ग्वालियर में तैयार हाई-टेक ड्रोन, घुसपैठियों की पहचान कर खुद करेंगे पीछा

ग्वालियर
 भारत की सीमाओं पर अब चौकसी बढ़ाने में मध्य प्रदेश के ग्वालियर की भी अहम भूमिका होगी. यहां टेकनपुर स्थित बीएसएफ की रुस्तमजी इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर और छात्रों के साथ बीएसएफ के अधिकारी मिलकर ऐसे ड्रोन तैयार कर रहे हैं जो सीमाओं पर तो दुश्मन की निगरानी करेंगे ही साथ ही कुछ ड्रोन अनियंत्रित भीड़ को काबू करने के लिए आंसू गैस के गोले भी छोड़ेंगे.

टेकनपुर में चौकसी ड्रोन तैयार

देश की सीमाओं पर चौकसी के लिए बीएसएफ हमेशा तैनात और मुस्तैद रहती है. ऐसे में निगरानी व्यवस्था को आधुनिक बनाने लिए अब जल्द ही बॉर्डर एरिया पर ड्रोन तैनात हो सकते हैं, जो ना सिर्फ बॉर्डर पर चौकसी करेंगे बल्कि दुश्मनों की पहचान भी करेंगे. इस ड्रोन को नाम दिया गया है 'चौकसी ड्रोन'. यह ड्रोन ग्वालियर के टेकनपुर में तैयार किया गया है और इसका ट्राइल किया जा रहा है. जिसे आरजेआईटी छात्रों और बीएसएफ के अफसरों ने मिलकर तैयार किया है.

ड्रोन खुद करेंगे दुश्मन का पीछा 

आरजेआईटी में जिस 'चौकसी ड्रोन' का परीक्षण अभी चल रहा है, वह सीमा पर संदिग्ध व्यक्ति का चेहरा स्कैन कर उसकी पहचान करेगा और उसके हर मूवमेंट को ट्रैक करते हुए कंट्रोल रूम को लाइव लोकेशन भेजेगा. इससे जवानों को घुसपैठियों पर नजर रखने, सर्विलांस का दायरा बढ़ाने और स्थिति का रियल टाइम आकलन करने में बड़ा सहारा मिलेगा.

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फेस डिटेक्शन के साथ खुद करेगा पीछा

इस ड्रोन में एडवांस फेस रीडिंग तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. यह तकनीक किसी भी चेहरे की विशेषताओं के आधार पर पहचानती है. फेसप्रिंट बन जाने के बाद यह ड्रोन इन सूचनाओं को अपने डेटा-बेस से मिलान करके संदिग्ध व्यक्ति का पीछा करता है. जिन संदिग्धों के चेहरों को पहले से फीड किया गया है, उन्हें देखते ही ड्रोन खुद अलर्ट भेज देगा. इस तकनीक को आरजेआईटी के छात्र और बीएसएफ के अधिकारी सीमा पर तैनात करने के लिए मिलकर विकसित कर रहे हैं.

बांग्लादेश और पाकिस्तान बॉर्डर्स पर होगा तैनात

बीएसएफ के लिए आरजेआईटी में इसके पहले तैयार किए गए एडवांस तकनीक के ड्रोन रणवीर के बाद यह दूसरा अत्याधुनिक ड्रोन होगा. इसका परीक्षण पूरा होने के बाद तैयार रिपोर्ट के आधार पर इसे क्लीयरेंस मिलते ही इसे देश की सीमाओं पर भेजा जाएगा. यह ड्रोन भारत-बांग्लादेश और पाकिस्तान की सीमाओं पर तैनात किए जाएंगे. जिससे किसी भी संदिग्ध मूवमेंट या घुसपैठ की समय रहते और बिना खतरा मोल लिए आसानी से निगरानी की जा सके.

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भीड़ प्रबंधन में बनेगा बीएसएफ का फोर्स मल्टीप्लायर

सीमा पर निगरानी के साथ-साथ भीड़ प्रबंधन में भी ड्रोन का प्रयोग कारगर साबित हो रहा है. बीएसएफ की टियर स्मोक यूनिट ने हाल ही में ऐसा ड्रोन लॉन्चर तैयार किया है जो ड्रोन से आंसू गैस के गोले गिरा सकता है. बीएसएफ आरजेआईटी के फैकल्टी कॉर्डिनेटर प्रोफेसर गौरव भारद्वाज से मिली जानकारी के अनुसार यह "ड्रोन टियर स्मोक लॉन्चर पुलिस और अर्धसैनिक बलों के लिए भीड़ को नियंत्रित करने में 'फोर्स मल्टीप्लायर' साबित होगा."

लंबी दूरी से दागे जा सकते हैं आंसू गैस के गोले

प्रोफेसर गौरव भारद्वाज बताते हैं कि "इस ड्रोन टियर स्मोक लांचर की खासियत यह है कि, इसमें लगे हेक्साकॉप्टर में आंसू गैस के 6 गोले फिट किये जा सकते हैं. जिन्हें 35 से 50 फुट की ऊंचाई से तय लक्ष्यों पर गिराया जा सकता है. यह ड्रोन लांचर 3 किलोमीटर दूरी से भी आंसू गैस के गोले दागने में सक्षम है. इस सिस्टम का परीक्षण भी टेकनपुर की टियर स्मोक यूनिट में किया गया है. अब इसे बीएसएफ में देश भर की इकाइयों में भेजा जा रहा है ताकि जवानों को भीड़ के बीच जाकर खतरा मोल लेने की आवश्यकता न पड़े."

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कम लागत में ड्रोन बनाने पर चल रहा काम

आरजेआईटी की इस पहल में तकनीकी शिक्षा और रक्षा तैयारी का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है. संस्थान में चल रहे रोबोटिक्स, एयरोस्पेस और डिफेंस क्लब में छात्र नई-नई अवधारणाओं पर काम कर रहे हैं. बीएसएफ के साथ मिलकर वे कम लागत वाले निगरानी ड्रोन बना रहे हैं जो सीमा चौकसी, मैपिंग और रीकॉनिसेंस जैसे कार्यों के लिए उपयोगी होंगे.