Friday, November 22, 2024
spot_img

संविधान के प्रति सम्मान जताने का जज्बा सीखा गए आदिवासी छात्राएं

सकारात्मक सोमवार

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के दूरस्थ वनांचल में एक स्कूल ऐसा भी है जहां बीते आठ बरस से स्कूली बच्चे संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक रूप से वाचन करते हैं। नियमित रूप से पहले राष्ट्रगान गाते हैं फिर संविधान के प्रति सम्मान जताने का जज्बा कहें या फिर शिक्षक और स्कूली बच्चों का जुनून, जो भी हो यह परंपरा नियमित रूप से जारी है। मरवाही ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले ग्राम नाका में प्राथमिक शाला का संचालन किया जा रहा है। स्कूूल की खासियत यह कि यहां अध्ययनरत बच्चे शत-प्रतिशत आदिवासी हैं। बारिश का समय हो या फिर सर्दी की सुबह, स्कूल लगने से पहले दोनों ही नियमित रूप से होती हैं। स्कूल परिसर में छठवीं से आठवीं तक के बच्चे इकठ्ठा होते हैं और सामूहिक रूप से पहले राष्ट्रगान करते हैं। इसके बाद संविधान की प्रस्तावना का वाचन करते हैं। स्कूल में चार बच्चे ऐसे हैं जो इसकी अगुवाई करते हैं। ये चारों बच्चे बारी-बारी से एक-एक दिन सामूहिक रूप से स्कूली बच्चों को संविधान की प्रस्तावना का वाचन कराते हैं।

बिना देखे करती हैं वाचन

पहले ये बोलते हैं फिर बच्चे एक स्वर से वाचन करते हैं। ये चारों स्कूली बच्चे सातवीं कक्षा से इसकी अगुवाई कर रहे हैं। कक्षा आठवीं में पढ़ने वाली दो आदिवासी छात्राएं कलावती बाकरे और किरण मरावी जब संविधान की प्रस्तावना का वाचन करती हैं तो धारा-प्रवाह बोलती हैं। प्रस्तावना में जहां पूर्ण विराम है वहीं ये भी रुकती हैं। इस दौरान उच्चारण भी शुद्ध रहता है। स्कूल के प्रधान पाठक एएल ध्रुवे बताते हैं कि जब से उनकी यहां पदस्थापना हुई है वे और शिक्षक मोहम्मद जहीर अब्बास ने मिलकर भारत के संविधान की प्रस्तावना का वाचन बच्चों के बीच कराने की सोची। शुरुआत में थोड़ी कठिनाई हुई। फिर चारों बच्चों ने परंपरा को आगे बढ़ाने का बीड़ा उठा लिया है। प्रस्तावना इन्हें कंठस्थ हो गया है।

Related Articles

- Advertisement -spot_img
- Advertisement -spot_img

Latest Articles