नई दिल्ली
सीपी राधाकृष्णन को भाजपा ने उपराष्ट्रपति पद का कैंडिडेट बनाया है, जिस पर एनडीए के सभी दलों ने सहमति जताई है। विपक्षी अलायंस ने भी पूर्व जस्टिस सुदर्शन रेड्डी को चुनाव में उतार दिया है। अब 9 सितंबर का इंतजार है, लेकिन नतीजा पहले से ही तय माना जा रहा है कि सीपी राधाकृष्णन को चुनाव जीतने में ज्यादा कठिनाई नहीं होगी। भाजपा के सूत्र मानते हैं कि यह मसला सिर्फ उपराष्ट्रपति चुनाव में जीत का नहीं है बल्कि समीकरण साधने का भी है। इसीलिए सीपी राधाकृष्णन को भाजपा ने कैंडिडेट बनाया है। उनके आने से एक साथ तीन समीकरण सधेंगे, जो हैं- आरएसएस, दक्षिण और विवादों से मुक्ति।
दरअसल भाजपा ने पहले सत्यपाल मलिक और फिर जगदीप धनखड़ को मौके दिए। समाजवादी बैकग्राउंड से आने वाले दोनों नेता कई मसलों पर मुखर रहे और शुरुआती दिनों में भाजपा के कोर मुद्दों पर आक्रामक होकर बात की। उनके ये तेवर भाजपा समर्थकों को खूब जमे भी, लेकिन यही रवैया बाद के दिनों में उनका सरकार के खिलाफ दिखने लगा। यहीं से परेशानी शुरू होने लगी। सत्यपाल मलिक ने तो सीधे पीएम मोदी को ही टारगेट करना शुरू कर दिया था। इसके अलावा जगदीप धनखड़ ने भी किसान आंदोलन और फिर अदालत को लेकर जैसा रुख अपनाया, उससे सरकार असहज होने लगी। उपराष्ट्रपति पद की गरिमा के भी इसे विपरीत माना गया।
ऐसे में भाजपा ने बेहद लो-प्रोफाइल रहने वाले सीपी राधाकृष्णन पर दांव लगाया है। उनकी इसी खासियत का इशारों और मजेदार तरीके से पीएम मोदी ने जिक्र किया और कहा कि वह खेल प्रेमी हैं, लेकिन राजनीति में खेल नहीं करते। साफ है कि अब भाजपा हाईकमान ऐसा उपराष्ट्रपति या राज्यपाल नहीं चाहता, जो चर्चाओं में रहे और सरकार को असहज करे। इस लाइन में सीपी फिट बैठते हैं। इसके अलावा वह पुराने संघी हैं। 16 साल की उम्र में आरएसएस के स्वयंसवेक बने थे। उन्हें मौका देकर भाजपा ने अपने मातृ संगठन आरएसएस को भी संकेत दिया है कि उनके विचार और लोगों का स्वागत है और उन्हें तवज्जो दी जा रही है।
सत्यपाल मलिक और जगदीप धनखड़ के रुख पर संघ समर्थकों का यही कहना था कि यह बाहर से लाए गए लोग थे और उसके चलते ही नुकसान हो रहा है। इस तरह संघ को महत्व देते हुए सीपीआर को चुना गया है। बता दें कि यह लगातार दूसरा संकेत आरएसएस को दिया गया है। इससे पहले 15 अगस्त को लाल किले से पहली बार पीएम मोदी ने आरएसएस की तारीफ की थी और उसके 100 साल के सफर को देश और समाज को समर्पित बताया था। अब तीसरे समीकरण की बात करते हैं। अगले साल तमिलनाडु में चुनाव है और सीपीआर को मौका दिया गया है, जो वहीं से आते हैं। वह कोयंबटूर से दो बार सांसद रहे हैं, जो तमिलनाडु में भाजपा का एकमात्र गढ़ कहा जाता है।