CM मोहन यादव और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने किया आध्यात्मिक कॉन्क्लेव का शुभारंभ

 उज्जैन

उज्जैन में आयोजित द्वितीय वैश्विक आध्यात्मिक पर्यटन कॉन्क्लेव का आज मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने दीप प्रज्ज्वलन कर शुभारंभ किया। इस कार्यक्रम में देश-विदेश के 300 से अधिक आध्यात्मिक गुरू, विचारक और विशेषज्ञ शामिल हुए। मुख्य वक्ता के रूप में आध्यात्मिक गुरु गौरांग दास ने उपस्थित लोगों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में सॉफ्ट पावर हमारी ताकत बनेगी। इस संकल्प के साथ सभी को जुट जाने की आवश्यकता है। चुनौतियां हैं लेकिन ये सिर्फ हमारे सामने नहीं हैं बल्कि पूरे विश्व के सामने हैं। हम एक तरफ आर्थिक, सामाजिक और सामरिक नजरिए से भी प्रगति कर रहे हैं। इसके साथ ही कल्चरल गुड्स को रिवाइव करने का काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि तीर्थाटन और संत परंपरा ने भारत को एक बनाने का काम किया है।

आध्यात्मिक पर्यटन और सांस्कृतिक विरासत पर फोकस

यह कॉन्क्लेव आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने, भारत की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और जिम्मेदार आतिथ्य पर विचार-विमर्श का महत्वपूर्ण मंच है। आयोजन का उद्देश्य भारत की समृद्ध आध्यात्मिक परंपराओं को आधुनिक दृष्टिकोण के साथ दुनिया के सामने प्रस्तुत करना और उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ-2028 की तैयारियों पर चर्चा करना है।

आज दुनिया भारत की तरफ देख रही

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि आज का काल भारत का है। दुनिया देख रही है भारत की तरफ। जिस प्रकार से पूरब, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण हर तरफ से सुखद समाचार आ रहा है। जो हमसे अपने-आपको प्रतियोगी मान रहे हैं वो असुरक्षा में जी रहे हैं, वो उनकी जानें, हम अपनी जानें। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार बाबा महाकाल से लेकर प्रदेश में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने का काम कर रही है।

ऐसे में सेवा के काम कौन-कौन से हो सकते हैं आने वाले दिनों में यात्रियों की सुविधाओं का सभी प्रकार से कैसे ध्यान रखा जाए। इन सारी व्यवस्थाओं पर विस्तार से चर्चा के लिए दिनभर सत्र चलेंगे। आज पर्यटन मंत्री जी ने कार्यक्रम का शुभारंभ भी किया। उन्होंने मोदी जी के माध्यम से देश में आ रहे परिवर्तन के दौर की बात विस्तार से रखी है। हमें बड़ी-बड़ी सौगात आपके माध्यम से मिल रही हैं। वीर दुर्गादास जी की छत्री के जीर्णोद्धार के साथ हमको शहर के विकास की सौगात भी देंगे।

ज्योतिर्लिंग सर्किट और मंदिर अर्थव्यवस्थाओं पर विशेष सत्र

कॉन्क्लेव में PHDCCI-KPMG द्वारा तैयार आध्यात्मिक पर्यटन पर विशेष रिपोर्ट भी जारी की गई। कार्यक्रम के विभिन्न सत्रों में ‘ज्योतिर्लिंग सर्किट’ पर चर्चा होगी, जिसमें भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों के महत्व और संरक्षण पर विचार किया जाएगा। वहीं ‘मंदिर अर्थव्यवस्थाएं’ सत्र में प्रमुख मंदिरों जैसे तिरुपति, वैष्णो देवी और काशी विश्वनाथ मंदिरों द्वारा स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिलने वाले लाभ पर चर्चा की जाएगी।

उज्जैन की आध्यात्मिक शक्ति और शहरी भविष्य

एक विशेष सत्र “महाकाल का मंडल: उज्जैन की आध्यात्मिक शक्ति और शहरी भविष्य” उज्जैन शहर के आध्यात्मिक महत्व, श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग और सिंहस्थ कुंभ के प्रभाव पर केंद्रित रहेगा।

