Johar36garh (Web Desk)|डायबिटीज देश में तेजी से बढ़ने वाली बीमारियों में से एक है। एक शोध की मानें तो पिछले 25 बरस में इस बीमारी के मामलों में 64 प्रतिशत इजाफा हुआ है और विशेषज्ञ इस बढ़ोतरी को देश की आर्थिक प्रगति के साथ जोड़कर देख रहे हैं। इससे भी ज्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि आने वाले छह बरसों में देश में इस बीमारी के मरीजों की संख्या 13.5 करोड़ से ज्यादा हो सकती है, जो वर्ष 2017 में 7.2 करोड़ थी।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च, इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड एवेल्यूएशन और पब्लिक हैल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया की नवंबर 2017 की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 25 बरस में भारत में डायबिटीज के मामलों में 64 प्रतिशत का इजाफा हुआ। अब विश्व बैंक की एक रिपोर्ट पर नजर डालें तो 1990 में भारत की प्रति व्यक्ति आय 24, 867 रूपए थी, जो 2016 में बढ़कर 1,09,000 हो गई। इसका सीधा अर्थ है कि खुशहाली बढ़ने के साथ साथ मधुमेह के रोगी भी बढ़ते जा रहे हैं। शोध के अनुसार साल 2017 में दुनिया के कुल डायबिटीज रोगियों का 49 प्रतिशत हिस्सा भारत में था और 2025 में जब यह आंकड़ा 13.5 करोड़ पर पहुंचेगा तो देश की सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं पर एक बड़ा बोझ होने के साथ ही आर्थिक रूप से भी एक बड़ी चुनौती पेश करेगा क्योंकि सरकार देश की एक बड़ी आबादी को मुफ्त स्वास्थ्य बीमा की सुविधा प्रदान कर रही है।
धर्मशिला नारायणा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के सीनियर कंसलटेंट, इंटरनल मेडिसिन, डॉ गौरव जैन के अनुसार डायबिटीज में शरीर में इन्सुलिन बनाने कि प्रक्रिया बाधित या कम हो जाती है। इन्सुलिन से शरीर को ऊर्जा मिलती है और इस प्रक्रिया के प्रभावित होने से शरीर के प्रमुख अंगों का संचालन बाधित होने लगता है। टाइप 1 डायबिटीज में हमारा शरीर में इन्सुलिन बनना बंद हो जाती है और मरीज़ को मुख्यत: इन्सुलिन थैरेपी पर आश्रित होना पड़ता है। टाइप 2 डायबिटीज में शरीर में इन्सुलिन के इस्तेमाल कि प्रक्रिया बाधित होती है। यह टाइप 1 से कम घातक होती है और आम है। इसमें दवाएं खाकर बीमारी को नियंत्रित रखा जा सकता है।
श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टिट्यूट के सीनियर एंडोक्रिनोलॉजिस्ट, डॉ साकेत कांत, ने एक सर्वे के हवाले से बताया कि दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले तकरीबन 30 फ़ीसदी बच्चे मोटापे की गिरफ्त में हैं, जिनमें से बहुत से बच्चे प्री-डायबटिक हाइपरटेंशन के भी शिकार थे। यह आने वाली पीढ़ियों की सेहत की हालत की बड़ी चिंताजनक तस्वीर है। उनका कहना है कि बच्चों की इस हालत के लिए बच्चों से ज्यादा उनके माता पिता जिम्मेदार है क्योंकि उनकी दिनचर्या और खानपान की आदतें बच्चों की भी बीमारी के मुहाने पर ले आई हैं। उनका मानना है कि बच्चों पर किसी भी तरह की कठोर पाबंदी लगाने या उन्हें हिदायतें देने की बजाय अभिभावक स्वयं स्वस्थ आदतें अपनाएं।
