गर्मी के मौसम में कैसे करें पशुओं की देखभाल?, जाने कैसे सेहत का रखें खयाल : गर्मी के मौसम में डेयरी पशुओं का उचित पोषण प्रबंधन (Nutrition Management of Dairy Animals) उनकी सेहत और दुग्ध उत्पादन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उच्च तापमान के कारण पशुओं की भूख कम हो सकती है, जिससे उनके पोषण स्तर (Nutritional level) पर असर पड़ता है। गर्मी के मौसम में डेयरी पशुओं के आहार और समग्र प्रबंधन (Nutrition Management of Dairy Animals) पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। सरकारी योजनाओं (Government schemes) और संसाधनों का सही उपयोग करके, पशुपालक अपने पशुओं की सेहत और दुग्ध उत्पादन को बनाए रख सकते हैं।
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1.संतुलित आहार का महत्व (The importance of a balanced diet)
गर्मी के दौरान, पशुओं को संतुलित आहार प्रदान करना आवश्यक है, जिसमें आवश्यक पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, ऊर्जा, विटामिन और खनिज शामिल हों। इससे उनकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और वे गर्मी के तनाव को बेहतर ढंग से सहन कर पाते हैं।
2.हरे चारे की उपलब्धता (Availability of green fodder)
गर्मी के मौसम में हरे चारे की कमी हो सकती है, जिससे पशुओं के आहार में पोषक तत्वों की कमी हो सकती है। इस समस्या के समाधान के लिए, सरकार पशुपालकों को रियायती दरों पर उच्च गुणवत्ता वाला चारा उपलब्ध कराने के लिए ‘पशुपालन अवसंरचना विकास निधि’ जैसी योजनाएं संचालित करती है। इस योजना के तहत, गाय, भैंस, भेड़, बकरी आदि को रियायती दर पर बेहतर गुणवत्ता का चारा प्रदान किया जाता है।
3.पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण (Livestock Health and Disease Control)
गर्मी के मौसम में पशुओं में बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। सरकार की ‘पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण योजना’ के तहत, पशुओं के रोगों की रोकथाम, नियंत्रण और निवारण के लिए पशुपालकों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। यह योजना पशुपालकों को अपने पशुओं के स्वास्थ्य की देखभाल में मदद करती है।
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4.पशुधन बीमा योजना (Livestock Insurance Scheme)
गर्मी के दौरान, विभिन्न कारणों से पशुओं की मृत्यु हो सकती है, जिससे पशुपालकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। ‘पशुधन बीमा योजना’ के तहत, पशुपालक अपने पशुओं का बीमा करवा सकते हैं, जिससे किसी अप्रत्याशित घटना में उन्हें आर्थिक सुरक्षा मिलती है। इस योजना में सरकार की ओर से भारी सब्सिडी भी दी जाती है।
5.दूध उत्पादन में गिरावट की भरपाई (Compensating For The Drop In Milk Production)
गर्मी के दिनों में दूध उत्पादन में कमी के बावजूद, पशुपालकों को घाटा न हो, इसके लिए कुछ राज्य सरकारें अनुदान प्रदान करती हैं। उदाहरण के लिए, बिहार सरकार ने अप्रैल से जून के बीच दुग्ध सहकारी समितियों के माध्यम से दूध बेचने वाले पशुपालकों को प्रति लीटर 3 रुपये का अनुदान देने का निर्णय लिया है, जिससे गर्मी के महीनों में होने वाले घाटे की भरपाई हो सके।
6.पशुओं के लिए हेल्पलाइन नंबर (Helpline Number For Animals)
पशुपालकों की सहायता के लिए सरकार ने हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं, जिन पर पशुपालक पशुओं के स्वास्थ्य, पोषण या अन्य संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। ये नंबर 1551 या 1800-180-1551 हैं।
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7.जल प्रबंधन (Water Management)
गर्मी के मौसम में पशुओं को पर्याप्त मात्रा में स्वच्छ और ठंडा पानी उपलब्ध कराना आवश्यक है। इससे वे हाइड्रेटेड रहते हैं और उनकी भूख में सुधार होता है। पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए, पशुपालकों को अपने क्षेत्र की जल संसाधन योजनाओं की जानकारी लेनी चाहिए।
8.खनिज मिश्रण का उपयोग (Use Of Mineral Mixtures)
गर्मी के दौरान, पशुओं के आहार में खनिज मिश्रण शामिल करना चाहिए, जिससे उनके शरीर में आवश्यक खनिजों की पूर्ति हो सके। यह उनकी सेहत और दुग्ध उत्पादन को बनाए रखने में मदद करता है।
9.आहार में परिवर्तन की सावधानी (Caution In Dietary Changes)
आहार में किसी भी प्रकार का परिवर्तन धीरे-धीरे करें, ताकि पशु का पाचन तंत्र नए आहार के साथ अनुकूलित हो सके और किसी भी प्रकार की पाचन समस्या न हो।
10.पशु आवास का प्रबंधन (Management of animal habitats)
गर्मी के मौसम में पशुओं को ठंडा और हवादार आवास प्रदान करें। छायादार स्थानों की व्यवस्था करें और पशुशाला में वेंटिलेशन का ध्यान रखें, ताकि गर्मी के प्रभाव को कम किया जा सके।
उचित पोषण, जल प्रबंधन, स्वास्थ्य देखभाल और सरकारी सहायता का लाभ उठाकर, गर्मी के प्रभाव को कम किया जा सकता है और डेयरी व्यवसाय को सफल बनाया जा सकता है।
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