आध्यात्मिकता और आधुनिकता का संगम

कॉन्क्लेव में “मन, शरीर और आत्मा: नई आध्यात्मिक सीमा के रूप में कल्याण” और “डिजिटल में दिव्य – आध्यात्मिकता 2.0” जैसे सत्र आयोजित किए गए। इनमें योग, ध्यान, आयुर्वेद के साथ डिजिटल तकनीकों जैसे वर्चुअल दर्शन, एआई और वीआर के माध्यम से आध्यात्मिकता को कैसे सुलभ बनाया जा सकता है, इस पर भी विचार होगा। कार्यक्रम का समापन प्रतिनिधियों को श्री महाकालेश्वर और श्री काल भैरव मंदिरों के दर्शन के साथ होगा। 

स्पिरिचुअल टूरिज्म में मप्र का एक भी शहर नहीं

आध्यात्मिक गुरु गौरांग दास ने कहा कि स्पिरिचुअल टूरिज्म के लिए विश्व में 10 शहर लोकप्रिय हैं। इनमें भारत के चार शहर हैं। इनमें से तीन नार्थ इंडिया के हैं। प्रयागराज, अयोध्या में हर साल 5 करोड़ लोग आते हैं। तीसरा शहर है तिरुपति जहां तीन से चार करोड़ लोग हर साल पहुंचते हैं। चौथा शहर है वाराणसी। अभी तक मध्यप्रदेश का कोई शहर इसमें नहीं है। हमारी हार्दिक इच्छा है कि मुख्यमंत्री की पहल से जल्द ही उज्जैन का नाम इन शहरों में शामिल होगा।

उन्होंने कहा कि आज से 20 साल पहले जब उज्जैन में इस्कॉन मंदिर आने वाला था तब हमारे यहां 500 करोड़ का एक प्रकल्प प्लानिंग में था, लेकिन कुछ कारणवश वो प्रकल्प नहीं हो पाया। उस समय हमारे गुरु महाराज ने निर्णय लिया कि मध्यप्रदेश नहीं तो कहीं और लेकर आएंगे। तब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव उज्जैन डेवलपमेंट अथॉरिटी के चेयरमैन थे। उन्होंने हमारे महाराज जी से व्यक्तिगत रूप से संपर्क किया और अनुरोध किया कि मध्य प्रदेश के लिए यह बहुत जरूरी है कि यह संस्था आए।

विश्व में कई सारे शहर हैं जो कुछ विशेष योजनाओं के लिए विकसित किए गए हैं जैसे लॉस बेगॉस। यह इंटरटेनमेंट और नाइट लाइफ के लिए जाना जाता है। धर्म की भाषा में कहें तो सारे पाप कर्म वहां होते हैं। पाप कर्मों के लिए विशेष शहर बनाया गया है, आप कल्पना कीजिए। मुंबई फिल्म मेकिंग का हब माना जाता है। सूरत टेक्सटाइल हब माना जाता है, लेकिन एक अत्याधुनिक शहर जो पूरा आध्यात्मिक प्रकल्पों के साथ आध्यात्मिक चेतना को विकसित करने के लिए अभी भी देखना बाकी है। हमें यह खुशी है कि उसकी पहल हमारे मुख्यमंत्री उज्जैन से कर रहे हैं।

श्रीकृष्ण पाथेय यानि जहां-जहां श्रीकृष्ण आए हैं उन्हें विकसित करने की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री मोहन यादव ने लिया है। महाकाल कॉरिडोर आने के बाद उज्जैन का काफी विकास हुआ है। भारत की जीडीपी का 2.5 प्रतिशत स्पिरिचुअल टूरिज्म से आता है।

दीप प्रज्जवलित कर किया सम्मेलन का शुभारंभ

इससे पहले मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने दीप प्रज्जवलित कर द्वितीय वैश्विक आध्यात्मिक पर्यटन सम्मेलन का शुभारंभ किया। सम्मेलन में देश भर से लोग आए हैं। यहां वीर दुर्गादास की छत्री के संरक्षण एवं विकास कार्यों का भूमिपूजन किया। सम्मेलन में 12 ज्योतिर्लिंगों, मंदिर अर्थव्यवस्थाओं और उज्जैन की आध्यात्मिक शक्ति पर विशेष सत्र आयोजित किए जा रहे हैं।

सम्मेलन पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) द्वारा पर्यटन मंत्रालय और मध्यप्रदेश पर्यटन बोर्ड के सहयोग से होटल अंजुश्री में आयोजित किया जा रहा है। इस मौके पर पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (PHDCCI) के अध्यक्ष संजीव अग्रवाल ने कहा कि भारत को वैश्विक स्तर पर आध्यात्मिक पहचान दिलाने की दिशा में कार्य हो रहे हैं।

