अपना घर हर किसी का सपना होता है। भारतीय समाज में स्वयं के घर की बहुत वैल्यू होती है। ऐसे में हर इंसान अपनी लाइफ में एक घर तो लेना चाहता ही है। महंगाई के इस दौर में प्रॉपर्टी के रेट आसमान पर पहुंच गये हैं। घर खरीदना किसी भी व्यक्ति के जीवन की सबसे बड़ी खरीदारी होती है। ऐसे में इतनी रकम एक साथ अरेंज कर पाना आसान नहीं होता। यही कारण है कि आमतौर पर घर खरीदार होम लोन लेते हैं। इस समय कई बैंक और एनबीएफसी अपने ग्राहकों को होम लोन ऑफर कर रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि होम लोन लेते समय कौन कौन-से चार्जेज लगते हैं? आइए जानते हैं।
इसे भी पढ़े :-प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी 2.0 को मंजूरी, मिलेगा 25 लाख का लोन सब्सिडी भी, कम ब्याज पर
एप्लिकेशन फीस
आपके होम लोन आवेदन की प्रोसेसिंग के लिए एप्लिकेशन फीस ली जाती है। इस फीस का आपको लोन मिले या न मिले, इससे कोई लेना-देना नहीं होता है और यह गैर वापसी होता है। अगर किसी बैंक या एनबीएफसी में आप एप्लिकेशन जमा कर देते हैं और इसके बाद आपका इरादा बदल जाता है, तो आपकी ऐप्लिकेशन फीस बर्बाद हो जाएगी। इसलिए एप्लिकेशन देने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि आपको किस बैंक या एनबीएफसी से लोन लेना है।
कमिटमेंट फीस
कुछ वित्तीय संस्थान लोन की प्रोसेसिंग और मंजूरी हो जाने के बाद एक निर्धारित समय अवधि के अंदर लोन नहीं लेने की स्थिति में कमिटमेंट फीस वसूलते हैं। यह एक ऐसी फीस है जो अवितरित लोन पर वसूली जाती है।
इसे भी पढ़े :- फोनपे से लोन तुरंत, घर बैठे लाखों तक मिलेगा पैसा, जाने कैसे
लीगल फी
वित्तीय संस्थान आमतौर पर प्रॉपर्टी का लीगल स्टेटस पता करने के लिए बाहरी वकीलों को नियुक्त करते हैं। इसके लिए वकील जो फीस लेते हैं, वह वित्तीय संस्थान अपने ग्राहकों से वसूलते हैं। लेकिन, अगर इस प्रॉपर्टी को संस्थान ने पहले ही कानूनी रूप से मंजूरी दे दी है तो यह चार्ज नहीं लिया जाता है। आपको संस्थान से पता करना चाहिए कि जिस प्रॉजेक्ट में आप निवेश करने जा रहे हैं, कहीं उसको पहले से मंजूरी मिली तो नहीं है। इस तरह से आप लीगल फीस बचा सकते हैं।
मॉर्गिज डीड फीस
होम लोन लेते समय यह एक बड़ा चार्ज है जो आपको देना होता है। यह आमतौर पर होम लोन के पर्सेंटेज के रूप में होता है और लोन लेने के लिए अदा की जाने वाली कुल राशि का यह एक बड़ा हिस्सा होता है। कुछ संस्थान होम लोन प्रॉडक्ट को अधिक आकर्षक बनाने के लिए इस फीस को माफ भी कर देते हैं।
प्रीपेमेंट पेनल्टी
प्रीपेमेंट का मतलब है कि लोनधारक पूरा या बाकी लोन अवधि समाप्त होने से पहले ही जमा कर देता है। इससे बैंक को ब्याज दर का नुकसान होता है, इसलिए कुछ हद तक इस नुकसान की भरपाई के लिए बैंक पेनल्टी लगाते हैं। अलग-अलग बैंकों में ये चार्ज अलग होते हैं। यह लोन के टाइप पर भी निर्भर करता है। लेकिन, आरबीआई ने फ्लोटिंग इंट्रेस्ट रेट पर लिए गए होम लोन्स पर प्रीपेमेंट पेनल्टी नहीं वसूलने का सभी बैंकों को निर्देश दिया है। फिक्स्ड रेट होम लोन्स के लिए फ्लैट रेट पर प्रीपेमेंट पेनल्टी ली जाती है जो पहले अदा की जाने वाली राशि का 2 फीसदी तक होती है।
इसे भी पढ़े :- फोन पे से हर दिन कमाएं 500 से 1000 तक, जाने कैसे