FASTag फेल हुआ Toll पर, सरकार का नया नियम जानिए, वरना देना पड़ेगा भारी जुर्माना!

नई दिल्ली अगर आपकी कार का FASTag टोल प्लाजा पर स्कैन नहीं हो रहा या “इनवैलिड टैग” दिखा रहा है, तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। हाल ही में ऐसे कई वाहन चालकों को समस्या का सामना करना पड़ा है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने अब इस स्थिति को देखते हुए FASTag से जुड़ा एक नया नियम लागू किया है।

क्या है FASTag KYV प्रक्रिया?

FASTag KYV यानी “Know Your Vehicle Verification” एक नई वेरिफिकेशन प्रक्रिया है जिसे NHAI ने अनिवार्य किया है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हर FASTag उसी वाहन पर इस्तेमाल हो जिसके लिए उसे जारी किया गया है — ताकि गलत टैग या फर्जीवाड़े की घटनाओं को रोका जा सके।

इस प्रक्रिया में वाहन मालिक को यह साबित करना होता है कि उसका FASTag सही वाहन पर लगा है। इसके लिए गाड़ी के रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC) और वाहन की फोटो अपलोड करनी होती है।

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FASTag KYV में हुए नए बदलाव

कई यूज़र्स की शिकायतों के बाद NHAI ने इस प्रक्रिया को आसान बना दिया है। अब नियमों में कुछ बड़े बदलाव किए गए हैं:

➤ अब पहले की तरह कई फोटो अपलोड नहीं करनी होंगी — केवल एक फ्रंट फोटो काफी है, जिसमें नंबर प्लेट और Tag स्टिकर साफ दिखाई दें।

➤ वाहन नंबर दर्ज करते ही सिस्टम अपने आप Vahan डेटाबेस से RC की जानकारी ले आएगा।

➤ अगर वेरिफिकेशन अधूरा रह जाए, तो Tag तुरंत बंद नहीं होगा, बल्कि NHAI वाहन मालिक को SMS रिमाइंडर भेजेगा।

➤ अगर एक मोबाइल नंबर पर कई Tag रजिस्टर्ड हैं, तो अब आप खुद चुन सकते हैं कि किस वाहन का KYV पहले पूरा करना है।

➤ दस्तावेज़ अपलोड में दिक्कत आने पर बैंक या Tag जारी करने वाला संस्थान सीधे ग्राहक से संपर्क करेगा।

KYV करने का आसान तरीका
➤ अगर आपका Tag काम नहीं कर रहा है, तो नीचे दिए स्टेप्स फॉलो करें
➤ सबसे पहले जाएं — https://fastag.ihmcl.com

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अपने रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर से लॉगिन करें।
➤ वाहन की फ्रंट फोटो अपलोड करें, जिसमें नंबर प्लेट और विंडशील्ड पर लगा Tag साफ दिखे।
➤ सिस्टम अपने आप RC की डिटेल्स भर देगा — उन्हें चेक करें और सबमिट करें।
➤ अगर टैग सही वाहन पर है और उसका गलत इस्तेमाल नहीं हो रहा, तो Tag दोबारा एक्टिवेट हो जाएगा।

क्यों जरूरी है यह वेरिफिकेशन?
NHAI के अनुसार, हाल में कई मामलों में पाया गया कि कुछ लोग एक वाहन का Tag दूसरे वाहन में इस्तेमाल कर रहे थे। इससे न केवल टैग सिस्टम का दुरुपयोग हो रहा था, बल्कि टोल कलेक्शन की पारदर्शिता पर भी असर पड़ रहा था। इसलिए अब यह KYV प्रक्रिया अनिवार्य कर दी गई है ताकि हर वाहन की पहचान और उसका टैग एक-दूसरे से लिंक रहे।