अब टोल टैक्स नहीं भरने पर क्रेडिट स्कोर पर पढ़ेगा असर, टोल नीति में बदलाव, फास्टैग का सारा रेकॉर्ड NCPI और बैंकों के पास

अब टोल टैक्स नहीं भरने पर क्रेडिट स्कोर पर पढ़ेगा असर, टोल नीति में बदलाव, फास्टैग का सारा रेकॉर्ड NCPI और बैंकों के पास

अब टोल टैक्स नहीं भरने पर क्रेडिट स्कोर पर पढ़ेगा असर, टोल नीति में बदलाव, फास्टैग का सारा रेकॉर्ड NCPI और बैंकों के पास : अब टोल टैक्स नहीं भरने की आदत आपके क्रेडिट स्कोर को नुकसान पहुंचा सकती है। परिवहन मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इस मुद्दे पर गंभीर चर्चा कर रहे हैं, जिसके तहत टोल भुगतान में चूक को सिबिल स्कोर से जोड़ने का प्रस्ताव है। इस कदम का मकसद टोल संग्रह प्रणाली को मजबूत करना और वित्तीय अनुशासन को बढ़ावा देना है।

 

 

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टोल नीति में होंगे बदलाव

परिवहन मंत्रालय ने टोल भुगतान न करने वालों के खिलाफ सख्ती करने के लिए कई विकल्पों पर विचार किया है। इनमें टोल चूक को क्रेडिट रेटिंग से जोड़ना भी शामिल है, जिससे डिफॉल्टरों का सिबिल स्कोर प्रभावित हो सकता है। इसका असर यह होगा कि टोल नहीं भरने वालों को भविष्य में लोन, क्रेडिट कार्ड या अन्य वित्तीय सुविधाएं लेने में मुश्किल हो सकती है।

परिवहन मंत्रालय की RBI के साथ चर्चा

RBI के साथ चल रही चर्चा में इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि टोल भुगतान को वित्तीय जवाबदेही का हिस्सा बनाया जाए। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम न केवल टोल संग्रह में पारदर्शिता लाएगा, बल्कि डिजिटल पेमेंट सिस्टम को भी बढ़ावा देगा। हालांकि, इस प्रस्ताव को लागू करने से पहले कई तकनीकी और कानूनी पहलुओं पर विचार किया जा रहा है।

जानबूझकर टोल नहीं भरने वालों पर कार्रवाई

अब टोल टैक्स नहीं भरने पर क्रेडिट स्कोर पर पढ़ेगा असर, टोल नीति में बदलाव, फास्टैग का सारा रेकॉर्ड NCPI और बैंकों के पास : परिवहन मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “हम टोल भुगतान को और सुगम बनाने के लिए काम कर रहे हैं। फास्टैग जैसी तकनीक ने पहले ही इस प्रक्रिया को आसान बनाया है, लेकिन कुछ लोग जानबूझकर भुगतान से बचते हैं। ऐसे में सिबिल स्कोर से जोड़ना एक प्रभावी कदम हो सकता है।” उधर, इस प्रस्ताव पर कुछ लोगों ने चिंता भी जताई है। उनका कहना है कि छोटी-मोटी चूक के लिए सिबिल स्कोर को प्रभावित करना उचित नहीं होगा। इस पर मंत्रालय का कहना है कि केवल बार-बार और जानबूझकर टोल नहीं भरने वालों पर ही कार्रवाई की जाएगी।

फास्टैग का सारा रेकॉर्ड NCPI और बैंकों के पास

यह व्यवस्था उन लोगों के लिए फायदेमंद होगी, जो कम दूरी यानी रोज 40-50 किलोमीटर की यात्रा करते हैं लेकिन बीच में टोल पडऩे के कारण उन्हें अभी तक 150-200 रुपए का टोल भरना पड़ता है, पर नई व्यवस्था में 40 किमी चलने पर प्रति किमी 2.75 रुपए के हिसाब से 110 रुपए टोल देना होगा। फास्टैग के ब्लैकलिस्ट होने संबंधी रेकॉर्ड को व्यक्ति के सिबिल स्कोर से जोडऩे के लिए एनपीसीआइ और आरबीआइ के साथ चर्चा चल रही है। टोल को सिबिल स्कोर से जोडऩे को लेकर लगभग सहमति है, क्योंकि फास्टैग का सारा रेकॉर्ड एनसीपीआइ और बैंकों के पास उपलब्ध है। लिखित सहमति बनने के बाद उसे आसानी से व्यक्ति के सिबिल स्कोर के साथ अपडेट किया जा सकेगा।

ये प्रावधान संभव

फास्टैग वॉलेट में एक न्यूनतम बैलेंस रखना होगा। अगर पैसे कम हुए और आपने टोल नहीं भरा, तो फास्टैग ब्लैकलिस्ट हो जाएगा। इसे दोबारा चालू करने के लिए रिचार्ज करना पड़ेगा।

हालांकि, वाहन चालकों को शुल्क भरने के लिए एक निश्चित समय मिलेगा। न्यूनतम बैलेंस न होने पर बैंक के जरिए ग्राहकों को ई-मेल व एसएमएस भेजा जाएगा।

फास्टैग ब्लैकलिस्ट होने के बाद भी अगर 2-3 दिन में पैसे नहीं जमा किए, तो टोल की रकम का 3-5 गुना जुर्माना लगेगा। साथ ही यह लापरवाही आपके सिबिल स्कोर में दर्ज होगी, जो भविष्य में लोन लेने में रुकावट बनेगी।

बार-बार नियम तोडऩे पर आपका फास्टैग परमानेंट ब्लॉक हो सकता है। इसके बाद वाहन का इंश्योरेंस या प्रदूषण सर्टिफिकेट भी नहीं बनेगा।

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