राजकीय सम्मान के साथ डीपी घृतलहरे का हुआ अंतिम संस्कार 

Johar36garh (Web Desk)| गिरौदपुरी में बने विशाल जैतखाम का सबसे पहला कांसेप्ट देने वाले श्री डी पी घृतलहरे को उनके गृह निवास चक्रवाह में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई |  उनके अंतिम दर्शन करने दूर-दूर से उनके चाहने वाले पहुंचे हुए थे |  उन्हें मेला स्थल में ही दफ़न किया गया |

राजकीय सम्मान के साथ डीपी घृतलहरे का हुआ अंतिम संस्कार डेरहू प्रसाद घृतलहरे का जन्म 28 जून 1949 में ग्राम चक्रवाय, वर्तमान में जिला बेमेतरा , छ ग में हुआ था, उनके पिता पिता श्री सुखरु प्रसाद घृतलहरे जी थे |  उनका निधन 19 अप्रैल रविवार की दोपहर 12 बजे रायपुर के एक निजी अस्पताल में हो गया। वे पिछले कुछ समय से अस्वस्थ थे और अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था।।
डेरहू प्रसाद घृतलहरे के जीवन से सम्बंधित कुछ मुख्य बातें जिन्हें अश्वनी कुमार रात्रे ने लिखी है

राजकीय सम्मान के साथ डीपी घृतलहरे का हुआ अंतिम संस्कार 
1/     वे बहुत निर्धन परिवार में से थे। गरीबी की वजह से मेट्रिक पास भी नही कर पाए थे।।

2/ वे प्रारम्भिक दिनों में नाचा पार्टी में महिला कलाकार की भूमिका निभाते थे।।

3/ सबसे पहले वे गाँव में सरपंच बने।। उनके कार्यकाल , व्यवहार कुशलता, विनम्रता, योग्यता और जनता के कार्यो के प्रति समर्पण की काबिलियत के कारण क्षेत्र के कांग्रेसी नेताओं ने 1980 के विधानसभा चुनाव में विधायक प्रत्यासी के लिए  अनुसंशित किये, जिनमे वे भारी बहुमत से चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बनकर उनके उम्मीदों पर खरे उतरे।।

4/ वे बेमेतरा के मारो विस क्षेत्र से दो बार कांग्रेस से और दो बार (तत्कालीन कांग्रेसी नेताओं के षडयंत्र के कारण टिकट नही दिए जाने पर ) निर्दलीय जीतकर अपना जनाधार साबित किये।।

राजकीय सम्मान के साथ डीपी घृतलहरे का हुआ अंतिम संस्कार 

5/ वे तत्कालीन मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह सरकार में 1993 में मंत्री बने।।
छ ग गठन के पश्चात मान अजीत जोगी की सरकार में प्रदेश के प्रथम वन मंत्री बने।।

6/  भोपाल और रायपुर में उनका बंगला परीक्षा दिलाने जाने वाले बच्चों, शासकीय या निजी कार्यो से जाने वाले, किसी सहयोग के आकांक्षी सर्व समाज के लोगों से भरा रहता था। उनके खाने पीने और रहने की व्यवस्था वे हमेशा करते थे।।

7/ वे प्रदेश भर में सर्व समाज में अति लोकप्रिय थे।।

8/ वे जिस भी पदों पर और विभाग में  रहे, बहुत कुशलता और कर्मठता से  अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करके अपनी छाप छोड़े।।

9/ वे स्वच्छ छवि के कुशल प्रशासक थे।। नौकरशाही पर उनका पूर्ण नियंत्रण रहता था।। कम शिक्षित होने के बावजूद बड़े अधिकारी उनके कार्यकुशलता, योग्यता, दूरदृष्टि, बुद्धिमत्ता और व्यव्हार कुशलता के कारण उनका बहुत सम्मान  करते थे।।

राजकीय सम्मान के साथ डीपी घृतलहरे का हुआ अंतिम संस्कार 

10/ उन्होंने अपने क्षेत्र में सड़क, बिजली, सिंचाई, पानी, स्कुल, अस्पताल, बाँध आदि जनोपयोगी कार्यो का सघन जाल बिछाया।।