जेपी अस्पताल, नोएडा में सीनियर कंसल्टेंट, डायबिटीज़ एंड एंडोक्रिनोलॉजी, डा. निधि मल्होत्रा का कहना है कि यदि परिवार में किसी को डायबिटीज है तो बाकी सभी सदस्यों को सावधान होना होगा। डायबिटीज होने पर इसकी दवा लेना जरूरी है। मीठे का सेवन कम करने, खानपान और दिनचर्या में बदलाव और स्वस्थ जीवन शैली अपनाने के साथ ही दवा भी लेनी होगी अन्यथा यह बीमारी एक घुन की तरह सारे शरीर को खोखला करती रहती है और अगर इसपर पूरी सावधानी से नजर न रखी जाए तो किडनी की समस्याएं, हृदयरोग, त्वचा सम्बन्धी समस्याएं, आँखों की रौशनी का प्रभावित होना, सुनने में दिक्कत, पैरों की नसों पर प्रभाव और घाव जल्दी न भरने जैसी बहुत सी परेशानियां घेर सकती हैं।
अगर, थोड़ा सा प्रयास करें तो डायबिटीज से पूरी तरह बचा जा सकता है। ब्लड शुगर ऐसी बीमारी है, जिसकी सबसे बड़ी वजह लाइफ स्टाइल का बिगड़ना है। सिर्फ 40 मिनट की एक्साइसाइज कर डाइट कंट्रोल से इस बीमारी से बच सकते हैं। मतलब आपको सप्ताह में सिर्फ 200 मिनट की एक्सरसाइज करनी है। अगर एक दो वर्षों के अंदर डायबिटीज हुई है तो भी इसे कंट्रोल कर सकते हैं।
डायबिटीज रोग विशेषज्ञ डॉ. बृज मोहन के मुताबिक डायबिटीज एक दिन में नहीं आती है। यह धीरे-धीरे पकड़ती है। अगर लाइफ स्टाइल बिगड़ी है और रिस्क फैक्टर है तो बीमारी जल्दी पकड़ लेगी। अगर कोई रिस्क फैक्टर नहीं है तो बीमारी को पूरी तरह रोक सकते हैं। इसके लिए डाइट मैनेजमेंट भी करना होगा। डायबिटीज से बचना है तो थोड़ा वक्त अपने लिए निकालिए। डॉक्टरों का सुझाव है कि खानपान, थोड़ा व्यायाम और दिनचर्या सही कर इससे बचा जा सकता है। मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञ डॉ. एसके गौतम के मुताबिक 40 मिनट ब्रिस्क वॉक (थोड़ा तेज चाल) सप्ताह भर में पांच दिन करें। एक दिन 20 मिनट एयरोबिक एक्सरसाइज करें।
कई बार डायबिटीज के मरीज सोच में पड़ जाते हैं कि आखिर ऐसा क्या खाएं, जिससे वो बीमारी संतुलित रख सकें। डॉ.एसके गौतम के मुताबिक प्रतिदिन भोजन के साथ दो तरह के सीजन वाले फल जरूर खाने चाहिए। फल अधिक मीठे न हों। सही अनुपात में कार्बोहाइड्रेट, वसा और प्रोटीन वाले खान-पान को लें। प्रतिदिन 1200-1600 कैलोरी से अधिक नहीं लें। नियमित एक्सरसाइज करें।
डायबिटीज से साइलेंट हार्टअटैक और ब्रेन स्ट्रोक पड़ रहा है। आम मरीजों से डायबिटीज रोगियों के ब्रेन स्ट्रोक और हार्ट अटैक के लक्षण अलग होते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि हाई अटैक के मामले में कोई लक्षण नहीं दिखाई पड़ता है। मतलब न पसीना आता है और न चेस्ट पेन की शिकायत होती है। कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. रमेश कुमार के मुताबिक उन डायबिटीज रोगियों को जिन्हें पांच साल या उससे अधिक डायबिटीज हो गई है उन्हें दिल की जांच जरूर करानी चाहिए।
10 मिनट खाना खाने के पहले ही सलाद खाना चाहिए ताकि आप जरूरत से ज्यादा खाना एक बार में न खाएं
डॉक्टरों ने दी सलाह : बीमारी की स्क्र्रींनग को 40 की उम्र के बाद हर साल कराएं जांच, दो वर्षों के अंदर हुई डायबिटीज को किया जा सकता है कंट्रोल