बड़वानी में किसान मजबूर, लौकी न बिकने पर मवेशियों को खिला रहे

बड़वानी
इन दिनों लौकी की खेती करने वाले किसान परेशान हैं और हों भी क्यों न, उनकी फसल माटी मोल भी नहीं बिक रही. लौकी के दाम इतने गिर चुके हैं कि किसान भारी घाटे में आ गए हैं. बाजार में लौकी के उचित रेट न मिलने से किसान या तो मवेशियों को लौकी खिलाने पर मजबूर हैं या फिर लौकी फेंकने मजबूर हैं.
आखिर क्यों नहीं बिक रही लौकी?

किसान दीपक गेहलोद बताते हैं, '' ट्रांसपोर्ट महंगा हो चुका है, इसलिए लौकी मंडी से बाहर कोई खरीद नहीं रहा है. ऐसे में लौकी या तो फेंकी जा रही है या ट्रैक्टर भरकर लौकी गौशाला में गायों के लिए भेजी जा रही हैं. हमने चार एकड़ खेत में लौकी लगाई थी. उत्पादन भी अच्छा हुआ है, मगर भाव नहीं है. चार एकड़ में एक से डेढ़ लाख रुपए की लागत लगी है और मार्केट में हम किसानों से लौकी व्यापारी एक रुपए किलो में लौकी मांग रहे हैं. अच्छी क्वालिटी का माल पहले पांच रुपए किलो तक भी बिका है, मगर अब भाव नहीं मिल रहे हैं.''

लागत भी नहीं निकल रही

किसान दीपक आगे कहते हैं, '' बाजार में भाव नहीं मिलने से लागत निकलना भी मुश्किल हो गया है. ऐसे में किराया भाड़ा लगाना और महंगा पड़ रहा है. इसलिए लौकी तुड़वाकर खेत साफ कर रहे हैं. कुछ किसान लौकी फेंक रहे हैं तो कुछ पशुओं को खिला रहे हैं.'' किसान की माने तो 13 से 15 रुपए किलो के भाव की उम्मीद थी पर इसका आधा भी नहीं मिल पा रहा.

बड़वानी में इन सब्जियों की होती है खेती

स्थानीय किसान बताते हैं कि बड़वानी क्षेत्र में लौकी, खीरा, कद्दू जैसी हरी सब्जियों की बंपर पैदावार होती है. यहां से देश की राजधानी दिल्ली समेत कई प्रदेशों में सब्जी भेजी जाती है. हालांकि, बीते 20 दिन से लौकी मंडी में तो आ रही है लेकिन मंडी से बाहर नहीं जा पा रही है. व्यापारी परेश नामदेव कहते हैं, '' लौकी पहले से खरीद रखी है और इसका भुगतान किसानों को खड़ी फसल के दौरान कर दिया जाता है. ऐसे में जो अपनी फसल का मूल्य ले चुका वह लौकी को अपने व्यापारियों के पास भेज देता है. लेकिन मंडी से लौकी बाहर बाजार में नहीं जा पा रही है.''

पहले बढ़े, अब तेजी से घट रहे सब्जियों के दाम

मंडी के जानकारी किसान दीपक गेहलोद ने बताया, '' किसानों को अब सब्जियों के सही दाम नहीं मिल रहे हैं. उत्पादन अधिक हो गया है और कई सब्जियों के दाम अब औंधे मुंह गिर गए हैं. खासकर लौकी का उत्पादन इस बार अच्छा है, मगर भाव नहीं मिल रहे हैं, तो पशुओं को खिलाने के लिए मजबूर हो रहे हैं. किसान सब्जियां बेचकर उसे मंडी तक पहुंचाने का खर्च भी पूरा नहीं कर पा रहा है. इस समय केवल बेमौसमी सब्जियों को अच्छे दाम मिल रहे हैं, बाकि कोई भी सब्जी मंडी में अपनी चमक नहीं दिखा पा रही है.''

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