11/ वे किसी भी समाज के किसी भी निर्धन व्यक्ति के घर मांगकर जो भी मिल जाए, जमीन पर बैठकर बड़े प्यार से खा पी लेते थे।।
यदि बासी, भाजी, कढ़ी, मिर्च टमाटर की चटनी, पेज – पसिया जो भी मिल जाय, बड़े चाव से खा लिया करते थे।।

12/  वे आजीवन अपने घर जाने वालों के खाने पीने की व्यवस्था करते थे।।

13/  वे ठंड, गर्मी, बरसात में किसी भी समय , जैसी भी स्थिति परिस्थिति बने, पैदल, सायकल, अन्य के गाड़ी आदि में दौरे कर लिया करते थे।।

14/ वे बहुत मधुर स्वाभाव के थे। कभी किसी पर गुस्सा नही होते थे। कठोर वचन बोलते किसी ने उन्हें कभी नही सुना।।
बल्कि कोई गुस्से में भला बुरा उन्हें सुना देते थे, वे बड़ी विनम्र भाव से सुन लिया करते थे।।

राजकीय सम्मान के साथ डीपी घृतलहरे का हुआ अंतिम संस्कार 

15/  उनके राजनितिक विरोधी भले थे, पर कोई उनके शत्रु नही थे।।

16/ सर्व समाज को आगे उठाने की उनकी गजब की आकांक्षा थी।। वे लोगों की समस्या सुलझाने हमेशा ततपर रहते थे।।

17/ वे अखिल भारतीय सतनामी कल्याण समिति के संस्थापक अध्यक्ष थे।।

18/ वे चक्रवाय धाम के संस्थापक थे।। 1986 में मोतीलाल वोरा जी के द्वारा उद्घाटन किया गया था।।

19/ वे चक्रवाय धाम मेला में देशभर के बड़े नेताओं और अति विशिष्ट लोगों को बुलाते थे।।
मेले में सर्व समाज के लाखों  लोग प्रदेशभर से शामिल होते थे।। सबके लिए भोजन भंडारे की निर्बाध व्यवस्था रहती थी।।

राजकीय सम्मान के साथ डीपी घृतलहरे का हुआ अंतिम संस्कार 
20/ वे मेले में शानदार सजावट करवाते थे।। सजावट देखने ही दूर दराज के लोग पहुंचते थे।।

21/ मेले में बिजली, पानी, स्वास्थ, सुरक्षा , सफाई की बहुत शानदार व्यवस्था करते थे।।

22/  मेले के समय गाँव वालों के घर मेहमान आने से आर्थिक भार पड़ता है,  यह सोंचकर वे पूरे गाँव में सर्व समाज के घर राशन, चावल दाल, लकड़ी आदि की व्यवस्था करते थे।।

23/ गिरौदपुरी धाम मेले की व्यवस्था को बढ़ाने, पेयजल की व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए दिग्विजय सिंह और अजीत जोगी से जोरदार पहल करने वाले घृतलहरे जी ही थे।।

24/ मान अजीत जोगी जी  को गिरौदपुरी धाम में  सबसे ऊंचे जैतखाम बनाने का सबसे पहला कांसेप्ट देने वाले श्री डी पी घृतलहरे जी ही थे।। जिन्हें रमन सिंह सरकार में पूरा किया।।

25/ अपने मंत्रीत्व काल में अपने विभाग में खाली पदों पर भर्ती निकलवा कर हजारों स्थानीय बेरोजगारों को नौकरी दिलाने का कार्य उन्होंने किया।।

26/  उनके विस क्षेत्र में ऐसा कोई परिवार खोजना मुश्किल है, जो उनसे किसी न किसी तरह से  उपकृत न हुआ हो।।

ऐसे दैदीप्यमान नक्षत्र के बुझने से छ ग के सर्व मानव समाज की अपूरणीय क्षति हुई है।। वे अपने कार्यो की वजह से युगों युगों तक याद किये जायेंगे।।

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