GST में बड़ी राहत: सस्ता होगा सामान, अर्थव्यवस्था में लौटेगी रफ्तार

नई दिल्ली 
भारत के लिए आने वाला साल आर्थिक दृष्टि से बेहतर रहने की उम्मीद है, क्योंकि उपभोक्ता खर्च यानी कंजम्पशन मोमेंटम मजबूत रहेगा। इसे कम महंगाई, गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) में कटौती के लंबे समय तक असर और इनकम-टैक्स व पॉलिसी रेट्स में ढील का समर्थन मिलेगा। ये वही कारण हैं जिन्होंने 2025 में मांग बढ़ाई और आने वाले साल में भी भरोसा बनाए रखेंगे।

HDFC बैंक की प्रिंसिपल इकोनॉमिस्ट साक्षी गुप्ता के अनुसार हाल के ट्रेंड्स को देखकर कहा जा सकता है कि 2026 में कंजम्पशन मोमेंटम काफी मजबूत स्थिति में होगा, जो आगे की ग्रोथ के लिए अच्छा आधार तैयार करता है। इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के एसोसिएट डायरेक्टर पारस जसराय के मुताबिक, कंजम्पशन में वृद्धि के प्रमुख कारण कम महंगाई और सैलरी में सुधार हैं। अक्टूबर में खुदरा महंगाई 0.25% के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गई, जबकि 2025 के पहले 10 महीनों में यह औसतन 2.5% रही, पिछले साल इसी समय यह 4.9% थी।

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मिडिल-इनकम कंजम्पशन बढ़ेगा
नोमुरा के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर ऑरोदीप नंदी ने बताया कि कम महंगाई 2026 में भी रहने की उम्मीद है, जिससे घरों की असली कमाई और कंपनियों के मुनाफे को समर्थन मिलेगा। इसका असर मिडिल-इनकम वर्ग की खरीदारी पर पड़ेगा, जबकि तेज ग्रोथ अमीर खरीदारों की तरफ से आएगी। जुलाई-सितंबर में निजी खपत तीन तिमाहियों के उच्चतम 7.9% पर पहुंच गई थी, पिछली तिमाही में यह 7% थी और FY26 की पहली छमाही में यह 7.5% रही। केयरएज रेटिंग्स की चीफ इकोनॉमिस्ट रजनी सिन्हा को उम्मीद है कि रफ्तार बनी रहेगी, हालांकि H2FY26 में निजी खपत लगभग 7.3% और FY27 में 7% पर आ सकती है, क्योंकि पिछले साल का बेस इफेक्ट कम हो रहा है और त्योहारों के बाद मांग घट सकती है।

ग्रामीण और शहरी खपत
ग्रामीण और शहरी खपत में भी सुधार की उम्मीद है। ग्रामीण इलाकों में वेतन बढ़ने और खेती के अच्छे उत्पादन के कारण खर्च बढ़ेगा, लेकिन फॉर्मल जॉब मार्केट पर नजर रखना जरूरी है। क्वांटइको रिसर्च की इकोनॉमिस्ट युविका सिंघल के मुताबिक नौकरी और आय की स्थिति शहरी कंजम्पशन मोमेंटम के लिए महत्वपूर्ण है। शहरी खपत को रोजमर्रा की चीज़ों से लेकर प्रीमियम प्रोडक्ट्स तक बढ़ाने की आवश्यकता है, क्योंकि अभी यह केवल प्रीमियम सेगमेंट में ही बेहतर प्रदर्शन कर रही है।
 

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