जांजगीर जिला के बहुचर्चित ब्लॉक पामगढ़ इनदिनों 14 और 15 वें वित्त की राशि को लेकर चल रही उठकपठक के बीच जनपद अध्यक्ष कुछ सदस्यों को लेकर आमरण अनशन बैठ गए हैं| इससे पहले भ्रष्टाचार की जाँच शुरू हो जनपद पंचायत की सीईओ ने टीम से अपना नाम वापस ले लिया है| जिससे भ्रष्टाचार की जाँच अधर में चली गयी| इधर एन वक्त पर जांच टीम से जनपद पंचायत सीईओ का नाम वापस लेना जनपद सदस्यों को रास नहीं आया आज वह अनिश्चितकालीन आमरण अनशन पर बैठ गए हैं|
आपको बता दें कि जनपद अध्यक्ष के 14 और 15 वें वित्त की राशि में भ्रष्टाचार की शिकायत करते ही पंचायत के सरपंचों में भी खलबली मच गई। जिसके कारण उन्होंने जनपद अध्यक्ष को भी अपने रडार में ले लिया। जिसके बाद सरपंचों ने शासन की राशि का दुरुपयोग करने की शिकायत कलेक्टर से कर दी।
आपको बता दें कि जनपद पंचायत पामगढ़ के अध्यक्ष राजकुमार पटेल और उनकी टीम के सदस्यों की तालमेल पामगढ़ के सरपंचों के साथ नहीं बैठ रही हैं| जिसकी वजह से उन्होंने 14 15 वे वित्त की राशि में हुए गोलमाल को लेकर शिकायत की थी लगातार शिकायत करने के बाद जांच के लिए एक टीम बनाई गई थीं। जांच सोमवार से शुरू होनी थी एन वक्त पर जनपद पंचायत सीईओ प्रज्ञा यादव ने जांच टीम से अपना नाम वापस ले लिया जिसने जनपद सदस्य तिलमिला गए और जनपद पंचायत के सामने धरने पर बैठ गए।
यहां बताना लाजमी होगा कि जनपद अध्यक्ष राजकुमार पटेल के शिकायत के बाद सरपंच संघ भी आक्रोशित हो गया था| जिसके बाद एक सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी को अपना हथियार बनाकर सरपंच संघ ने भी कलेक्टर के सामने जनपद अध्यक्ष पर भ्रष्टाचार शिकायत कर दी। जिसमें बताया गया है की जनपद अध्यक्ष ने क्षेत्र के भ्रमण के पैसों को बिना भ्रमण करे ही निकाल लिया| अब दोनों पक्षों के भ्रष्टाचार के मामले सरेआम हो गए हैं| कहीं ना कहीं दोनों ही पक्ष भ्रष्टाचार में लिप्त हैं|
यहां पर यह भी बताना होगा कि जनपद पंचायत पामगढ़ के इतिहास में पहला पंचवर्षीय होगा कि जिस में इतने सारे सरपंचों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लगे हैं| अधिकांश और अविश्वास प्रस्ताव में सरपंचों को अपनी कुर्सी से हाथ धोना पड़ा है और कई सरपंच न्यायालय के शरण में जाकर अपनी कुर्सी बचाने में कामयाब भी हुए हैं।
जनपद सदस्य और सरपंचों की राशि का आबंटन जनपद पंचायत कार्यालय से ही होकर गुजरती है अब देखना यह है कि भ्रष्टाचार के वास्तविक जांच जिला प्रशासन कर पाती है। या फिर दोनों के बीच समझौता कराकर इसे भी ठंडे बस्ते में डाल देती है।