अब बदनाम गांव के लोग दूसरा रोजगार कर रहे हैैं, बच्चों को खुद स्कूल भेजकर भविष्य की बेहतर नींव रख रहे हैैं।

मां को पढ़ाया, बच्चे पढऩे आने लगे

छिबरामऊ विकास खंड के कल्याणपुर प्राथमिक स्कूल में पूजा पांडेय की तैनाती 2013 में हुई। तब यहां 76 बच्चे थे। अधिकांश आते नहीं थे। घर में संपर्क किया तो बताया गया कि पढ़ाई से पहले पेट जरूरी है इसलिए स्कूल से पहले खेत जरूरी है। इसके बाद पूजा ने बच्चों की मां को शिक्षा का महत्व बताने का सोचा। स्कूल की छुट्टी के बाद गांव की महिलाओं के घर जाकर पढ़ाने की कोशिश की। पहले थोड़ी ना-नुकुर की लेकिन एक दिन स्कूल की छुïट्टी के बाद 10-12 महिलाएं घूंघट में स्कूल पहुंचीं। पूजा ने उन्हें ओलम, गिनती और पहाड़ा पढ़ाया। यहां 60 से अधिक महिलाएं न केवल साक्षर की गईं, बल्कि इतना पढ़ाया गया कि वह बच्चों को होमवर्क भी कराने लगीं। नतीजतन अब स्कूल में 205 बच्चे हैं और इनमें 123 लड़कियां हैं। उपस्थिति भी पूरी रहती है।

बच्चों को सिखाया फिर बच्चों ने परिवार को समझाया

तिर्वा क्षेत्र के बलनपुर गांव की गिहार बस्ती कच्ची शराब के लिए बदनाम थी। बच्चे मां-बाप का हाथ बंटाते थे। छापे में मां-बाप समेत बच्चे भी पकड़े जाते थे। ऐसे में बच्चों का भविष्य चौपट होता देख प्रधानाचार्य अभिषेक यादव ने हालात बदलकर उन्हें इस दलदल से निकालने की ठानी। मां को समझाया तो उन्होंने उल्टे पांव लौटा दिया। अभिषेक ने रास्ता निकाला। स्कूल में आने वाले बच्चों को पूर्व राष्ट्रपति कलाम, पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री, अब्राहम लिंकन आदि की कहानियां सुनाकर प्रेरित किया। लैपटॉप पर शराब के नुकसान के वीडियो दिखाए। तरकीब काम कर गई। नर्सरी से 12वीं तक के इन बच्चों ने मां-बाप से बगावत सी कर दी। बड़े बच्चों ने शराब की भ_ी तोड़ दी छोटों ने खाना न खाने जैसी जिद की। मां-बाप से कहा, मेरा भविष्य बनाइये, किसी का घर मत उजाडि़ए। परिवारों को बात समझ में आई। उन्होंने शराब के कारोबार से तौबा कर ली। प्रधानाचार्य ने इसकी जानकारी पुलिस को दी। पुलिस पहुंची, गांव को गोद लिया। शपथ दिलाई की शराब का अवैध कारोबार नहीं करेंगे।

Related Articles

- Advertisement -spot_img
- Advertisement -spot_img

Latest Articles