राजनांदगांव: मुख्यमंत्री के पिता नंदकुमार बघेल ने एक बार फिर प्रदेश की राजनीति को गर्म कर दिया है, इस बार रावण दहन रोकने का प्रयास किया बल्कि सवर्णों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, उन्होंने कहा की प्रदेश के दफ्तरों में नौकरी करने वाले उच्च वर्ग के लोगों को बाहर निकालकर हमरे बच्चों को रखो, साथ ही उन्होंने राज्य सरकार को समझाइस दी की आप आदिवासियों को नक्सली कहना बंद कर दें, ये सभी बातें नंदकुमार बघेल ने राजनांदगांव जिले के मानपुर ब्लॉक के कोराचागढ़ में सर्व आदिवासी समाज द्वारा आयोजित महिषासुर और मेघनाद का शहादत दिवस के दौरान कही, कार्यक्रम में आदिवासी नेता सुरजू टेकाम ने रावण दहन न करने का प्रस्ताव रखा। कार्यक्रम में तय किया गया कि क्षेत्र के 124 गांवों में रावण दहन में कोई भी आदिवासी शामिल नहीं होगा, न ही कोई सहयोग देगा, क्योंकि आदिवासी रावण को अपना पुरखा मानते हैं। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री बघेल आगे कहा की वोट हमारा-राज तुम्हारा, यह नहीं चलेगा। प्रदेश में आए तमाम उच्च वर्ग के लोगों गिन-गिन के दफ्तरों से निकाला जाए और हमारे बच्चों को नौकरी दी जाए। यह हमारी अंतिम लड़ाई है। अब चाहे इसे नक्सलवाद कहिए या कोई भी वाद कहिए। हम हक और अधिकार की लड़ाई लडेंगे। जब भी आप पर कोई संकट आए मैं यहां आने के लिए तैयार हूं। आप लोगों (आदिवासियों) को नक्सली कहना सरकार बंद करे। बस्तर में पढ़े लिखे आदिवासी बच्चों को नौकरी मिले।नंदकुमार बघेल ने अपने संबोधन में कहा कि 40 साल तक आपने संघर्ष किया। अब हम नक्सलवादियों से अनुसूची 5 के अनुसार समझौता करेंगे। इसी आधार पर जल, जंगल, जमीन पर आदिवासियों का ही हक होगा, किसी बाहरी का नहीं। आपके रहते भूपेश बघेल आजीवन मुख्यमंत्री बना रहेगा, उसकी चाबी मेरे हाथ में रहेगी। कार्यक्रम में आसपास के गांवों से 5 हजार आदिवासियों के पहुंचने का दावा किया गया। पिछले दिनों आदिवासियों ने प्रशासन से दुर्गा मां के साथ महिषासुर की प्रतिमा न रखने व रावण दहन न करने की अपील की थी। (publish danik bhaskar)