Johar36garh (Web Desk)| उत्तरी केरल के मलप्पुरम जिले से इंसानियत को शर्मसार करने और बेहद ही चौंकाने वाली एक घटना सामने आई है. यहां पर कुछ लोगों ने मिलकर एक गर्भवती हथिनी को विस्फोटक भरा अनानास खिला दिया, जिससे उसकी ऐसी स्थिति हो गई कि वह मरने के लिए नदी में जा खड़ी हुई. यह मामला गुरुवार का है, जिसमें बुरी तरह से घायल हथिनी की बीते शनिवार को मौत हो गई. जानवर बहुत जल्द ही इंसानों पर भरोसा कर लेते हैं, लेकिन ऐसे में इंसान उनके साथ क्या करते हैं. इस घटना ने जानवरों की सुरक्षा पर भी प्रश्नचिन्ह लगा दिया है.
दरअसल ये हथिनी खाने की तलाश में भटकते हुए 25 मई को जंगल से पास के गांव में आ गई थी. गर्भवती होने के कारण उसे अपने बच्चे के लिए खाने की जरूरत थी, उसी समय कुछ लोगों ने उसे अनानास खिला दिया. खाते ही उसके मुंह में विस्फोट हुआ, जिस कारण उसका जबड़ा बुरी तरह से फट गया और उसके दांत भी टूट गए. दर्द से तड़प रही हथिनी को जब कुछ समझ नहीं आया तो वह वेलियार नदी में जा खड़ी हुई. अपने दर्द को कम करने के लिए वह पूरे समय बस बार-बार पानी पीती रही.
हथिनी का दर्द इतना था कि वह तीन दिन तक नदी में सूंढ़ डालकर खड़ी रही. आखिर वह जिंदगी की जंग हार ही गई और उसकी मौत हो गई. वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार इसकी उम्र 14-15 साल थी. अधिकारियों ने बताया कि समय पर उस तक मदद नहीं पहुंचाई जा सकी. हथिनी की जानकारी मिलने पर वन विभाग के कर्मचारी उसे रेस्क्यू करने पहुंचे. लेकिन वो पानी से बाहर नहीं आई और शनिवार को उसकी मौत हो गई.
वन अधिकारी मोहन कृष्णन्न ने अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट कर बताया कि यह मादा हाथी खाने की तलाश में भटकते हुए जंगल से पास के गांव में आ गई थी. उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा कि घायल होने के बाद हथिनी एक गांव से भागते हुए निकली लेकिन उसने किसी को भी चोट नहीं पहुंचाई.
लिखा भावनात्मक पोस्ट
मोहन कृष्णन्न ने एक बहुत ही भावनात्मक पोस्ट लिखा, वो गंभीर रूप से घायल थी लेकिन इसके बावजूद भी उसने किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया और ना हमला किया. इंसान पर विश्वास करने की उसे ये सजा मिली, वह भलाई से भरी हुई थी. इन तस्वीरों में उसका दर्द क़ैद नहीं हुआ.
मोहन कृष्णन्न ने लिखा, ”वन विभाग अपने साथ दो हाथियों को लेकर गया जिनका नाम सुंदरम और नीलकांतम है. ताकि उसे नदी से बाहर निकाल सकें लेकिन उसने किसी को अपने नजदीक नहीं आने दिया.” अधिकारियों द्वारा कई घंटों तक कोशिश किए जाने के बाद भी वह बाहर नहीं आई और 27 मई को दोपहर 4 बजे पानी में खड़े-खड़े उसकी मौत हो गई.
इसके बाद उसे एक ट्रक में वापस वन में ले जाया गया, जहां अधिकारियों ने उसे अंतिम विदाई दी. वन अधिकारी ने कहा, ”उसे उस तरह से विदा किया जाना जरूरी था, जिसकी वह हकदार थी. जिस जगह वह खेल कर बढ़ी हुई, उसी जगह उसे अंतिम विदाई दी गई. जिस डॉक्टर ने हथिनी का पोस्टमार्टम किया उन्होंने बताया कि वह अकेली नहीं थी. हमने वहां एक चिता में उसका अंतिम संस्कार किया. हम उसके सामने झुक गए और अपना अंतिम सम्मान दिया.”