क्राइम ब्रांच पुलिस ने एक जॉब रैकेट का खुलासा किया है। इसमें आठवीं पास शख्स खुद को आईएसएस अधिकारी बताकर लोगों से ठगी किया करता था। पांच लोगों का गैंग 30 लोगों को चूना लगा चुके हैं। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक ऐसे जॉब रैकेट का खुलासा किया है, जिसमें आठवीं पास एक शख्स खुद को आईएएस अधिकारी बताकर लोगों से ठगी करता था। गिरोह के इस सरगना समेत पांच लोगों को क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया है। इस गैंग द्वारा अबतक 30 लोगों को चूना लगाने का खुलासा हुआ है, जबकि कई और पीड़ित अभी पुलिस के पास पहुंच रहे हैं। गिरफ्तार आरोपियों में यूपी के गाजियाबाद निवासी राकेश भड़ाना, रोहताश कसाना, प्रकाश भड़ाना, गोला डेयरी निवासी विनोद कुमार व कुतुब विहार फेस वन निवासी योगेश शामिल हैं।
पुलिस ने इन आरोपियों के पास से नौ फर्जी आईकार्ड, चार नियुक्ति पत्र, लैपटॉप और प्रिंटर बरामद किया है। डीसीपी क्राइम अमित गोयल ने बताया कि पालम गांव निवासी 26 वर्षीय अंकित शर्मा ने मामले में शिकायत दर्ज कराई थी। उसने यह बताया उसके पिता की वर्ष-2014 में कैंसर के काण मौत हो गई थी। उसकी मां गृहणी है। उसकी दो बहनें हैं। बड़ा भाई जतिन शर्मा एयरपोर्ट पार्किंग में काम करता है। वहीं इसका दोस्त दीपक मेडिकल कंपनी में जॉब कर रहा था। इन सबने सरकारी नौकरी करने के लिए काफी प्रयास किए थे लेकिन वे सफल नहीं सके।
करीब छह महीने पहले एक रिश्तेदार सोनिया ने बताया कि वह सुनील मलिक और विनोद को जानती है। ये बताते हैं कि इनके एनडीएमसी में अच्छे कनेक्शन हैं। ये सरकारी नौकरी दिलाने का आश्वासन देते हैं। इनसे संपर्क किया जाए तो सरकारी नौकरी मिल सकती है। इसके बाद अंकित, महिला सोनिया के साथ दोनों के पास गए। इन दोनों ने कहा एनडीएमसी, एमसीडी, बैंकों आदि जगह पर नौकरी दिलवा सकते हैं।
इसके एक महीने बाद विनोद ने पीड़ित की मां को कॉल कर बताया एनडीएमसी में कुछ वैकेंसी हैं। लेकिन इसके बदले में दस लाख रुपये खर्च करने होंगे। वह भी नियुक्ति होने के दो तीन दिन बाद। उनकी बातों में पीड़ित आ गए। इसके बाद आरोपी विनोद उन्हें राकेश के पास ले गया। राकेश ने खुद को एनडीएमसी का अधिकारी बताया और नौकरी दिलाने का झांसा दिया। बात होने के बाद पीड़ित ने पांच लाख रुपये कैश, अस्सी हजार रुपये गूगल पे और 26 हजार रुपए फोन पे के जरिए राकेश को दे दिए।
कौन क्या करता था
आरोपी राकेश भड़ाना ने साल 2014 में आठवीं कक्षा पास की थी। वह एनडीएमसी में माली है। शादीशुदा इस आरोपी की नौकरी पक्की नहीं थी। विनोद के संपर्क में आकर वह अपराधिक गतिविधियों में लिप्त हो गया। यही आरोपी खुद को इस डिपार्टमेंट का आईएएस अफसर बताया करता था। आरोपी रोहताश कसाना दसवीं पास है। इसकी अभी शादी नहीं हुई है। इसका काम पीड़ित लोगों से रकम वसूल करने का होता था। आरोपी विनोद कुमार ने इग्नू से स्नातक की है। कर्ज तले दबा विनोद बेरोजगार था। कर्ज से मुक्ति के लिए ठगी के इस गिरोह में शामिल हो गया। वहीं आरोपी योगेश गोला डेयरी इलाके में क्लिकवेल फोटोग्राफर के नाम से किराए की दुकान करता है। इसका काम गैंग के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार करने का था।
बहरहाल इस शिकायत के आधार पर पुलिस ने मामले की जांच आरंभ की तो और तकनीकी जांच के आधार पर राकेश भड़ाना, रोहताश कसाना और प्रकाश भड़ाना को दबोचा। इसके बाद राकेश की निशानदेही पर विनोद को दबोचा गया। आखिर में योगेश को गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में पता चला आरोपी विनोद कुमार लोनी गाजियाबाद में फाइनेंस का बिजनेस करता है। वह पीड़ित लोगों को चिन्हित कर उन्हें सरकारी नौकरी के लिए राकेश व अन्य से मिलवता था। विनोद खुद को वकील बताता है। आरोपी एनडीएमसी में जॉब दिलाने के बहाने लोगों से वसूली करते थे। लोगों को विश्वास में लेने के लिए पीड़ित के फोटो, आईडी प्रूफ लेते थे और उन्हें फर्जी नियुक्ति पत्र दे देते थे।