यहां भी उन्होंने नशा से होने वाले दुष्प्रभाव और दुष्परिणाम की जानकारी लोगों में साझा की। दोनों युवाओं ने साइकिल से लगभग 18000 किलोमीटर का सफर तय किया। उनकी यह यात्रा लगभग 11 महीने में पूरी हुई इस दौरान में सड़कों में कड़कती धूप बरसते पानी और कड़कती ठंड का भी सामना करना पड़ा| रास्ते में साईकिल का खराब होना| जंगलों में फस जाना| दूर-दूर तक मदद के लिए कोई ना मिलना| इन सब परेशानियों के बाद भी इन दोनों युवाओं ने अपना हौसला नहीं खोया और अपने अभियान की ओर आगे बढ़ते चले गए।
अवेयरनेस प्रोग्राम कर दिया सन्देश
इस दौरान इन्होंने स्कूल, कॉलेज सरकारी संस्थाओं, लाइब्रेरी, नशा मुक्ति केंद्र व युवाओं के बीच अवेयरनेस प्रोग्राम कर लोगों को नशा से दूर रहने के लिए प्रेरित किया| साथ ही शपथ दिलाया| इन दोनों का हर राज्य में स्वागत किया गया। कई कई जगह हो तो इन्हें रैली निकाल कर विदाई भी दी गई। साथ ही इस संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के लिए भी प्रेरित किया। दोनों युवाओं ने बताया कि उन्हें इस अभियान में हर राज्य के लोगों का सहयोग भरपूर मिलता गया जिससे वह इस यात्रा को पूर्ण करने में सफलता हासिल की।
असम में गुरु घासीदास जी की झलक
यात्रा के दौरान दोनों युवक असम पहुंचे जहां उन्हें छत्तीसगढ़ के ज्योतिमय पुरुष संत शिरोमणि गुरु घासीदास जी की झलक दिखाई दी| छत्तीसगढ़ से आने की खबर मिलते ही असम वासियों ने कौरी पठार तेजपुर में उनका स्वागत पंथी गीत पर नृत्य के साथ किया| साथ ही पंथी नृत्य के दौरान किए जाने वाले अद्भुत करतब भी दिखाएं। अपनी यात्रा खत्म करने से पहले दोनों छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को नशा मुक्ति पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए ज्ञापन सौंपा।
18,000 किलोमीटर का सफर
दोनों की यह यात्रा 9 मई 2023 को रायगढ़ जिला छत्तीसगढ़ से सुरु हुई थी| जो ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिल नाडु, केरल, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, एमपी, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, जम्मू, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, सिक्किम, असम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, त्रिपुरा, मिजोरम, मेघालय, पश्चिम बंगाल, झारखंड, के अलावा नेपाल ,भूटान और बांग्लादेश भी साइकिल से गए| इस दौरान दोनों अब तक लगभग 18,000 किलोमीटर की दुरी तय कर चुके है। जिसमे 28 राज्य, 5 केंद्र शासित प्रदेश और 3 देश शामिल है|
जॉब से दिया इस्तीफा
यात्रा करने वाले अमर लाल पाटले, पिता पंचू राम पाटले ग्राम जाटा जिला जांजगीर चांपा, छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं| इनकी उम्र महज 26 साल है| इन्होने B.sc Biology, Hotel management की शिक्षा हासिल की है| इससे पहले वे गुड़गांव में उत्सव योग में मैनेजर थे। जिन्हें एक साल पहले रिजाइन देकर भारत भ्रमण करने का फैसला लिया| वही हेम कुमार आजाद पिता अमृत लाल ग्राम देवगांव, तहसील – मालखरौदा ,जिला सक्ती छतीसगढ़ का रहने वाला है| इनकी उम्र 27 साल की है| इन्होने B com, Hotel Management, PGDCA का कोर्स किया हुआ है| ये भी फाइनेंस कंपनी में जॉब करते थे| जहाँ से इस्तीफा देकर भारत भ्रमण करने का मन बनाया| दोनों अच्छे दोस्त हैं|
इन्होने बताया की कई करीबी रिश्तेदार और गांव में नशे के कारण मृत्यु हो गई जिससे आहत होकर ये यात्रा शुरू की| साथ ही नशा मुक्त भारत, नशा मुक्ति का पाठ्यक्रम बच्चों को पढ़ाया जाने के उद्देश्य से यह यात्रा देश भर की|
यात्रा के 15 दिन बाद ही पिता की मृत्यु
अमर ने बताया की यात्रा के 15 दिन बाद ही उनके पिता जी की मृत्यु हो गई | तब वे ओडिशा के ब्रह्मपुर जिला पहुंचे थे, तब पिता जी के खबर सुनकर घर पहुंचा और अंतिम संस्कार करा के फिर यात्रा शुरू किया| यह उनके यात्रा का सबसे कठिन समय था|
अमर ने बताया की साईकिल में वे टेंट और खाने पीने का सामान जैसे कुकर, कड़ाही, छोटा स्टोव, बुटैन गैस, और कुछ बर्तन भी रहता है। सोने के लिए टेंट रहता है, जहां रात हुआ वहां रुक जाते हैं। ज्यादातर मंदिर, गुरुद्वारा, ढाबा, पेट्रोल पंप दिक्कत होने पर पुलिस स्टेशन में रुक जाते है।
अमर ने बताया की 2 अक्टूबर को राजस्थान के अजमेर में था तब साईकिल का ब्रेक न लगने के कारण कार में टकरा गया था| जिससे उसकी उंगली में बहुत चोट आई थी। जब वे हेम आजाद अहमदाबाद में थे| तब बैक पेन बहुत ज्यादा बढ़ गया जिससे 4 दिन रेस्ट करना पड़ा, और कई बार तो एक्सीडेंट होते होते बचे है, कई बार ऊंचाइयों से उतरते समय साईकिल का ब्रेक फेल भी हुआ है तब बाल-बाल बचे हैं।