राजस्थान हाईकोर्ट ने नाबालिग से रेप के आरोपी प्रेमी के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द कर दी. कोर्ट ने यह कहते हुए FIR रद्द कर दी कि लड़की और आरोपी एक-दूसरे से प्रेम करते थे. साथ ही लड़की भले ही नाबालिग थी लेकिन उसने शारीरिक संबंध बनाने की सहमति दी थी. न्यायमूर्ति दिनेश मेहता की एकल पीठ ने कहा कि गलती या भूल, जो अपराध की वजह बनी, दो व्यक्तियों के ‘अपरिपक्व कृत्य और अनियंत्रित भावनाओं’ के कारण की गई है. इनमें से एक अभी नाबालिग है.
बीते 13 नवंबर को दिए अपने फैसले में न्यायमूर्ति मेहता ने कहा कि लड़की अपने रुख पर कायम है कि उसने शारीरिक संबंध के लिए सहमति दी थी और दोनों के माता-पिता ने उन्हें माफ कर दिया है. वह विवाह योग्य आयु होने पर आरोपी से शादी करने का इरादा रखती है. पेट दर्द की शिकायत पर लड़की को अस्पताल ले जाने और डॉक्टर द्वारा गर्भवती बताए जाने के बाद याचिकाकर्ता के खिलाफ मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
पीड़िता ने बाद में एक बच्चे को जन्म दिया. जोधपुर पुलिस ने IPC की धारा 376 (बलात्कार) और पॉक्सो अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत लड़की के बयान दर्ज करने के बाद मामला दर्ज किया था. याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का रुख करते हुए उसके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने का अनुरोध किया. याचिका में कहा गया कि पीड़ित पक्ष ने खुद उसके साथ समझौता कर लिया है.(Agency)