आपसे उधारी लिया पैसा नहीं लौटा रहा है, तब जाने आप क्या कर सकते हैं : भारत में उधारी देना एक आम सामाजिक व्यवहार है, जो अक्सर रिश्तों और विश्वास पर आधारित होता है। हालांकि, जब बात उधारी लौटाने की आती है, तो कई बार सामने वाला व्यक्ति बार-बार टालमटोल करता है या पैसे लौटाने से मना कर देता है। ऐसे में उधार देने वाले व्यक्ति को मानसिक दबाव और सामाजिक असहजता का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, आर्थिक नुकसान भी होता है। ऐसी स्थिति में, कानूनी उपायों के जरिए उधारी की वसूली करना संभव है।
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प्रारंभिक प्रयास – आपसी बातचीत और सुलह
कानूनी कार्रवाई से पहले आपसी संवाद के जरिए समाधान निकालने की कोशिश करना हमेशा बेहतर होता है। कई बार सामने वाला व्यक्ति आर्थिक परेशानियों में होता है या उसे समय की आवश्यकता होती है। एक शांतिपूर्ण बातचीत से समय और ऊर्जा की बचत हो सकती है।
कैसे करें बातचीत:
- उधारी की तारीख और राशि को याद दिलाएं।
- अगर संभव हो तो किश्तों में भुगतान का विकल्प पेश करें।
- बातचीत के समय किसी विश्वसनीय व्यक्ति (गवाह) को साथ रखें।
- बाद में व्हाट्सएप या डिजिटल माध्यम पर उसकी सहमति लिखित रूप में लें।
- यदि वह भुगतान करने के लिए तैयार हो, तो एक लिखित समझौता तैयार करें, जिसमें भुगतान की तारीखें और राशि स्पष्ट हों।
लिखित और डिजिटल प्रमाण – कानूनी कार्रवाई की नींव
आपसे उधारी लिया पैसा नहीं लौटा रहा है, तब जाने आप क्या कर सकते हैं : अगर बातचीत के बावजूद उधारी का भुगतान नहीं होता, तो कानूनी कार्रवाई करने से पहले आपके पास ठोस साक्ष्य होना बहुत जरूरी है।
उपयोगी प्रमाण:
- प्रोमिसरी नोट: यदि उधारी के समय कोई लिखित समझौता हुआ था, तो यह सबसे मजबूत कानूनी दस्तावेज़ होता है।
- बैंक स्टेटमेंट या चेक कॉपी: यदि आपने राशि बैंक ट्रांसफर या चेक द्वारा दी है, तो यह महत्वपूर्ण साक्ष्य होते हैं।
- डिजिटल संवाद: व्हाट्सएप चैट, SMS, या कॉल रिकॉर्डिंग, जिनमें सामने वाले ने उधारी स्वीकार की हो, ये भी प्रमाण के रूप में स्वीकार्य होते हैं।
- प्रत्यक्षदर्शी गवाह: यदि किसी व्यक्ति ने उधारी के लेन-देन को देखा है, तो उसका बयान भी महत्वपूर्ण हो सकता है।
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कानूनी विकल्प – जब बातचीत नाकाम हो जाए
अगर बातचीत से समाधान नहीं निकलता है, तो कानूनी उपायों का सहारा लिया जा सकता है।
सिविल मुकदमा (Money Recovery Suit)
यदि आपके पास सभी प्रमाण हैं, तो आप दीवानी अदालत में मनी रिकवरी सूट दायर कर सकते हैं।
- वकील की सहायता से मनी रिकवरी सूट दायर करें।
- सभी दस्तावेज और प्रमाण केस के साथ संलग्न करें।
- कोर्ट नोटिस जारी करती है और संबंधित व्यक्ति को बुलाती है।
- Order 37 CPC: यह विशेष आदेश मनी रिकवरी मामलों के लिए है, जो त्वरित सुनवाई की अनुमति देता है। इसके तहत आरोपी को पहले यह साबित करना होता है कि उसके पास कोई ठोस बचाव है।
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चेक बाउंस का मामला – धारा 138, NI Act
