जांजगीर जिला के पामगढ़ में शुक्रवार की दोपहर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में पैसा निकालने आए किसान अक्रोशित हो गए। इसके बाद उन्होंने मुख्य मार्ग जाम करने की कोशिश की। हालांकि कुछ देर बाद पुलिस मौके पर पहुंची और ग्रामीणों का गुस्सा शांत कराया। इसके बाद अक्रोशित किसान नियंत्रण में आए।
दरअसल पामगढ़ में यह काफी पुरानी परंपरा बनती चली आ रही है कि अपने ही पैसे के लिए परेशान किसान रहता है| किसान सुबह से जिला सहकारी केंद्रीय बैंक पामगढ़ पहुंचते हैं लेकिन शाम होने के बाद उन्हें पैसा नहीं होने का हवाला देते हुए वापस भेज देते हैं। ऐसा ही किस्सा शुक्रवार की दोपहर को भी हुआ| किसान भूखे प्यासे सुबह से बैंक में लाइन लगाए खड़े रहे जब पैसे लेने की बारी आई तो बैंक वाले पैसा नहीं होने का हवाला दे दिए। इनमें ऐसे भी किसान थे जो कई दिनों से लगातार बैंक में लाइन लग रहे थे। जब किसानों का सब्र का बांध टूटा तो वे लोग सीधे मुख्य मार्ग पर पहुंच गए। और बैरिकेड से सड़क को जाम करने की कोशिश की। सड़क के दोनों और वाहनों की लंबी कतार लगनी शुरू हो गई। इसकी सूचना जैसे तैसे पामगढ़ थाना को लगी तो मौके पर टीम आई और किसानों को समझा बुझा कर वापस ले गई। आखिर किसान करें तो क्या करें| बड़ी मेहनत से किसान अपनी फसल उगता है| इसके लिए नजाने किस-किस से पैसे ऊधार लिए रहता है| जैसे धान का पैसा खाता में आता है| लेनदारों की लाइन घर पर लग जाती है| लेकिन बैंक से मिला पैसा उधारी चुकाने के लिए पूरा नहीं होता| जिस वजह से किसान परेशान रहता है|
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किसानों ने बताया कि गरीबों के साथ इस बैंक में न्याय नहीं होता। अपने ही पैसे के लिए परेशान किसान है| इस बैंक में दो खिड़की है एक अमीरों के लिए है और दूसरी गरीबों के लिए है गरीबों को सप्ताह में केवल एक बार 25 हजार दिया जाता है वह भी दिन भर लाइन लगने के बाद| जब की दूसरी खिड़की में अपने चहेतों को मनचाहे पैसा मिलता है जिसकी वजह से बैंक में पैसा खत्म हो जाता है और गरीब किसानों को वापस भेज दिया जाता है।
अपने ही पैसे के लिए परेशान किसान है यह मसला केवल शुक्रवार कहीं नहीं है बल्कि प्रतिदिन का रहता है हर रोज किसान सुबह से हाथ में पर्ची दिए बैंक पहुंचते हैं दिनभर लाइन लगने के बाद शाम को महज 25 000 उन्हें दिया जाता है। उसे 25 हजार में किसान को फसल लगाने के दौरान लिए कर्जों को उतारने में लगाता है। बैंक से मिला हुआ पैसा उनके लिए काफी नहीं होता है क्योंकि उनके कर्ज बड़े होते हैं।
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चंडीपारा से आए किसान रमेश पाटले ने बताया कि बैंक कर्मचारी पैसे लेकर अधिक रकम लोगों को निकाल कर देते हैं जबकि हम किसानों को हफ्ते हफ्तों तक दौड़ाते हैं। उसने अधिकारी पर आरोप लगाते हुए कहा कि उसकी माता का पर्ची को फेंक दिया गया था इसके बाद उसने इसकी शिकायत एसडीएम से की थी तब जाकर उन्हें पैसा मिला था। आज पुनः उसकी पारी आई थी तो वह सुबह से ही बैंक पहुंचा था शाम 4:00 बजे के आसपास बैंक वालों ने कहा कि पैसा खत्म हो गया है। जबकी अन्य लोगों को लाखों लाखों रुपए आसानी से दिए जा रहे हैं।अपने ही पैसे के लिए परेशान किसान है |
इसी तरह ममता ओग्रे ने बताया कि हमें केवल 25 हजार दिया जा रहा है जबकि हमारे घर में सदस्य बीमार है और हमें अधिक पैसों की आवश्यकता है। जबकि हमने धान तो पूरा दिया है अभी हमें पैसे की जरूरत है और जरूरत के समय हमें पैसा भी नहीं दिया जा रहा है। इस कारण से वह आक्रोश में है। उन्होंने कहा कि हम गरीब लोग हैं हम बार-बार बैंक के चक्कर नहीं लगा सकते इस वजह से हमें जितना धान बेचे हैं उतना पैसा हमें दे दिया जाए। आखिर अपने ही पैसे के लिए परेशान किसान है|
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चंडीपारा से आए कमल ने भी बताया कि गरीब किसान आदमी उधारी लेकर खेती किसानी करता है धान बेचने के बाद उधारी देने वाले परेशान करते हैं|अपने ही पैसे के लिए परेशान किसान है| उधार वालो के पैसा देने के लिए यहां पर आते हैं लेकिन बैंक में भी बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है बड़ी दिक्कतों के बाद 25 हजार ही मिल पाता है| वह भी एक सप्ताह में एक बार आज सुबह से आए हुए हैं लेकिन अभी तक पैसा नहीं मिला है।
ग्राम भादरा से आए बैसाखू जांगड़े ने बताया कि अपने ही पैसे के लिए परेशान किसान है | 21 तारीख को वह बैंक आया था सुबह से लाइन लगने के बाद उन्हें कह दिया कि शुक्रवार को आना शुक्रवार को वह सुबह से ही बैंक पहुंच गया है लेकिन 4:30 बज गए हैं अब बैंक वाले कहते हैं पैसा नहीं है।
चंडीपारा से आए पुष्पेंद्र दुबे ने बताया कि उसे केवल 6000 की जरूरत है उसे कि अपना उधारी देना है लेकिन वह दो बार आ चुका है लेकिन उसे अभी तक पैसा नहीं मिला है| आज वह सुबह से ही बैंक पहुंचा था लेकिन 4:30 बजे तक उसे पैसा नहीं मिला था बैंक वालों ने पैसा नहीं है कह दिया। अपने ही पैसे के लिए परेशान किसान है|
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