शासन से आंबटित राशि कम पड़ी, प्रभारी ने खुद का लगाया पैसा, अब देखें क्या है धान मंडी का हाल

JJohar36garh News|जांजगीर जिला पामगढ़ ब्लॉक के मेहँदी धान खरीदी केंद्र में शासन द्वारा सुचारु रूप से व्यवस्था कराने के लिए दी गई राशि पर्याप्त नहीं थी, धान खरीदी केंद्र प्रभारी को स्वयं की से जेब से राशि लगानी पड़ी है | इसके बावजूद व्यवस्था पटरी पर नहीं आ पाई है लिहाजा धान के स्टेक को जमीन पर लगाना पड़ रहा है| जिसकी वजह से धान ज़मीन की नमी के कारण ख़राब होते जा रहे हैं| जिसे आसानी से स्टेक के बगल में खुले में पड़े धान को देखा जा सकता है | इस संबंध में जब प्रभारी से पूछा गया तब राशि कम पड़ने की बात कही गई |

दरअसल मेहँदी धान खरीदी केंद्र प्रभारी सुखदेव यादव कोविड-19 से बचाव के संबंध में कहते हैं की शासन की ओर से कोई आदेश नहीं आया है| फिर भी कोविड के निर्देशों का पूरी तरह से पालन किया जा रहा है, जबकी स्वयं प्रभारी के द्वारा मास्क नहीं लगाया था और नहीं किसी अन्य के द्वारा लगाया गया था |  वैसे ही वे पूरी मंडी का भ्रमण कर किसानों के बीच पहुंच रहे थे | प्रभारी से जब मास्क नहीं पहनने पर सवाल किया गया तो कहते है की कभी कभार हो जाता है, बाकी दिनों में मास्क लगाए रहते हैं|  जबकि पूरे मंडी परिसर में किसी ने भी मास्क नहीं पहना था |

मंडी की व्यवस्था के सम्बन्ध में प्रभारी श्री यादव ने बताया की शासन के द्वारा दी गई राशि से मंडी की समुचित व्यवस्था कर पाना संभव नहीं है | अपने जेब से भी खर्च करना पड़ता है| प्रभारी का दावा है की सबसे अच्छा स्टेक इसी मंडी का है, लेकिन मंडी के किसी भी स्टेक के नीचे धान को बचाने के लिए कुछ भी व्यवस्था नहीं रखी गई है | जिससे ज़मीन की नमी से नीचे का पूरा धान ख़राब होता जा रहा है | कई-कई जगहों पर चूहों ने भी अपना बिल बना लिया है | जो धान को ख़राब कर रहे है | जिसे स्टेक के बगल में अलग से खुले में रखें धान से लगाया जा सकता है|

आपको बता दें की मेहंदी धान खरीदी केंद्र सड़क से काफी गहराई में बना हुआ है, बारिश होने की स्थिति में पानी सड़क से बहकर मंडी स्थल तक पहुंच सकता है|  जिससे आसपास की जमीन गीली हो सकती है |  धान का स्टेक सीधे जमीन में होने की वजह से नमी आसानी से पहुंच सकती है| जिससे धान ख़राब होने की संभावना बानी हुई है |  जो धान स्टेक के बगल में खुले में रखें गए हैं शायद कुछ दिनों पूर्व हुई बारिश का कारण ख़राब हुए होंगे | इसके बाद भी इसे गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है और पैसे की कमी को कारण बताया जा रहा है

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