आपसे उधारी लिया पैसा नहीं लौटा रहा है, तब जाने आप क्या कर सकते हैं : अगर आपने किसी को चेक से उधारी दी थी और वह चेक बाउंस हो गया, तो आप धारा 138 के तहत मामला दायर कर सकते हैं।
- बैंक से बाउंस मेमो लें।
- आरोपी को 30 दिनों के भीतर कानूनी नोटिस भेजें।
- नोटिस भेजने के बाद 15 दिन का समय दें।
- भुगतान न होने पर मजिस्ट्रेट के समक्ष शिकायत दर्ज करें।
आपराधिक केस – धोखाधड़ी और विश्वास का उल्लंघन
आपसे उधारी लिया पैसा नहीं लौटा रहा है, तब जाने आप क्या कर सकते हैं : अगर सामने वाले ने धोखाधड़ी की मंशा से उधारी ली है, तो आप भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत मामला दर्ज कर सकते हैं।
- धारा 318 (Cheating): धोखाधड़ी का मामला बनता है।
- धारा 316 (Criminal Breach of Trust): यदि उधारी पर विश्वास करके पैसा लिया गया हो और वापस नहीं किया गया हो तो यह धारा लागू हो सकती है।
अदालत के बाहर समाधान
कई बार लंबी कानूनी लड़ाई से बेहतर होता है कि आप कोर्ट के बाहर समाधान निकालें। इसके लिए कुछ प्रमुख विकल्प हैं:
- लोक अदालत: यह वैकल्पिक विवाद निपटान मंच है जहां न्यूनतम खर्च में मामले का त्वरित समाधान होता है।
- मध्यस्थता (Mediation): यह प्रक्रिया दोनों पक्षों के बीच निष्पक्ष मध्यस्थता द्वारा सहमति से समाधान प्राप्त करने की सुविधा देती है।
- आरबिट्रेशन: अगर लोन एग्रीमेंट में मध्यस्थता या आरबिट्रेशन क्लॉज है, तो आप इसका सहारा ले सकते हैं।
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जरूरी कदम जो तुरंत उठाने चाहिए
- कानूनी नोटिस भेजना: वकील की सहायता से कानूनी नोटिस तैयार कराएं और उसे रजिस्टर्ड पोस्ट या स्पीड पोस्ट के माध्यम से भेजें।
- सभी साक्ष्य सहेजें: बैंक स्टेटमेंट, चैट, मेल, गवाह आदि को डिजिटल और भौतिक रूप में सुरक्षित रखें।
- समयसीमा का ध्यान रखें: सिविल मामलों की लिमिटेशन अवधि आमतौर पर 3 वर्ष होती है। चेक बाउंस मामले में 30 दिन के भीतर नोटिस भेजना और 15 दिन का इंतजार करना जरूरी होता है।
- अनुभवी वकील से परामर्श लें: कानूनी प्रक्रिया जटिल हो सकती है, इसलिए वकील से सही सलाह लें।
ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स बनाम प्रभोध कुमार तिवारी (2022)
16 अगस्त 2022 को, सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यदि किसी व्यक्ति ने चेक पर हस्ताक्षर किए हैं, तो भले ही चेक पर अन्य विवरण किसी और ने भरे हों, फिर भी उस चेक के लिए जिम्मेदारी हस्ताक्षरकर्ता की होगी।
के. हेमावती बनाम राज्य (2023)
सितंबर 2023 में, सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि यदि चेक समयबद्ध लोन के लिए जारी किया गया था, तो यह अपराध नहीं होगा, भले ही लोन की अवधि समाप्त हो चुकी हो।
निष्कर्ष
आपसे उधारी लिया पैसा नहीं लौटा रहा है, तब जाने आप क्या कर सकते हैं : उधारी देना आसान होता है, लेकिन जब सामने वाला व्यक्ति धोखा दे तो उधारी वसूलना मुश्किल हो सकता है। लेकिन निराश होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि भारतीय कानून के तहत आप अपने धन की कानूनी वसूली का पूरा अधिकार रखते हैं। सही समय पर सही कदम उठाकर और कानूनी मार्गदर्शन प्राप्त करके आप अपनी रकम वसूल सकते हैं।
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