वॉशिंगटन/यरुशेलम
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) के वैसे जजों पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिन्होंने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और अमेरिकी अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने को मंजूरी दी थी और अरेस्ट वारंट जारी किया था। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो द्वारा बुधवार को घोषणा किए गए इस कदम की इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने प्रशंसा की है। उन्होंने कहा कि यरूशलेम को झूठे तरीके से बदनाम करने के ICC के अभियान पर अमेरिकी सरकार का यह दंडात्मक कदम सराहनीय है। नेतन्याहू ने इस कदम को इजरायल की रक्षा में एक निर्णायक कदम कहा है।
नेतन्याहू के ऑफिस से जारी एत बयान में उन्होंने कहा, "मैं अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो को हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीशों पर प्रतिबंध लगाने के फैसले के लिए बधाई देता हूँ।" उन्होंने आगे कहा, "यह इजरायल और इजरायली डेमोक्रेटिक फ्रंट को निशाना बनाकर किए जा रहे झूठे प्रचार अभियान के खिलाफ और सच्चाई व न्याय के पक्ष में एक कड़ा कदम है।"
किन-किन पर लगे प्रतिबंध?
ट्रंप प्रशासन ने जिन जजों पर ये प्रतिबंध लगाए हैं उनमें फ्रांस के न्यायाधीश निकोलस यान गुइलौ, फिजी के उप अभियोजक नजहत शमीम खान और सेनेगल के उप अभियोजक मामे मांडियाये नियांग के भी नाम शामिल हैं। इन लोगों ने गाजा में कथित युद्ध अपराधों के लिए इजरायली पीएम नेतन्याहू और उनके पूर्व रक्षा मंत्री योआव गैलेंट के खिलाफ पिछले साल गिरफ्तारी वारंट पर हस्ताक्षर किए थे। इनके अलावा कनाडा की न्यायाधीश किम्बर्ली प्रोस्ट को भी उस फैसले के लिए प्रतिबंधित किया गया है जिन्होंने आईसीसी को अफगानिस्तान में अमेरिकी कर्मियों की जाँच करने की अनुमति दी थी।
नवंबर 2024 में नेतन्याहू के खिलाफ जारी हुए थे वारंट
बता दें कि अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय के न्यायाधीशों के एक पैनल ने नवंबर 2024 में नेतन्याहू और योआव गैलेंट के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किए थे। न्यायाधीशों का मानना था कि उक्त दोनों ने गाजा में हमास के खिलाफ इजरायल के अभियान के दौरान मानवीय सहायता रोककर और जानबूझकर नागरिकों को निशाना बनाकर युद्ध अपराध किए हैं। हालांकि, इजरायल के अधिकारी इस तरह के आरोपों को खारिज करते हैं।
ICC ने प्रतिबंधों की कड़ी आलोचना की
इसके जवाब में आईसीसी ने बुधवार को अमेरिकी प्रतिबंधों की कड़ी निंदा की और इसे सभी 125 सदस्य देशों के अधिदेश के तहत संचालित एक निष्पक्ष न्यायिक संस्था की स्वतंत्रता पर एक ज़बरदस्त हमला बताया है। एक बयान में, ICC ने कहा कि ये प्रतिबंध "अदालत के सदस्य देशों, नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था और सबसे बढ़कर, दुनिया भर के लाखों निर्दोष पीड़ितों का अपमान हैं।" अदालत ने आगे कहा, "आईसीसी किसी भी दबाव या धमकी की परवाह किए बिना, अपने कानूनी ढाँचे के अनुसार अपने आदेशों का सख्ती से पालन करना जारी रखेगा।"
फरवरी और जून में भी लगाए थे प्रतिबंध
इससे पहले जून में भी ट्रंप प्रशासन ने आईसीसी के दो अन्य जजों को प्रतिबंधित कर दिया था। उससे पहले फरवरी में ICC के मुख्य अभियोजक करीम खान पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था। इन प्रतिबंधों के बाद आईसीसी के कर्मचारियों के सामने कई तरह की अड़चनें आ रही हैं। प्रतिबंधों के कारण उनकी अमेरिका में एंट्री बैन हो गई है। इसके अलावा वे अमेरिकी संपत्तियों का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। बैंकों से भी लेनदेन रुक जाएगा।