छत्तीसगढ़ राज्य का गठन साल 2000 में हुआ था. यह तो आप सभी को पता होगा, लेकिन क्या आपको पता है कि छत्तीसगढ़ का नाम छत्तीसगढ़ कैसे पड़ा? राज्य के नाम के पीछे भी रोचक कहानी है. मध्य प्रदेश से अलग होकर 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ अस्तित्व में आया था. राज्य का पौराणिक नाम वैसे तो कौशल राज्य है| यह नाम छत्तीसगढ़ के करीब 300 साल पहले गोंड जनजाति के शासन के दौरान मिला था. गोंड राजाओं के 36 किले थे. किलों को गढ़ भी कहते हैं. इस लिहाज से कहा जाता है कि इस कारण राज्य का नाम छत्तीसगढ़ पड़ा.
आजादी के बाद राज्यों का जो नया बंटवारा हुआ उसमें पहले सी.पी. एंड बरार और बाद में मध्य प्रदेश का हिस्सा बने छत्तीसगढ़ ने कई तरह की उपेक्षाओं को महसूस किया। एक तरफ, मध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री पं. रविशंकर शुक्ल थे, जो छत्तीसगढ़ अंचल के ही थे, तो दूसरी तरफ, पूरा का पूरा प्रशासनिक ढांचा कुछ इस ढंग से विकसित हुआ था कि छत्तीसगढ़ की सीमा के भीतर कोई प्रशासनिक केंद्र नहीं आया. शिक्षा मंडल, उच्च-न्यायालय, राजधानी जैसे प्रतिष्ठा के प्रतीक छत्तीसगढ़ के बाहर ही स्थापित हुए।
छत्तीसगढ़ का नाम कैसे पड़ा?
हालांकि छत्तीसगढ़ को छत्तीसगढ़ क्यों कहा जाता है इसके पीछे कई मत हैं. हिंदी में छत्तीस यानी 36 और गढ़ अर्थात किला या फोर्ट होता है. इस कारण राज्य का नाम छत्तीसगढ़ पड़ा. प्राचीन काल में इसे दक्षिण कौसल कहा जाता था. छत्तीसगढ़ का नाम मराठा काल में काफी लोकप्रिय हुआ था और पहली बार 1795 में अंग्रेजों के एक आधिकारिक दस्तावेज में छत्तीसगढ़ शब्द का इस्तेमाल किया गया था. कहा जाता है कि छत्तीसगढ़ देवी मंदिर के 36 स्तंभों से इसका नाम छत्तीसगढ़ पड़ा है.
छत्तीसगढ़ राज्य के नाम को लेकर यह भी कहा जाता है कि राज्य के 18-18 गढ़ शिवनाथ नदी के उत्तर और दक्षिण में थे, जिन पर कल्चुरी राजाओं का अधिकार था. इन्हीं की वजह से प्रदेश का नाम छत्तीसगढ़ पड़ा. साल 2000 में मध्य प्रदेश से अलग होकर इस राज्य का गठन किया गया. इस दौरान इसे देश के छत्तीसगढ़ 26वें राज्य के रूप में मान्यता मिली थी.
सूत्रों के अनुसार ज्यादातर इतिहासकारों का मानना है कि कल्चुरी राजाओं द्वारा 36 किले या कई गांवों को मिलाकर गढ़ बनाए गए थे। इस इलाके को कोसल या दक्षिण कोसल के तौर पर जाना जाता था। ये उस समय की बात है जब सत्रहवीं शताब्दी का दौर चल रहा था। ध्यान देने वाली बात ये है कि राजाओं के समय में छत्तीसगढ़ की राजधानी बिलासपुर के पास स्थित शहर रतनपुर, कल्चुरी हुआ करती थी।
उत्तर और दक्षिण में 18-18 गढ़
18 गढ़ उत्तर और दक्षिण में रायपुर शाखा के अंतर्गत 18 गढ़ बनाए थे। ये गढ़ शिवनाथ नदी के उत्तर में कल्चुरियों की रतनपुर शाखा के अंतर्गत बनाए गए थे।
रतनपुर राज्य के अधीनस्थ 18 गढ़ों के नाम इस प्रकार है-
रतनपुर, विजयपुर, पंडर भट्टा, पेंड्रा, केन्दा, बिलासपुर, खरौद, मदनपुर (चांपा), कोटगढ़, कोसगई (छुरी), लाफागढ़ (चैतुरगढ़), उपरोड़ागढ़, मातिनगढ़, करकट्टी-कंड्री, मारो, नवागढ़, सेमरिया।
रायपुर के अधीनस्थ 18 गढ़ों के नाम इस प्रकार है-
रायपुर, सिमगा, ओमेरा, राजिम, फिंगेश्वर, लवन, पाटन, दुर्ग, सारधा, सिरसा, अकलबाड़ा, मोहंदी, खल्लारी, सिरपुर, सुअरमार, सिंगारपुर, टैंगनागढ़, सिंघनगढ़ थे।