देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई है। कोर्ट का कहना है कि जब केंद्र सरकार अगले वर्ष मार्च में पूरे देश में बीएस-6 ईंधन और इंजन से चलने वाले वाहनों को मंजूरी देने का दावा कर रही है।
ऐसे में दिल्ली पुलिस जेल और कैदियों को लाने ले जाने के लिए बीएस-4 ईंधन और इंजन वाले 97 वाहन क्यों खरीद रही है? बता दें कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही ये आदेश दे चुका है कि एक अप्रैल 2020 से बीएस4 वाहनों की बिक्री और रजिस्ट्रेशन नहीं होंगे।
वहीं केंद्र सरकार भी तीन वर्ष पहले कह चुकी है कि बीएस5 मानकों से आगे बढ़कर वर्ष 2020 तक बीएस6 मानक लागू कर दिए जाएंगे। ग्रीनपीस एयर विजुअल की रिपोर्ट को मानें तो दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित 30 शहरों में 22 शहर भारत के हैं।
जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों की एक सूची जारी की है। इसमें वो शहर शामिल हैं जिनकी आबोहवा प्रदूषित है।
भारत के लिए चिंता की बात
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में शामिल 15 शहरों में से 14 भारत के हैं। ऐसे में भारत के लिए यह चिंता की बात है। इसका साफ अर्थ यह भी है कि सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार का वाहनों के लिए नया मानक तय करना बेहद फायदेमंद साबित होगा।
देश में बिकने वाली सभी कंपनियों की डीजल कारें बीएस6 (भारत स्टेज 6) मानक की वजह से प्रभावित होंगी। दरअसल बीएस6 मानक लागू होने के बाद इन कारों की कीमत में वृद्धि हो सकती है। वैसे भी डीजल कारें अपने पेट्रोल वर्जन के मुकाबले महंगी होती हैं।
बीएस6 मानक लागू होने पर इसी के अनुरूप ईंधन भी बिक्री के लिए तैयार होगा। सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय ने बीएस-6 लागू करने की अधिसूचना वर्ष 2017 में ही लागू कर दी थी। हालांकि वाहन निर्माता कंपनियों ने अधिसूचना के खिलाफ समय सीमा बढ़ाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपील कर दी थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।
अब पहले चरण में चारों महानगरों सहित जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, राजस्थान, पश्चिमी यूपी सहित कुछ शहरों में बीएस-6 मानक लागू किया जाएगा। इसके बाद उत्सर्जन के नए नियम देशभर में लागू किए जाएंगे।
आखिर क्या होता है बीएस?
साल 2000 में केंद्र सरकार ने यूरोपीय मानकों को भारतीय परिस्थितियों के अनुरूप अपनाते हुए बीएस यानि भारत स्टेज की शुरूआत की थी। यह वाहनों से होने वाले प्रदूषण के उत्सर्जन का मानक है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत आने वाला केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इसे तय करता है।
बीएस6 के लिए नाइट्रोजन से ऑक्साइड को फिल्टर करने के लिए सेलेक्टिव कैटेलिटिक रिडक्शन तकनीक का इस्तेमाल अनिवार्य होगा।
बीएस6 के लिए विशेष प्रकार के डीजल पार्टिकुलेट फिल्टर बनाने की जरूरत होगी। इसके लिए बोनट के अंदर ज्यादा जगह भी चाहिए होगी। (एजेन्सी )