नई दिल्ली
भारतीय खिलाड़ियों के फिटनेस का स्तर उठाने के लिए मुख्य कोच गौतम गंभीर और कंडिशनिंग कोच एड्रियन ले रॉक्स ने ब्रोन्को टेस्ट शुरू किया है। अब यह मौजूदा यो-यो टेस्ट और 2 किलोमीटर दौड़ के साथ नया बेंचमार्क होगा। बीसीसीआई ने इस टेस्ट को शुरू भी कर दिया है और कुछ खिलाड़ी बेंगलुरु जाकर इसका टेस्ट भी दे चुके हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय क्रिकेटरों के लिए ब्रोन्को टेस्ट का विचार स्ट्रेंड ऐंड कंडिशनिंग कोच ले रॉक्स ने दिया था जो इस साल जून में ही भारतीय टीम से जुड़े थे। इससे पहले वह 2000 के दशक में भी एक बार भारतीय टीम के साथ जुड़े थे। वह दक्षिण अफ्रीकी टीम, कोलकाता नाइट राइडर्स और पंजाब किंग्स के साथ भी काम कर चुके हैं।
ब्रोन्को टेस्ट का फैसला यूं ही नहीं किया गया। इंग्लैंड के खिलाफ हालिया 5 टेस्ट मैच की सीरीज के दौरान टीम मैनेजमेंट ने ध्यान दिया कि कुछ तेज गेंदबाजों का फिटनेस लेवल उच्च स्तर का नहीं है। मोहम्मद सिराज इकलौते ऐसे तेज गेंदबाज रहे जिन्होंने एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी के सभी 5 मैच खेले। इससे तेज गेंदबाजों के फिटनेस लेवल को लेकर चिंता बढ़ी। इंग्लैंड दौरे के बाद ले रॉक्स ने ब्रोन्को टेस्ट का सुझाव दिया ताकि तेज गेंदबाज अपने रनिंग वर्कलोड और क्षमता को बढ़ा सके।
मुख्य कोच गौतम गंभीर ने इस आइडिया का समर्थन किया और अब बीसीसीआई ने इसे लागू कर दिया है। आगे से अब खिलाड़ियों के फिटनेस का आकलन यो-यो टेस्ट, 2 किलोमीटर की समयबद्ध दौड़ और ब्रोन्को टेस्ट तीनों के आधार पर होगा।
क्या होता है ब्रोन्को टेस्ट?
ब्रोन्को टेस्ट परंपरागत तौर पर रग्बी में होता है। इसमें खिलाड़ी सबसे पहले 20 मीटर की शटल रन को पूरा करता है। उसके बाद 40 मीटर और 60 मीटर की दौड़ लगानी पड़ती है। इन तीनों दौड़ को मिलाकर एक बनता है और खिलाड़ी को बिना रुके हुए ऐसे 5 सेट पूरे करने होते हैं। इसके लिए समयसीमा 6 मिनट रखी गई है जिसमें खिलाड़ी कुल करीब 1200 मीटर की दौड़ लगानी होगी। ब्रोन्को टेस्ट को बेंगलुरु स्थित बीसीसीआई के सेंटर ऑफ एक्सिलेंस में शुरू किया जा चुका है और कुछ सीनियर खिलाड़ी वहां जाकर टेस्ट भी दे चुके हैं।