हम भले ही कितने भी आधुनिक हो जाये पर ग्रामीण क्षेत्रो में आधुनिकता के नाम पर जागरूकता से तुलना करना बेईमानी होगी क्योंकि आज भी पुरानी रूढ़िवादी परम्परा के कारण मानवता नजर नही आती। ऐसा ही मामला पांडातराई थानां अंतर्गत ग्राम परसवारा में सामने आया है जहाँ एक व्यक्ति की मौत लंबी बीमारी के कारण हो गई थी, घर में केवल पत्नी ही है, मौत के बाद भी न तो कोई गांव वाले उसे कंधा देने आ रहे थे न समाज व ही घर वाले। ऐसे में महिला लाश के पास बिलखती हुई रात भर बैठी रही, किसी ने मामले की जनाकारी पांडातराई थाना में दी, तब पुलिस वालों ने एसपी के इसकी जनाकारी दी। पुलिस अधीक्षक में मृतक का पूरे नियम के तहत अंतिम संस्कार करने की जिम्मेदारी पांडातराई पुलिस को दी। जिसके बाद गाँव के कोटवार, सरपंच प्रतिनिधि व पुलिस जवानों के साथ मिलकर अन्तिम संस्कार किया गया साथ ही 10 दिन बाद बाकी की रश्म भी पुलिस विभाग द्वारा किया जाएगा।
विओ
दरअसल ग्राम परसवारा निवासी रज्जू मेरावी 20 साल पहले अपनी पत्नी को छोड़कर इंदिरा विश्वकर्मा नाम की महिला के साथ शादी कर ली थी, तब से ही समाज से बहिष्कृत कर दिया गया था, लेकिन 20 साल बाद भी समाज ने बहिष्कार खत्म नही किया। लंबी बीमारी के बाद उसकी मौत हो गई, रज्जू की दूसरी पत्नी से कोई संन्तान नही है। ऐसे में उसकी मौत के बाद अंतिम क्रियाकर्म करने वाला नही था। बहिष्कृत होने के कारण न तो समाज से न ही घर से कोई मदद करने सामने आया। ऐसी स्तिथी में महिला रातभर पति के शव के साथ घर के बाहर बैठी रही। मामले की सूचना किसी ने पुलिस को दी, तब पांडातराई पुलिस ने मृतक रज्जू का विधि विधान से अंतिम संस्कार करवाये। जहा सरपंच प्रतिनिधि, कोटवार व पुलिस के जवान शामिल रहे। वही पुलिस विभाग द्वारा 10 दिन बाद की जाने वाली रस्म भी पूरी करेगा।