जांजगीर जिला के पामगढ़ ब्लॉक में किसान आत्महत्या करने पर मजबूर हो रहे हैं, यहां हजारों एकड़ में फैले फसल अब सूखने की कगार पर है। कई बार आवेदन देने के बाद भी अधिकारी खाना पूर्ति कर चले जाते हैं। इसके चलते इन किसानों के पास सब दूसरा रास्ता नहीं बचा है, मामला ग्राम पंचायत जेवरा का है।
दरअसल पामगढ़ जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत जेवरा के किसान सूखे की मार झेल रहे हैं। यहां हजार एकड़ से भी अधिक खेतों में धान की फसल लगाई गई है। जो पानी नहीं मिलने की वजह से मरने की कगार पर है। काफी पैसा खर्च कर किसानों ने अपने-अपने खेतों पर फसल लगाई है लेकिन पानी नहीं मिलने की वजह से वह बेबस और लाचार नजर आ रहे हैं। आलम यह है कि अब धान की फसल सूखते जा रही है। अगर कुछ दिन और यही हाल रहा तो पूरा फसल तबाह हो जाएगा। इसके बाद किसानों के सामने आत्महत्या करने के अलावा और कुछ नहीं रह जाएगा।
इस समस्या के समाधान के लिए जनप्रतिनिधि से लेकर अफसर तक गुहार लगाई जा चुकी है बावजूद इसके वे कर्मचारियों को निर्देश देकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। कर्मचारी वहां पहुंचते हैं और गलत जगह की फोटो अपने उच्च अधिकारियों को प्रेषित कर कर खाना पूर्ति कर लेते हैं| मसलन इन गांव वालों की समस्या जस की तस बनी रहती है।
जांजगीर जिला में मिनीमाता बांगो बांध से आने वाला पानी ही किसानी का मुख्य स्रोत है। इसके दम पर जांजगीर जिला के हर क्षेत्र में फरीब और रवि फसल उगाई जाती है। पामगढ़ ब्लॉक में भी इसका खासा असर है। किन्तु ग्राम पंचायत जेवरा में नहर तो बनाई गई है लेकिन उसमें पानी केवल दिखावे के लिए पहुंचता है। इस गांव में पानी मुख्य नहर से पहले नरियारा, बनाहिल, झलमला, भैंसो, सेमरिया, बोरसी होते हुए पहुंचता है। पानी भैंसों तक तो सही पहुंचता है लेकिन पैसों में भरकहा के पास मछली पकड़ने के लिए नहर के पानी को रोक दिया गया है। इसके बाद सेमरिया क्रिकेट मैदान के पास भी नरवा में मछली पकड़ने के लिए नहर को बांध दिया गया है। यही हाल बोरसी-सेमरिया मुहाने का है। यहां भी नहर को रोका गया है। जिससे इस गांव की नहर तक पानी केवल दिखावे के लिए आता है।
किसानों ने बताया कि इसकी शिकायत कलेक्टर तक से भी की गई है लेकिन कर्मचारी गलत जगह का फोटो खींचकर आगे प्रेषित कर देते। और उच्च अधिकारियों को लगता है कि इस गांव की समस्या दूर हो गई है। बहरहाल अब इस गांव की फसल सूखने के कगार पर आ गई| जमीन फटने लगा है फसले मरने लगे हैं। इनके पास फसल को बचाने के लिए कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है।
किसान नरेश कुमार कश्यप, जितेन कश्यप, सोमनाथ कश्यप, हरि कश्यप, धनेश कश्यप, घनश्याम कश्यप, राजकुमार यादव ने बताया कि जहां-जहां नहर को बांधा गया है वहां वहां पहरेदारी भी की जाती है। कई बार गांव वाले जाकर बंधे हुए नहर को खोला गया है लेकिन कुछ देर बाद वहां के गांव वाले पुनः नहर को रोक देते हैं। गांव वालों का यह भी कहना है कि हम दूसरे गांव में जाकर खास कर दो-दो तीन-तीन गांव वाले से कितने बार विवाद कर पाएंगे। गांव वालों का कहना है कि अगर नहर में कोई बाधा नहीं डाला जाए तो आराम से इस गांव तक पानी पहुंचा जा सकता है लेकिन जिम्मेदार अधिकारी इस गांव से अपना मुंह मोड़ लेते हैं जिसका खामियाजा हम किसानों को भुगतना पड़ रहा है।