छत्तीसगढ़ में उड़ीसा का धान धड़ल्ले से खपाया जा रहा है, बिचौलियों द्वारा पिछले कई वर्षों से इस काम को अंजाम दे रहे है , छुरा विकासखण्ड में इस पर लगाम लगाने के लिए पिछले साल एस डी एम बीआर साहूऔर थानेदार कृष्ण कुमार वर्मा ने छापेमार कार्यवाही की थी, जिसकी वजह से उड़ीसा का धान खपाने में बिचौलिये को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा था | इससे उनका बहुत नुकसान हुआ था | आने वाले दिसम्बर माह में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा छुरा में समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी शुरू होने वाली है, इस बीच बिचौलियों कोछापेमार कार्यवाही की चिंता सता रही है, इसके लिए उन्होंने छुरा थानेदार को यहां से हटाने की कोशिश की जा रही है | मिली जानकारी के अनुसार बिचौलियों का कारोबार बहुत फैला हुआ है उनके इस कार्य में अधिकारी व कर्मचारी भी मदद कर रहे है | ताकि पिछले साल की तरह इस साल भी उनका कारोबार ख़राब न हो |
छत्तीसगढ़ में क्यों खपाते हैं उड़ीसा का धान
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा धान का समर्थन मूल्य 2500 रुपए रखा गया है, जबकि ओडिसा में महज 1700 रुपए है, इस हिसाब से 800 रुपए का भारी अंतर आता है, इस कारण से ओडिसा का धान यहाँ बड़ी मात्रा में खपाया जाता है |
क्या है बिचौलियों का खेल
छत्तीसगढ़ राज्य के बाहर उड़ीसा जिसकी सीमा चुरकीदादर से महज पांच किलोमीटर की दूरी है सांथ ही रसेला से भी उड़ीसा की सीमा लगी हुई है जंहा पर किसान धान की खेती करते है किन्तु उन किसानों को ओड़िसा सरकार हमारे छत्तीसगढ़ की सरकार की तरह उत्पादन का मूल्य नही देती है ओड़िसा राज्य में सरकारी मंडी में धान का मूल्य 1750 रुपये प्रति कुंटल है| जबकि अन्य दुकानों में यह राशि और भी कम हो जाती है | जिसका भरपूर लाभ छुरा क्षेत्र के बिचौलीये उठाते है जो ओडिशा से फसल कटाई के बाद धान की खरीदी कर छत्तीसगढ़ में लाते हैं और उस धान को बकायदा मंडियों में बेचा जाता है | इससे लाखों रुपयों की कमाई हो जाती है |
साहूकारों के पास जमा है किसानों की पर्चियां
किसानों को धान उगाने में आने वाले खर्च या अन्य जरुरतो के लिए पैसे की आवश्कता पड़ने पर वे साहूकारों के पास अपने खेतों की पर्ची गिरवी रख देते है | उन पर्चियों का फायदा भी ऐसे समय में ही उठाया जाता है | साथ ही कुछ किसान इस तरह के भी होते है जिनके खेत अनपजाऊ है और ना उन्होंने अपने खेत मे धान नही बोया था उस जमीन के पट्टे से व्यापारी और बिचौलियों द्वारा उन जमीनों का भी पंजीयन करवा लेते है|
कमीशन में मिलते है पर्ची
बिचौलियों को लाभ पहुँचाने के लिये चंद रुपयों की लालच में आकर अपना पट्टा दे देते है और धान खरीदी केंद्रों में पहुँचते है और जब शासन द्वारा धान का भुगतान उनके खाते में पहुँचता है तो बो आपना कमीशन लेकर सारा पैसा उस बिचौलियों को दे देते है। शासन को चुना लगाकर मुनाफा कमाते हैं सूत्रों का कहना है कि बिचौलियों और अपना पट्टा देने बालो की बीच एक सौदा होता है जिसमे समर्थन मूल्य का सारा पैसा व्यापारी और विचौलियों को मिलता है अगर सरकार बोनस देती है तो उसका आधा आधा रकम बाट लिया जाता है|