छत्तीसगढ़ में एक अनोखा मामला सामने आया है जिसमें एक 72 साल के बुजुर्ग को सश्रम कारावास की सजा मिली है। दरअसल 72 साल के इस बुजुर्ग पर आरोप है कि इसने फर्जी अंकसूची के सहारे अपनी पूरी उम्र नौकरी की है। नौकरी के 31 साल बाद एक सूचना के अधिकार के तहत जानकारी में लगी की इसकी नौकरी फर्जी अंक सूची के सहारे लगी है। इसके बाद 2015 में विभाग द्वारा इसे सेवानिवृत्त कर दिया गया। उम्र के इस पड़ाव में सजा मिली है जबकि इसने पूरे उम्र बड़े ही आराम से नौकरी की है|
न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी न्यायालय जांजगीर श्रीमती सीमा कंवर ने फर्जी अंकसूची का उपयोग कर नौकरी करने व साक्ष्य छुपाने के आरोपी को अलग अलग धाराओं में सुनाई 03-03 व 02 वर्ष सश्रम कारावास एवं अर्थदंड की सजा।
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मामले का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि आरोपी रामकृष्ण राठौर पिता स्व.मायाराम राठौर निवासी जगदल्ला मनका स्कूल के पास चांपा थाना चांपा जिला जांजगीर चांपा द्वारा आदर्श हायर सेकेंडरी शाला शक्ति(बोर्ड म.प्र.) हायर सेकेंडरी की फर्जी अंकसूची के आधार पर दिनांक 28/12/1984 को मुख्य अभियंता मिनी माता हसदेव बागों परियोजना में एलडीसी के पद पर नियुक्त होकर कार्यालय यंत्री सब माइनर डिवीजन क्रमांक 01 जांजगीर जिला बिलासपुर में एलडीसी के पद पर कार्यभार ग्रहण किया उसके बाद जांजगीर चांपा सब डिवीजन नंदेलीभाठा तहसील सक्ती में उक्त पद पर कार्यरत रहा । सन 2015 में मामले के प्रार्थी जितेंद्र राठौर द्वारा जब आरटीआई के तहत सक्ती कार्यालय से आरोपी द्वारा नियुक्ति समय उसके द्वारा विभाग में जमा की गई अंकसूची जिसमें उसकी जन्मतिथि 05/08/1958 अंकित उपलब्ध कराने हेतु आवेदन पेश किया गया तब इसकी सूचना लगने पर आरोपी द्वारा अपने विभाग में समस्त अंकसूची गुम होने का पत्र एवं एक शपथ पत्र इस आशय का कि उसकी वास्तविक जन्मतिथि 05/08/1953 है,उसकी अंकसूची में त्रुटिपूर्वक जन्मतिथि 05/08/1958 अंकित हो गई है प्रस्तुत किया गया जिस पर विभाग द्वारा उसकी जन्मतिथि 05/08/1958 न होकर 05/08/1953 होना मानकर आरोपी को 31/08/2015 को सेवानिवृत्त कर दिया गया।
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परन्तु प्रार्थी की शिकायत पर थाना जांजगीर में आरोपी के विरुद्ध इसी घटना के संबंध में धारा 420, 467, 468, 471, 201 भादवि के तहत अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना दौरान आरोपी का दाखिला खारिजी संकलन की गई जिसमें उसकी जन्मतिथि 05/08/1953 अंकित पाई गई, आरोपी के कार्यरत विभाग से आरोपी द्वारा नियुक्ति समय जमा की गई अंकसूची की प्रति जब्त की गई जिसकी जांच उसमें उल्लेखित संबंधित शाला से कराए जाने पर उक्त अंकसूची में उल्लेखित रोल नंबर एवं नाम के व्यक्ति द्वारा परीक्षा न दिलाना,अंकसूची शाला द्वारा जारी न होना पाया गया,आरोपी की सेवा पुस्तिका विभाग से जब्त की गई जिसमें आरोपी की जन्मतिथि 05/08/1958 अलग अलग समय पर अंकित होना पाया गया,विभाग से आरोपी जिस पद पर नियुक्त हुआ था उसके नियुक्ति हेतु अहर्ता आदेश संकलन किया गया जिसमें उक्त पद हेतु हायर सेकेंडरी उत्तीर्ण होने की अनिवार्यता अंकित होना पाई गईं।शेष विवेचना पूर्ण कर चालान माननीय न्यायालय में पेश किया।
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न्यायालय में गवाहों के परीक्षण प्रतिपरीक्षण बाद न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी न्यायालय जांजगीर श्रीमती सीमा कंवर ने आरोपी रामकृष्ण राठौर को फर्जी अंकसूची तैयार कर उसके माध्यम से नौकरी प्राप्त करने,सेवा पुस्तिका में मिथ्या जन्मवर्ष अंकित करवाने,असल साक्ष्य छुपाने का दोषी पाया। दंड के प्रश्न पर सुनवाई दौरान
आरोपी की ओर से पूर्व में कोई आपराधिक रिकॉर्ड नही होने का कथन करते हुए एवं आरोपी के भविष्य को देखते हुए नरम रुख बरतने का निवेदन किया गया जिस पर न्यायालय द्वारा विचार कर आरोपी द्वारा कूट रचित दस्तावेज तैयार करते हए शासकीय सेवा में पदस्थापना प्राप्त करने एवं कई वर्षों तक लाभांश अर्जित करने को एक गंभीर अपराध मानते हुए ऐसी परिस्थिति में आरोपी के साथ दंड पर नरम रुख बरतना उचित न मानते हुए आरोपी को धारा 420 भादवि में 03वर्ष सश्रम कारावास,धारा 467 भादवि में 03 वर्ष सश्रम कारावास,धारा 468 भादवि में 03 वर्ष सश्रम कारावास,धारा 471 में 03 वर्ष सश्रम कारावास,धारा 201 भादवि में 02 वर्ष सश्रम कारावास एवं अर्थदंड से दंडित करते हुए सभी सजाए साथ साथ भुगताए जाने का आदेश दिया साथ ही अर्थदंड की राशि अदा न करने पर पृथक से कारावास का आदेश दिया।
शासन की ओर से सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी एस. अग्रवाल द्वारा पैरवी की गई।
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