देश के आर्थिक मोर्चे पर लगातार नकारात्मक खबरें आ रही हैं. अब एक निजी सर्वे में कहा गया है कि अगस्त माह में देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ 15 महीने में सबसे कम रही है. मांग और उत्पादन में बढ़त साल में सबसे कम होने और लागत बढ़ने की वजह से यह गिरावट आई है.
गौरतलब है कि इसके पहले लगातार कई आंकड़े निराशाजनक रहे हैं. ऑटो सहित कई सेक्टर की बिक्री में गिरावट आई है. हाल में आए सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जून की तिमाही में देश के जीडीपी में महज 5 फीसदी की बढ़त हुई है.
अब द निक्केई मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) अगस्त महीने में गिरकर 51.4 पर आ गई है. जुलाई महीने में यह 52.5 पर थी. यह मई 2018 के बाद सबसे कमजोर है. यह सर्वे निजी कंपनी आईएचएस मार्किट द्वारा किया जाता है.
अगस्त महीने में बिक्री में 15 महीनों में सबसे धीमी गति से विस्तार हुआ है, जिसका उत्पादन वृद्धि और रोजगार सृजन पर भी दबाव पड़ा है. इसके अलावा, कारखानों ने मई 2018 के बाद पहली बार खरीदारी में कमी की है.
हालांकि यह लगातार 25वां महीना है जब मैन्युफैक्चरिंग (विनिर्माण) का पीएमआई 50 से अधिक रहा है. सूचकांक का 50 से अधिक रहना बढ़त दर्शाता है, जबकि 50 से नीचे का सूचकांक गिरावट का संकेत देता है.
इसके पहले रविवार को कार कंपनियों की बिक्री के भी आंकड़े आए थे, जिससे पता चला कि अगस्त महीने में कारों की बिक्री में 30 फीसदी की जबरदस्त गिरावट आई है.
सर्वे में कहा गया कि प्रतिस्पर्धी दबाव और बाजार में चुनौतीपूर्ण स्थितियों ने तेजी को रोकने की कोशिश की. अगस्त में विदेश से आने वाले नए कारोबारी ऑर्डर की गति भी धीमी रही.
रोजगार के मोर्चे पर सर्वेक्षण में कहा गया कि कमजोर बिक्री ने मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को रिटायर होने वाले कर्मचारियों की जगह दूसरे कर्मचारी रखने से रोका है.