शहर के ज्यादातर निजी अस्पतालों का विवादों से मानो चोली-दामन का साथ है. लेकिन कोसाबाड़ी क्षेत्र में मौजूद न्यू कोरबा अस्पताल ने इस कहावत को भी पीछे छोड़ दिया है. उम्मीदों का आँचल फैलाये मरीजो के साथ आएं दिन कैदियों सा सलूक अस्पताल प्रबंधन के लिए आम बात हो चुकी है.
नया मामला बीते माह के आखिरी सप्ताह का है. जानकारी के मुताबिक मुड़ापार इलाके के स्कूलपारा का रहने वाला रमजान अली पिता भोला अली पेशे से रिक्शा चालक है. बीते दिनों उसकी मासूम बेटी बुखार से तड़प रही थी. बेटी जोया को रिक्शा चालक पिता ने कोसाबाड़ी में मौजूद न्यू कोरबा हॉस्पिटल में दाखिल कराया.
बकौल रमजान अस्पताल ने उसे भरोसा दिया था कि उसकी बेटी का इलाज शासकीय योजनांतर्गत आयुष्मान कार्ड से ही हो जाएगा. बेटी के इलाज के इस ढांढस से रमजान निश्चिन्त हो गया और बेटी की बेहतरी के दुआ करने लगा. लेकिन इसके बाद हमेशा की तरह न्यू कोरबा हॉस्पिटल ने अपना रंग दिखाना शुरू किया. उन्होंने रिक्शा चालक पिता से इलाज के एवज में दूसरे ही दिन दस हजार रुपये की मांग कर डाली. इतनी राशि की बात सुनकर रमजान के हाथ-पांव फूल गए. उसने प्रबंधक को अपनी माली हालत के बारे बताया कि वह मामूली रिक्शा चालक है. महज इलाज के लिए इतनी रकम की व्यवस्था कर पाना भी उसके लिए मुश्किल है.
लेकिन न्यू कोरबा अस्पताल हमेशा की तरह अपने जिद पर अड़ा रहा. संवेदनाओं की आहुति दे चुके प्रबंधन का दिल नही पसीजा और वह लगातार रकम की मांग करते रहे. बदहवास बाप ने इसकी जानकारी अपने वार्ड पार्षद को आकर दी. पार्षद से हुई बातचीत में प्रबंधन राहत की बात करने लगा. दो दिन तक बीमार बेटी का उपचार जारी रहा लेकिन उसकी सेहत में कोई खास सुधार नही हुआ. इसी बीच उन्होंने मान मनौव्वल के बाद उधार की रकम 35 सौ रुपये प्रबंधन के पास जमा कराए.
लेकिन दूसरी ओर बच्ची जोया की हालत और भी बिगड़ती जा रही थी. इसी बीच डॉक्टरों ने जोया को रायपुर के अस्पताल रैफर करने की सलाह दी. रमजान इसके लिए तैयार था. लेकिन न्यू कोरबा हॉस्पिटल ने अपनी हठधर्मिता एक बार फिर दिखाई और बच्ची को डिस्चार्ज करने और रायपुर भेजने के एवज में फिर 32 सौ रुपये की मांग करने लगा. इस तरह न्यू कोरबा अस्पताल ने फिर एक बार अपने व्यवसायिक लाभ के लिए मरीज और उनके परिजन को प्रताड़ित करने का काम किया.
पीड़ित बच्ची जोया के पिता ने इन पूरे मामले की शिकायत जिला कलेक्टर कार्यालय से की है. उन्होंने लिखित में एक आवेदन भी सौंपा है जिसमे न्यू कोरबा हॉस्पिटल के कारगुजारियों का कच्चा चिट्ठा खोला है. रमजान ने शिकायत के अलावा आमजनों से बेटी के इलाज में आर्थिक सहयोग की अपील भी है.
गौरतलब है कि कोरबा के ज्यादातर निजी अस्पताल इन दिनों बेलगाम हो चुके है. आये दिन अस्पताल प्रबंधन गरीब निरीह मरीजो के परिजनों को पैसे के लिए प्रताड़ित करता रहा है. भुगतान नही होने पर वह दाखिल मरीजो को बंधक बनाने से भी गुरेज नही करते. बात करे इसी अस्पताल की तो हफ्ते भर पहले भी एक मरीज के परिजन के साथ बदसलूकी करते हुए जातिगत गाली गलौच किये जाने का मामला भी सामने आया था. इस पर अभी कार्रवाई लंबित है तो वही इस नए विवाद ने जन्म ले लिया है. देखना दिलचस्प होगा कि स्वास्थ्य विभाग किस तरह इस आपात सेवा के व्यावसायिक इस्तेमाल में जुटे रसूखदार अस्पतालों से निबटता है.