सूरत. वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए चीन की तर्ज पर सूरत में भी एयर प्यूरीफायर टॉवर लगाया जाएगा। क्लीन एनवायरमेंट रिसर्च सेंटर(सीईआरसी), आईआईटी दिल्ली और एसवीएनआईटी एयर प्यूरीफायर लगाने की तैयारी में हैं। यह 500 मीटर की परिधि में 10 मीटर चौड़ा और 24 मीटर ऊंचा टॉवर होगा। इसमें 25 हॉर्स पॉवर की मशीन लगाई जाएगी। इससे 30,000 क्यूबिक मीटर हवा प्रति दिन साफ हो सकेगी। इससे एक लाख से ज्यादा लोगों को शुद्ध हवा मिल सकेगी।
इस संबंध में एक वर्कशॉप का आयोजन किया गया, जिसमें साउथ गुजरात टेक्सटाइल प्रोसेसिंग एसोसिएशन को एयर प्यूरीफायर के फायदे, लगाने का खर्च और तकनीक के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। इस वर्कशाप में आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर मुकेश खरे ने बताया कि शहर ने पहले ही एमिशन ट्रेडिंग का काम चल रहा है। औद्योगिक इलाकों में पीएम 10 की मात्रा 160 से ज्यादा आंकी गई है। इसे 60 से नीचे होना चाहिए।
प्रोफेसर पुई को सूरत बुलाएंगे
एयर प्यूरीफायर अपने चारों ओर की प्रदूषित हवा खींचकर उसे शुद्ध करेगा। सबसे छोटा टॉवर लगभग 1.5 करोड़ रुपए में बन सकेगा। एसवीएनआईटी के प्रोफेसर और क्लीन इनवायरमेंट रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिक डॉ. आरए क्रिस्चियन ने बताया कि चीन और हमारी भौगोलिक स्थिति में अंतर है। आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर मुकेश खरे और उनकी टीम ने चीन के एयर प्यूरीफायर टॉवर का सर्वे किया है। वह इसे बनाने वाले यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा के प्रोफेसर डॉ. डेविड पुई के भी संपर्क में हैं। आने वाले दिनों में उन्हें सूरत बुलाया जाएगा।
मोबाइल वैन पर छोटा टावर लगाएंगे
सूरत के एयर प्यूरीफायर टॉवर को मौसम विभाग के साथ भी जोड़ा जाएगा। इससे हवा और वातावरण में बदलाव पर सही डेटा मिल सकेगा। दिन में इसे चलाने के लिए सोलर पैनल लगाने की भी योजना है। हालांकि इसे लगाने के लिए अभी जगह तय नहीं की गई है। इसके लिए सर्वे किया जाएगा। मोबाइल वैन भी छोटा एयर प्यूरीफायर टॉवर लगाने की योजना है, जो जगह-जगह घूमकर हवा को साफ करेगी। एयर प्यूरीफायर प्रदूषित हवा को अपनी तरफ खींचेगा। उसके बाद इसे उसे गर्म किया जाएगा। इस गर्म हवा को अलग-अलग स्तरों पर फिल्टर कर पास किया जाएगा।