उज्जैन और ओंकारेश्वर जैसे धार्मिक स्थलों पर देशभर से श्रद्धालु लगातार आ रहे हैं। उन्होंने आग्रह किया कि आगामी कुंभ मेले में PHDCCI को भी शामिल किया जाए। पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव शिव शेखर शुक्ला ने कहा कि धार्मिक टूरिज्म 20 प्रतिशत बढ़ गया है। टॉप 5 में प्रदेश के सभी धार्मिक शहर हैं। गौरांग दास उज्जैन का नाम देश के टॉप 5 शहरों में शामिल होगा। भारत की जीडीपी का 2.5% सिर्फ आध्यात्मिक टूरिज्म से आता है। सबके प्रयास से इसे बढ़ाकर 13 प्रतिशत किया जा सकता है।

सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर पर तेजी से काम कर रही

पर्यटन समिति के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने कहा कि भारत अब दुनिया का एक प्रमुख टूरिज्म सेंटर बनता जा रहा है। उन्होंने जानकारी दी कि पिछले कुंभ में 64 करोड़ से अधिक श्रद्धालु शामिल हुए थे। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा घाट, हेलीपैड और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर पर तेजी से काम किया जा रहा है। साथ ही उन्होंने जोर देकर कहा कि अब केवल संरचनात्मक विकास ही नहीं, बल्कि कम्युनिटी डेवलेपमेंट (सामुदायिक विकास) पर भी फोकस करने की जरूरत है।

विकास कार्यों का भूमिपूजन

सीएम डॉ. मोहन यादव एवं केंद्रीय मंत्री ने वीर दुर्गादास की छत्री पर मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति विभाग और संचालनालय पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय द्वारा किए जा रहे संरक्षण, संवर्धन और विकास कार्यों का भूमि पूजन किया

सिंहस्थ 2028 की तैयारियों पर फोकस

इस सम्मेलन का मकसद आगामी सिंहस्थ-2028 की तैयारियों, कॉर्पोरेट समूहों और मंदिर ट्रस्ट समूहों तक सीधी पहुंच बनाना है। इसमें देश-विदेश से आए 300 से अधिक महानुभाव, विचारक और आध्यात्मिक गुरु शामिल होंगे।

12 ज्योतिर्लिंगों और अर्थव्यवस्था पर चर्चा

कार्यक्रम में विशेष सत्र ‘ज्योतिर्लिंग सर्किट’ पर होगा, जिसमें भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों के महत्व और संरक्षण पर चर्चा की जाएगी। वहीं ‘मंदिर अर्थव्यवस्थाएं: आस्था और आजीविका का संगम’ विषय पर यह बताया जाएगा कि तिरुपति, वैष्णो देवी और काशी विश्वनाथ जैसे प्रमुख मंदिर स्थानीय अर्थव्यवस्था को किस तरह मजबूती देते हैं।

इन विषयों पर आयोजित होंगे सत्र

    मंदिर अर्थव्यवस्थाएं: आस्था और आजीविका का संगम–कैसे मंदिर सर्किट स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को मजबूती देते हैं।
    महाकाल का मंडल: उज्जैन की आध्यात्मिक शक्ति और शहरी भविष्य–विरासत और आधुनिकीकरण पर चर्चा।
    मन, शरीर और आत्मा: नई आध्यात्मिक सीमा के रूप में वेलनेस – योग, आयुर्वेद और कल्याण का एकीकरण।
    डिजिटल में दिव्य – आध्यात्मिकता 2.0 – एआई, वीआर और मोबाइल एप्स का आध्यात्मिक पहुंच पर प्रभाव।
    पवित्र धुरी के संरक्षक: ज्योतिर्लिंग सर्किट – 12 ज्योतिर्लिंगों के सांस्कृतिक महत्व पर विमर्श।

महाकालेश्वर-काल भैरव मंदिर भ्रमण

सम्मेलन में शामिल अतिथि और प्रतिनिधि श्री महाकालेश्वर मंदिर और काल भैरव मंदिर भी जाएंगे, ताकि उज्जैन की आध्यात्मिक विरासत का अनुभव कर सकें। इसी मौके पर पीएचडीसीसीआई-केपीएमजी की रिपोर्ट ‘आस्था और प्रवाह: भारत के पवित्र स्थलों में जनसमूह का मार्गदर्शन’ का भी विमोचन किया जाएगा।

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