छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित कोयला घोटाले के आरोप में जेल में बंद निलंबित आईएएस रानू साहू और कारोबारी दीपेश टांक को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है, लेकिन निलंबित आईएएस रानू साहू को राहत नहीं मिली है। दरअसल, एसीबी और ईओडब्ल्यू ने निलंबित आईएएस रानू साहू, समीर बिश्नोई और सौम्या चौरसिया के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत रिपोर्ट दर्ज कराया है। तीनों के खिलाफ अलग-अलग एफआईआर दर्ज की गई है।
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आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने निलंबित आईएएस रानू साहू पर साल 2015 से 2022 तक करीब चार करोड़ रुपए की अचल संपत्ति स्वयं के नाम से और पारिवारिक सदस्यों के नाम से खरीदने का आरोप लगाया है। उन्होंने बताया कि उनके सेवा में आने के बाद से 2022 तक का कुल वेतन 92 लाख रुपये है। निलंबित आईएएस समीर बिश्नोई का साल 2010 से 2022 तक का कुल वेतन 93 लाख रुपये है। इस अवधि में उनकी पत्नी प्रीति गोधरा के नाम से पांच करोड़ रुपये की कई अचल संपत्ति क्रय की है, जो वेतन से 500 गुना ज्यादा है।
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वहीं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के उपसचिव रही सौम्या चौरसिया ने अपने और परिवार के नाम पर नौ करोड़ 20 लाख रुपये की 29 अचल संपत्ति होना बताया है। ईओडब्ल्यू ने बताया कि साल 2021 से 2022 के बीच करोड़ों की संपत्ति खरीदी गई है। कोयला घोटाले मामले में राहू साहू एक साल से वहीं कारोबारी दीपेश टांक डेढ़ साल से जेल में बंद है। एक तरफ जहां रानू साहू को राहत मिली है।
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वहीं, दूसरी तरफ ईओडब्ल्यू ने उनके खिलाफ नई एफआईआर दर्ज की है। ईओडब्ल्यू की नई कार्रवाई के बाद माना जा रहा है कि रानू साहू को एक बार फिर मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।कोर्ट ने रानू साहू और दीपेश टांक को 7 अगस्त तक के लिए अंतरिम जमानत दी है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने बचाव पक्ष की तरफ से पैरवी की। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस भुवन की डबल बेंच ने जमानत के आदेश जारी किए।
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हालांकि ईओडब्ल्यू द्वारा दर्ज नई एफआईआर से रानू साहू, उप सचिव सौम्या चौरसिया और समीर बिश्नोई की मुश्किलें बढ़ गईं हैं। तीनों पर आय से अधिक संपत्ति और भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया है।
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