भोपाल
पुलिसकर्मियों को पहली बार ट्रांसजेंडर के बारे में अलग से पाठ पढ़ाया जाएगा। इसके अतिरिक्त वरिष्ठ नागरिक, दिव्यांग, महिला व बाल अधिकारों को लेकर भी उन्हें बताया जाएगा। यह उनके प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का हिस्सा होगा। पुलिस मुख्यालय ने बदलते समय में तकनीक के विकास और अपराध के नए तरीकों को देखते हुए प्रशिक्षण में नई विषय वस्तु जोड़े हैं, जिसमें इन्हें भी सम्मिलित किया गया है।
2011 के बाद प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में किया बदलाव
साल 2024 में चयनित 4500 आरक्षकों का प्रशिक्षण एक महीने के भीतर प्रारंभ होने जा रहा है, जिसमें कुछ विषय सम्मिलित किए जाएंगे। 2011 के बाद प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में बदलाव किया गया है। प्रदेश में होने वाले अपराधों में बाल और महिला अपराध का बड़ा हिस्सा है। पुराने आंकड़ों के आधार पर प्रदेश की इन मामलों में स्थिति, उनके अधिकार, पुलिस की सीमाएं, अपराध के बदलते तरीके जैसे इंटरनेट मीडिया का उपयोग, अपराध रोकने के लिए पुलिस द्वारा किए जा रहे प्रयास, विवेचना के दौरान कोई तथ्य नहीं छूटे इसके लिए ध्यान रखने वाली बातें, सजा की दर बढ़ाने के लिए जरूरी साक्ष्यों का संकलन, जैसे विषयों के बारे में उन्हें विशेष रूप से बताया जाएगा।
पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण में जुड़े विषय
आरक्षक और उप निरीक्षक स्तर के पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण में कुछ विषयों को सम्मिलित किया गया है। ट्रांसजेंडरों से जुड़े अपराधों में पुलिस के सामने कुछ विशेष तरह की चुनौतियां रहती हैं। ऐसे में प्रशिक्षण में पुलिस को ट्रांसजेंडर के अधिकार, पहचान उनके सामने आने वाली चुनौतियों को शामिल किया जाएगा। पुलिसकर्मियों को यह भी बताया जाएगा कि उनके साथ संवेदनशीलता और सम्मानजनक तरीके से व्यवहार करना है। इसी तरह से दिव्यांगों से जुड़े अपराधों के बारे प्रशिक्षित किया जाएगा। एडीजी प्रशिक्षण राजाबाबू सिंह ने बताया कि पुलिसकर्मियों को साइबर अपराध, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन तकनीक के बारे में भी प्रशिक्षित किया जाएगा। प्रदेश के सात पुलिस प्रशिक्षण स्कूलों में इन्हें नौ माह का प्रशिक्षण देने के बाद पुलिस इकाइयों में तैनाती की जाएगी।