Friday, November 22, 2024
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पामगढ़ : प्रत्याशियों के तमाम ताकत झोंकने के बाद भी मतदाताओं में नहीं दिखा उत्साह, देखें कैसे बिगड़ रहा गणित

जांजगीर जिला के पामगढ़ विधानसभा का इतिहास अन्य विधानसभाओं की तुलना में कुछ अलग ही रहा है जब-जब रिकॉर्ड वोटिंग होती है| उस दौरान दोनों राष्ट्रीय पार्टी हावी रहती है| जब वोटो की औसत में गिरावट आती है तब तब बहुजन का वर्चस्व देखने को मिला है। इस विधानसभा चुनाव में भी पिछले चुनाव की अपेक्षा लगभग 3% वोट काम पड़े हैं तो इस अनुमान से अंदाजा लगाया जा सकता है की किस पार्टी की जीत के असर ज्यादा है। लेकिन इस बीच स्थानीय दल को नज़र अंदाज नहीं किया जा सकता अगर इसने अपना असर दिखाया तो नतीजे चौकाने वाले होंगे |

इन आकड़ों पर नज़र डाले तो

  • 2003 में हुए पहले विधान सभा चुनाव में पामगढ़ में रिकॉर्ड 75.63 प्रतिशत वोटिंग हुई| जो अब तक के चुनाव में सबसे अधिक है| इस चुनाव में कांग्रेस के महंत राम सुंदर दास ने जीत हासिल की थी| इस जीत का अंतर 6734 था|
  • 2008 के विधानसभा चुनाव में कुल 65.39 प्रतिशत मतदान हुआ | जिसमें बसपा के दूज राम बौद्ध ने जीत हासिल की थी| इस जीत का अंतर 5955 था| कांग्रेस तीसरे स्थान पर थी |
  • 2013 के विधानसभा चुनाव में कुल 72.12 प्रतिशत मतदान हुआ| इस चुनाव के परिणाम ने सभी को चौका दिया| इस चुनाव में बीजेपी के अम्बेश जांगड़े ने बाजी मारी, जिसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी| इस जीत का अंतर 8125 था| कांग्रेस तीसरे स्थान पर थी|
  • 2018 के विधानसभा चुनाव में कुल 70.8 प्रतिशत मतदान हुआ | इस चुनाव में बसपा के इंदु बंजारे को सफलता मिली| हालाँकि इस जीत का अंतर बहुत ही कम 3061 था|
  • 2023 के विधानसभा चुनाव में कुल 67.48  प्रतिशत मतदान हुआ | टर्न आउट के अनुसार

कही बहुजन मतदाताओं का उत्साह कम तो नहीं

2018 के आकड़ों की मने तो जीत का अंतर बहुत की कम था वही तीसरी शक्ति दूर-दूर तक इनके पहुँच में नही थी|  टक्कर बसपा और कांग्रेस में ही थी| अनुमान लगाया जा रहा है की एक बार भी टक्कर इन्ही दोनों के बीच में हो सकती है | सूत्रों की माने तो इस चुनाव में बहुजनों का उत्साह कम हुआ है| इसका खामियाजा बसपा को चुकाना पड़ सकता है | इस 3 प्रतिशत गिरावट में कही इनका वोट हुआ तो परिणाम कुछ और ही होगा|

कर्ज माफी और बोनस बनी संजीवनी 

बाहरी प्रत्याशी का दंश झेल रही कांग्रेस केवल किसानों के सामने कर्ज़ माफ़ी और धान का बोनस का मुद्दा ही संजीवनी की तरह दिखा| कर्ज माफी और बोनस मिलने से किसानो को बहुत राहत मिली है| जिसका लाभ इस चुनाव में देखने को मिला| लेकिन इस संजीवनी को भुनाने में कितना सफल हो पाएगी ये तो आने वाला समय ही बताएगा| लेकिन स्थानीय कार्यकर्ताओं में नाराजगी चुनाव में देखने को स्पष्ट रूप से मिली| किसी ने खुलकर विरोध किया तो किसी ने दबे पांव, लेकिन विरोध हुआ |

जोगी कांग्रेस बिगाड़ रही दोनों समीकरण 

2018 में कांग्रेस की हार और बसपा की जीत का कारण केवल जोगी कांग्रेस ही था|  बसपा-जोगी कांग्रेस का गठबंधन नहीं हुआ होता तो जीत पाना बहुत ही मुश्किल था| जोगी परिवार का पामगढ़ में समर्थकों की काफी संख्या है| जो पहले कांग्रेस को वोट करती थी माना जा रह हैं की 2018 की जीत जोगी का भी गहरा प्रभाव था| इस बात को भी भुलाया नहीं जा सकता है की बसपा ने पामगढ़ क्षेत्र के बूथों से जो खाई तैयार की थी उसे गोरेलाल ने नवागढ़ क्षेत्र से काफी हद तक पाट दी थी| तब जाकर जीत का अंतर महज 3061 रहा था| इससे साफ हैं की गोरेलाल को अपने गृहग्राम के प्रभाव से नजर अंदाज नहीं किया जा सकता| कही इस बार भी गोरेलाल को नवागढ़ बेल्ट से भरपूर प्यार मिला तो समीकरण बिगड़ जाएगा |

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