धान की पैदावार बढ़ाने के पांच जबरदस्त तरीके, इससे होगी अच्छी उपज के साथ बेहतर आय

देश में धान (Paddy) एक प्रमुख फसल है. इसके उत्पादन में चीन के बाद भारत का नाम आता है. ऐसे में धान के कल्ले बढ़ाने के लिए हम पांच जबरदस्त तरीके खोज कर लाए हैं, जिससे आप फसल की पैदावार को अधिक से अधिक बढ़ा पाएंगे. नतीजतन, इससे अच्छी उपज के साथ बेहतर आय प्राप्त हो सकेगी.

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि धान की रोपाई के 25 से 30 दिन बाद इसके कल्ले फूटने लगते हैं. इसी समय धान को अधिक न्यूट्रिशन (Paddy Nutrition) की जरूरत पड़ती है. इस दौरान खेत में ना के बराबर पानी ही रखें और हल्की नमी बनी रहने दें. धान के एक एकड़ खेत में 20 किलो नाइट्रोजन और 10 किलो जिंक की मात्रा देनी चाहिए.

धान एक पानी वाली फसल है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता कि फसल को सारे टाइम पानी (Dry Paddy Field) में ही रखें. दरअसल, आपको इसकी रोपाई के 25 दिन बाद पानी निकाल देना चाहिए, लेकिन ध्यान रहे कि इसको एकदम भी सूखा ना करें कि इसकी मिट्टी फटने लगे.

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ऐसा इसलिए किया जाता है, क्योंकि इससे धान की जड़ों पर सीधे धूप पड़ती है और फसल को ऑक्सीजन भी ढंग से मिल पाती है. इस दौरान आप इसकी निराई-गुड़ाई भी कर सकते हैं. यह सब प्रक्रिया पूरा करने के बाद खेत को दोबारा से पानी से भरें. 

आपको धान की रोपाई के 20 दिन बाद पाटा जरूर चलाना चाहिए. यह करने के लिए 10-15 फीट का बांस लें और दो बार पाटा लगा दें. ऐसा करने से धान की जड़ों में थोड़ा झटका लगता है और जो फसलें छोटी या हल्की होती हैं उनको भी आगे निकलने व बढ़ने का मौका मिलता है. पाटा लगाने के दौरान खेत में पानी जरूर होना चाहिए.

पाटा लगाने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि धान की फसलों में लगने वाली सुंडी जैसे कीड़ों झड़कर पानी में गिर जाते हैं, जिससे वह फसलों को नुकसान नहीं पहुंचा पाते हैं. ध्यान रहे कि जब भी पाटा लगाएं, तो उल्टी और सीधी दोनों ही दिशाओं में लगाएं.

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धान की रोपाई के बाद खरपतवारनाशी का इस्तेमाल जरूर करें. आप इसके नियंत्रण के लिए 2-4D नमक दवा का भी प्रयोग कर सकते हैं.

वहीं, धान की फसलों में खरपतवार नियंत्रण के लिए आप पेंडीमेथलीन 30 ई.सी का 3.5 लीटर मात्रा को प्रति हेक्टेयर की दर से 850-900 लीटर पानी में मिलाकर खेती में प्रयोग करें. 

यह एंजाइम गोल्ड समुद्री घास से निस्सारित किया गया एक जैविक तकनीकी उत्पाद है. यह धान के पौधों में बढ़ोतरी को प्रेरित करता है, जिससे आगे चलकर इसकी अच्छी पैदावार होती है.

साथ ही, यह पौधों में लगने वाले रोगों और कीटों से भी लड़ता है. धानजाइम गोल्ड को एक मिलीलीटर की दर से एक लीटर पानी में मिलाकर 500 मिलीलीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें.(Ajency)

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