भोपाल। मप्र सरकार द्वारा नगरीय निकायों में महापौर का चुनाव सीधे जनता से न कराकर पार्षदों द्वारा कराने के निर्णय पर ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ मेयर्स दिल्ली ने नाराजगी जताई है। काउंसिल ने मुख्यमंत्री से इस निर्णय पर पुनर्विचार कर इसे वापस लेने का आग्रह किया है।
काउंसिल ने इस निर्णय को 74वें संविधान संशोधन की भावना के विपरीत बताया है। इस पद्धति से नगरीय निकायों में अस्थिरता का वातावरण और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा। काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष नवीन जैन ने मुख्यमंत्री का ध्यान आकर्षित कराया है कि 74वां संशोधन तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व.राजीव गांधी के कार्यकाल में ही हुआ था। उसके अनुरूप नगरीय निकायों को सशक्त बनाने की दिशा में कदम उठाने वाले प्रथम राज्यों में एक मप्र था। तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ही यह निर्णय लिया था, जिसकी सराहना देशभर में हुई थी। लेकिन अचानक इस निर्णय को बदलना दुर्भाग्यपूर्ण है।
वहीं, मप्र मेयर काउंसिल के अध्यक्ष आलोक शर्मा का कहना है कि सरकार का यह फैसला जनता के अधिकारों का हनन है। इससे खरीद-फरोख्त को बढ़ावा मिलेगा। महापौर शर्मा ने कहा कि भोपाल नगर निगम में अब तक जनता द्वारा कांग्रेस के तीन मेयरों को चुना जा चुका है। सरकार के इस निर्णय के खिलाफ वे न्यायालय भी जाना पड़ा तो जाएंगे।