जिन्दा रहते कराया अपना किया अंतिम संस्कार, फिर भेजा तेरहवीं का न्योता, अभी तक नहीं हुई है इस शख्स की शादी

अभी तक आपने किसी के मरने के बाद होने वाली तेरहवीं के बारे में तो सुना होगा, लेकिन क्या आपने जिंदा व्यक्ति के तेरहवीं के बारे में सुना है. जी हां, यूपी के चित्रकूट में एक ऐसा ही मामला सामने आया है. जिसके बारे में सुनकर यकीनन आपके होश उड़ जाएंगे. हम बात कर रहे है चित्रकूट जनपद के रहने वाले रविशंकर सिंह की, जिन्होंने पहले अपना अंतिम संस्कार करवाया और फिर 13 दिन बाद अब अपना तेरहवीं संस्कार भी कर लिया.

चित्रकूट जिले के छीबो गांव निवासी रविशंकर सिंह (45 वर्ष) ने जीते जी 24 फरवरी को एक आचार्य को बुलाकर मृत्यु के बाद होने वाले अंतिम संस्कार को जिंदा रहते ही करवा लिया था. उसके बाद रविशंकर ने गुरुवार 7 मार्च को अपनी तेरहवीं संस्कार का कार्यक्रम भी किया, पूरे गांव के लोगों को निमंत्रण दिया था. रविशंकर ने बताया कि अभी तक उनकी शादी नहीं हुई है. वह पहले प्रयागराज में रहकर मार्बल पत्थर की घिसाई का काम करते थे. उन्होंने अपने घर में पहले कीर्तन करवाया, फिर रामायण, तभी उसके मन में इच्छा हुई कि वह अपना अंतिम संस्कार के बाद होने वाले क्रिया कर्म को भी करवा डाले। तभी उसने गंगा माई की कृपा से अपना जीते जी अंतिम संस्कार की पूजा करवा ली.

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भगवान की यही इच्छा है
जब उनसे पूछा गया कि क्या परिवार वाले यह नहीं करते, तो उसने कहा कि वह भी कर देंगे, पर भगवान की यही इच्छा है. उन्होंने आगे बताया कि अब वह गया जी भी अकेले ही जाएंगे. फिलहाल रविशंकर सिंह के इस कारनामे से सभी लोग आश्चर्य चकित हैं और लोग उनके तेरहवीं में बड़ी संख्या में खाने के लिए पहुंचे. लोगों का कहना है कि यह कोई बड़ी बात नहीं है. किसी भी व्यक्ति का क्रिया कर्म जिंदा रहते भी किया जा सकता है. एक क्रिया कर्म मरने के बाद होता है और एक क्रिया कर्म जिंदा रहते किया जा सकता है. रविशंकर ने जिंदा वाला क्रिया कर्म किया है.

गांव वाले ने खाया तेरहवीं का भोज
वहीं कार्यक्रम में शामिल होने आए राज नारायण शुक्ला सहित अन्य लोगों ने बताया कि वह छीबो गांव के रविशंकर सिंह की तेरहवीं कार्यक्रम में शामिल होने आए है. उनके द्वारा पहले अपने जीते जी अपना अंतिम संस्कार करवाया गया. फिर उसके बाद अपनी तेरहवीं कार्यक्रम का निमंत्रण पूरे गांव में दिया गया था. सभी लोग उनके निमंत्रण में शामिल होने के लिए आए हैं. उनके द्वारा पहले शांति पाठ करवाया गया. इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन करवा के पूरे गांव को तेरहवीं का खाना खिलाया गया है.

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