किसानों के लिए वरदान की खेती है बांस, नहीं होती कीट प्रकोप जैसी समस्याएं

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बिलासपुर जिला में राज्य भर में चल रही पौधरोपण योजना में बांस की खेती को प्राथमिकता दी जा रही है, जो आश्चर्य का विषय है। दरअसल, इसके पीछे कारण है शोध के द्वारा प्राप्त हुए बांस के अनेक गुण। यह गुण न सिर्फ जलवायु परिवर्तन के दौर में किसानों की आय को बढ़ाने में सहायक हैं, बल्कि लगभग शून्य लागत में अधिक लाभ देने वाली फसल भी है। पारंपरिक खेती में बढ़ती लागत के कारण किसानों का रुझान अब ऐसी फसलों की ओर बढ़ रहा है, जिनकी लागत कम हो। बांस की खेती ने अपने गुणों और लाभों के कारण किसानों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। रासायनिक और जैविक खाद के बिना तैयार होने वाली यह फसल तेजी से विस्तार पा रही है। बांस एकमात्र ऐसा पौधा है, जिसे सबसे कम पानी की जरूरत होती है और यह जलवायु परिवर्तन के दौर में भी सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है।


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बोनी और फसल की प्रक्रिया
बांस की बोनी के लिए मार्च का महीना सबसे उपयुक्त माना जाता है। दोमट मिट्टी, जिसका पीएच मान 6.5 से 7.5 हो, बांस की अच्छी पैदावार देती है। बोनी के पहले सप्ताह में ही पौधे निकलने लगते हैं। एक हेक्टेयर में 625 पौधों के रोपण के बाद, पांचवे वर्ष में 3125 और आठवें वर्ष में 6250 बांस के पौधे तैयार हो जाते हैं। बीच के समय में आवश्यकता अनुसार और भी कटाई की जा सकती है। बांस की बोनी के लिए बीज के अलावा जड़, कलम या शाखाएं भी लगाई जा सकती हैं।


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बांस देता है दोहरा लाभ
बांस की सतत लाभ देने वाली फसल के बीच की खाली जगह में अदरक, हल्दी और सफेद मूसली की भी खेती की जा सकती है। यह दोहरा लाभ देता है। सबसे बड़ा फायदा यह है कि बांस की फसल के लिए न रासायनिक खाद की जरूरत होती है, न जैविक खाद की। इसके अलावा, यह फसल न्यूनतम पानी में भी तैयार हो जाती है और कीट प्रकोप जैसी समस्याएं भी नहीं होती हैं।


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बांस के पोधे को लेकर एक दिलचस्प तथ्य
दिलचस्प तथ्य भी बांस वन्य जगत का एकमात्र ऐसा पौधा है, जो अपनी पूरी आयु जीने के बाद ही मरता है। इसकी उम्र 32 से 48 वर्ष मानी जाती है। बांस को भूमि संरक्षण और मिट्टी कटाव रोकने में सबसे सक्षम माना जाता है। पर्यावरण की रक्षा में इसका योगदान अमूल्य है क्योंकि यह वायुमंडल से 66 प्रतिशत अधिक कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है और उतनी ही मात्रा में ऑक्सीजन प्रदान करता है।


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युवा किसानों का हरा सोना
बांस प्रकृति की अद्भुत देन है। विभिन्नता और संख्या की दृष्टि से किसी अन्य पौधे के इतने उपयोग नहीं होते जितने बांस के होते हैं। मानव जीवन में बांस की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही है।


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